भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग आज मैंने संसद में लोकसभा संचालन के नियम-377 के अधीन रखते हुए कहा कि विश्व की सबसे बड़ी बोली भोजपुरी लगभग 70 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 16 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। उ.प्र., बिहार, मध्य प्रदेश तथा झारखण्ड में इसका प्रयोग व्यापक है। नेपाल के तराई क्षेत्र, मारीशश, फिजी, ट्रिनिडाड, थाईलैण्ड, हालैण्ड, मलेशिया तथा सिंगापुर सहित 27 देशों में भी इसका व्यापक आधार है। ऋग्वेद में महर्षि विश्वामित्र द्वारा ‘भोज’ शब्द जिससे भोजपुरी बनी, का उल्लेख तो है ही, महाभारत सहित विभिन्न धर्म-ग्रन्थों से होते हुए मालवा के राजा भोज, उज्जैन के भोज, गुर्जर प्रतिहार भोज, काशी तथा डुगराँव के भोज राजाओं का इतिहास भोजपुरी की व्यापकता, विशालता और प्राचीनता का गवाह है।
संत साहित्यकारों गुरू गोरखनाथ जी, चैरंगीनाथ जी, योगिराज भतृहरि, कबीरदास, कमलदास, धरमदास, धरनीदास, पलटूदास, भीखा साहेब जैसे सैकड़ों सन्त साहित्यकारों, विचारकों और चिन्तकों ने अपनी लोक कथाओं, गीतों, लोकगाथाओं और लोकोक्तियों से भोजपुरी की पीढ़ी दर पीढ़ी एक कंठ से दूसरे कंठ तक पहुंचाया। महापण्डित राहुल सांकृत्यायन, डाॅ. भगवतशरण उपाध्याय और चतुरी चाचा जैसे रचनाकारों ने भोजपुरी गद्य साहित्य को नयी ऊंचाईयाँ प्रदान की।
महोदय, जैसा कि विदित है भारतीय संविधान के मूल रूप में 14 भाषाएं ही आठवीं सूची में थी। बाद में इसमें संशोधन कर सिन्धी, कोंकड़ी, नेपाली, मैनपुरी, मैथिली, डोंगरी, संथाली और बोडो को भी शामिल कर लिया गया। भोजपुरी संस्कृति इन सभी भाषाओं का आदर करते हुए यह जानना चाहती हैं कि जिस वजह से इन बोलियों का इस सूची में शामिल किया गया उनमें से क्या कोई एक भी तत्व ऐसा है जिसे भोजपुरी पूरी न करता हो। स्वाधीनता आन्दोलन में भोजपुरिया क्षेत्र के राजा और रचनाकर सभी अंग्रेजों को भगाने के लिए कृतसंकल्प थे। वीर कुँवर सिंह, शहीद बन्धू सिंह, चित्तू पाण्डेय, मंगल पाण्डेय जहाँ अपने पराक्रम से तो फिरंगियाँ, चरखवा, बरोहिया आदि भोजपुरी साहित्यकार अपनी रचनाओं में देशप्रेम की लौ जला रहे थे।
1942 की क्रांति में समूचा भोजपुरी क्षेत्र उद्वेलित था। चैरीचैरा और बलिया की घटनाओं से अंग्रेज शासक कुपित थे, मगर अब तो हम आजाद हैं, हमारी अपनी सरकार है, यद्यपि गृह मंत्रालय ने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार भी किया है, फिर भोजपुरी के साथ यह अन्याय क्यों?
मेरी संसद के माध्यम से सरकार से अपील है कि हम 16 करोड़ लोगों की भावनाओं को समझते हुए भोजपुरी को तत्काल संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाये।
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