
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी हुई संस्था धर्म जागरण मंच ने 40 ईसाइयों की 'घर वापसी' करा उन्हें सिख धर्म में शामिल कर लिया। मंगलवार को हुआ यह 'घर वापसी' का कार्यक्रम अमृतसर के ही पास गुरु की वादली के एक गुरुद्वारे में आयोजित हुआ था। यह दावा किया गया है कि जिन लोगों को सिख धर्म में वापस लाया गया है, वे ईसाइयत अपनाने से पहले मजहबी सिख (अनुसूचित जाति) थे।
धर्मान्तरित लोगों ने पहले पूजा-प्रार्थना की जिसके बाद उन्हें धार्मिक लॉकेट और सिरोपा दिए गए। इस मौके पर कोई बड़ा सिख संगठन मौजूद नहीं था। इलाके के ही कुछ सिखों ने आयोजकों और गुरुद्वारे के प्रबंधकों से पूछा कि क्या इसके (पुनर्धर्मांतरण के) बारे में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (एसजीपीसी) को बताया गया है। एक स्थानीय निवासी जगतार सिंह मान ने कहा, 'हम सारी जानकारी लेंगे और एसजीपीसी को इस बारे में बताएंगे।'
जब एक धर्मान्तरित महिला गुरमेज कौर (65) से पूछा गया कि वह सिख धर्म में वापस क्यों आईं, तो उन्होंने कहा, 'मैं बहुत गरीब हूं। मेरे पास अपने मकान का किराया चुकाने तक का पैसा नहीं है।' इसके बाद धर्म जागरण मंच के लोगों ने बीच में हस्तक्षेप किया और गुरमेज को सलाह दी कि वह रिपोर्टर्स से और बात न करें। इसी तरह भिंडर कौर (30) ने इस सवाल के जवाब में कहा कि वह गुरुद्वारे पर अपनी बहन के कहने पर आईं थीं।
जसबीर मसीह, जिनका नाम सिख धर्म अपनाने के बाद फिर से जसबीर सिंह हो गया है, ने कहा कि वह चार साल पहले ही ईसाई बने थे। उन्होंने कहा, 'लेकिन वे कह रहे थे कि हमें अपने घरों से शंकर भगवान और हमारे गुरुओं के चित्र भी घर से हटाने होंगे। यह बात मेरे बर्दाश्त के बाहर थी, इसलिए मैंने वापस अपने असली धर्म में आने का फैसला किया।'
धर्म जागरण मंच के कार्यकर्ता दिनेश शर्मा ने कहा कि एसपीजीसी के सदस्य पहले भी पुनर्धर्मांतरण कार्यक्रमों में उनकी मदद करते आए हैं और उन्हें इस आयोजन के बारे में भी सूचना दी गई थी। वहीं अमृतसर के बिशप पीके सामंतरॉय ने इस बात पर यकीन ही नहीं किया कि धर्मान्तरित लोग ईसाई थे। उन्होंने कहा, 'यदि वे अपने धर्म को जान रहे होते, तो ऐसा कभी नहीं करते। हमने कभी भी किसी को जबर्दस्ती ईसाई नहीं बनाया। ऐसे हालात में मैं निराश हूं, हमें समाज में सद्भाव लाना चाहिए।'
इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने शनिवार को फतेहगढ़ साहिब में एक कार्यक्रम के दौरान 'घर वापसी' की निंदा की थी। वहीं दूसरी और आरएसएस पंजाब में ऐसे और कार्यक्रम आयोजित कराने की बात कर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इसकी वजह से शिरोमणि अकाली दल और सरकार में उसकी सहयोगी पार्टी बीजेपी में दरार और बढ़ेगी।
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