
यही वजह था कि रविवार को बेटे मनप्रीत सिंह के शव के गांव अवान पहुंचने पर उन्होंने खुद आगे बढ़कर अपने बेटे के जनाजे को कंधा भी दिया। जम्मू-कश्मीर के उड़ी सेक्टर में आतंकियों का सामना करते हुए शहीद मनप्रीत सिंह का रविवार को राजकीय सम्मान के साथ पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया। इस बीच सैकड़ों लोगों ने शव यात्रा में शामिल होकर नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।
शहीद की माता सुखबीर कौर ने अपने शहीद बेटे की अर्थी को कंधा देकर सारे देश निवासियों को यह संदेश दिया कि एक शहीद की माता का रूतबा कितना ऊंचा होता है। अपने आंसूओं को अपनी आंखों में समेटे हुए शहीद की माता ने कहा कि बेशक पुत्र के बिछुड़ने का गम उन्हें बहुत है परंतु उसकी शहादत पर मुझे गर्व है। उन्होंने बताया कि उसके बड़े दो पुत्र भी भारतीय सैना में सेवाएं निभा रहे हैं, लेकिन यदि कभी उन्हें अवसर मिला तो उन्हें भी देश से कुर्बान करने से गुरेज नहीं करेंगी।
उन्होंने बताया कि जब उनके पति शहीद हुए तो मनप्रीत सिंह एक वर्ष का था, बचपन में ही उसके दिल में सेना में भर्ती होने का जज्बा था। उसकी इसी आशा को पूरा करते हुए अगस्त 2002 में उसे भारतीय सेना में भेज दिया। आज अपनी शहादत देकर उसने यह साबित कर दिया है कि उसमें देश प्यार की भावना इस कदर भरी थी कि गम्भीर रूप में घायल होने के बावजूद भी वह अपने 20 साथी सैनिकों को बचाते हुए अपना बलिदान दे गया।
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