हिन्दू संगठित न होनेसे ही उनकी धर्मभावनाएं आहत करनेवाले ऐसे चलचित्र प्रदर्शित होते हैं !
देवता एवं सन्तोंका तुच्छतासे उल्लेख ! मन्दिरसम्बन्धी अववमानकारक वक्तव्य ! लव जिहादका उदात्तीकरण

हाल ही में प्रदर्शित हुए राजकुमार हिरानी निर्देशित और आमीर खानकी प्रमुख भूमिकाका चलचित्र पीके श्रद्धालुआेंकी भावनाएं आहत करनेवाला है । चलचित्र देखनेवाले समझ न पाए, इस प्रकारसे इस चलचित्रमें बडी खूबीसे चित्रण किया गया है, इसलिए हिन्दुआेंमें आक्रोश हो रहा है ।
सामाजिक जालस्थलपे (‘इंटरनेट’पे) इस चलचित्रके विरोधमें हिंन्दुआेंने सन्तप्त प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं । इस सन्दर्भमें शीघ्र ही पुलिस थानेमें परिवाद प्रविष्ट किया जानेवाला है
चलचित्रका आपत्तिजनक चित्रण
२. चलचित्रद्वारा धर्मपर प्रहार करते समय दिखाया गया है कि हिन्दू धर्ममें पाखण्डी बाबाआेंका महत्त्व बढ गया है तथा खरे ईश्वर सन्तोंके पास नहीं हो सकते ।
३. कुछ अनुचित धारणाआेंका इसमें प्रस्तुतिकरण किया गया है, जैसे कि सभी साधु पाखण्डी होते हैं, भक्तोंद्वारा अर्पित राशिसे भगवान शिव अथवा प्रभु श्रीरामका मन्दिर निर्माण करना अनुचित है इ. । साथमें ऐसा भी दिखाया है कि हिन्दू सन्त हिन्दुआेंको मुसलमानोंके विराधमें भडका रहे हैं ।
४. चलचित्रका नायक भगवान शिवकी भूमिका करनेवालेका पीछा करता है ।
५. लोग पीटे नहीं, इसलिए नायक मुखपर देवताआेंके चित्र लगाता है; जिससे लोग उसे पीटते नहीं है । भगवान खो गए हैं, इस आशयके हस्तपत्रक नायक बांटता है ।
६. भगवानपर श्रद्धा रखकर लोग मूर्खता करते हैं, इस आशयके अनेक प्रसंग इस चलचित्रमें घुसाए हैं ।
७. नायकका नाम पीके अर्थात मद्यपान किया हुआ, इस अर्थसे ही लिया गया है ।
८. संवादोंसे यह व्यक्त किया गया है कि मन्दिरके बाहर रखे जूते इसीलिए रखे जाते हैं कि कोई भी किसीका जूता पहने ।
९. नायक मन्दिरकी दानपेटीसे और भिखारीके कटोरेके पैसे चुराकर खर्च करता है । इसे वह एटीएम मशीन कहता है ।
१०. जन्मसे ही कोई हिन्दू, मुसलमान अथवा ईसाई नहीं होता; परन्तु उपरान्त उसे वैसा बनाया जाता है, ऐसा भी दिखाया है । इससे धर्मनिरपेक्षता दर्शकोंपर थौंपी गई है ।
११. नायक परग्रहसे आया दिखाया है । प्रत्यक्षमें यह एक चमत्कार होता है; परन्तु यही नायक यहांके सन्तोंद्वारा किए चमत्कारोंको झूठा प्रमाणित करता है ।
यह पढकर जिनका रक्त खौलता नहीं है, वे हिन्दू ही नहीं है !
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