अवैध तरीके से सीमा पार करने के आरोप में पाकिस्तान की जेल में सालों तक बंद रहे मध्य प्रदेश के बुधराम मार्को को वहां इतना प्रताड़ित किया गया कि वह विक्षिप्त हो गया। डिंडोरी जिले के विकासखंड करंजिया का रहने वाला 40 वर्षीय बुधराम 2 साल 4 महीने पाकिस्तान की जेल में रहने के बाद पिछले दिनों ही भारत लौटा है। बुधराम ने पाकिस्तान की जेल में दी गई यातनाओं के बारे में विस्तार से बताया है। बुधराम के मुताबिक, न केवल जेल के अधिकारी बल्कि साथी कैदी भी जब चाहे, उससे मारपीट करते रहते थे। जेल प्रशासन भी पाकिस्तानी कैदियों का पक्ष लेता था। यहां तक कि बुधराम की सजा की अवधि खत्म होने के बाद भी उसे आजाद नहीं किया गया था।
बुधराम के दिल से अभी भी पाकिस्तानी जेल का खौफ गया नहीं है। डरा-सहमा बुधराम फिलहाल खुलकर नहीं बोल पा रहा है। वह टूटे-फूटे शब्दों में बताता है, ''पाकिस्तान की जेल में भारतीय कैदियों के साथ बेहद बुरा बर्ताव किया जाता है। कभी भी नींद से उठाकर उनकी पिटाई की जाती है। कभी जेल प्रशासन की शह पर पाकिस्तानी कैदियों से भी उन्हें पिटवाया जाता है। भारतीय कैदियों को नमाज पढ़ने के लिए भी मजबूर किया जाता है।'' बुधराम के मुताबिक, जेल में उससे पत्थर तुड़वाए जाते थे। खाने में चावल और सब्जी मिलती थी।
बुधराम नवंबर 2011 में लापता हो गया था। परिजनों ने उसकी तलाश भी की, लेकिन उसका कोई पता नहीं चल सका। 2013 में जब आईबी की टीम घर पहुंची, तब पता चला कि बुधराम एक साल से पाकिस्तान की जेल में सजा काट रहा है। पुलिस का अनुमान है कि वह किसी के साथ पंजाब चला गया था। वहां से बुधराम अवैध रूप से बॉर्डर पार कर पाकिस्तान जा पहुंचा। वहां 5 जुलाई, 2012 को पाकिस्तानी फौज ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उस पर अवैध रूप से पाक सीमा में घुसने का मामला दर्ज किया था। 10 जुलाई, 2012 को पाक अदालत ने उसे एक साल की कैद व एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस हिसाब से उसकी सजा 10 जुलाई, 2013 को पूरी होनी थी। लेकिन उसे वापस नहीं लाया जा सका। बाद में सरकारी कोशिशों के बाद पिछले दिनों उसे पाकिस्तान ने अमृतसर में सेना के हवाले कर दिया, जहां से उसे वापस डिंडोरी लाया गया।

यातनाएं याद कर सिहर उठता है बुधराम
बुधराम के दिल से अभी भी पाकिस्तानी जेल का खौफ गया नहीं है। डरा-सहमा बुधराम फिलहाल खुलकर नहीं बोल पा रहा है। वह टूटे-फूटे शब्दों में बताता है, ''पाकिस्तान की जेल में भारतीय कैदियों के साथ बेहद बुरा बर्ताव किया जाता है। कभी भी नींद से उठाकर उनकी पिटाई की जाती है। कभी जेल प्रशासन की शह पर पाकिस्तानी कैदियों से भी उन्हें पिटवाया जाता है। भारतीय कैदियों को नमाज पढ़ने के लिए भी मजबूर किया जाता है।'' बुधराम के मुताबिक, जेल में उससे पत्थर तुड़वाए जाते थे। खाने में चावल और सब्जी मिलती थी।
लापता होने के तीन साल बाद मिला
बुधराम नवंबर 2011 में लापता हो गया था। परिजनों ने उसकी तलाश भी की, लेकिन उसका कोई पता नहीं चल सका। 2013 में जब आईबी की टीम घर पहुंची, तब पता चला कि बुधराम एक साल से पाकिस्तान की जेल में सजा काट रहा है। पुलिस का अनुमान है कि वह किसी के साथ पंजाब चला गया था। वहां से बुधराम अवैध रूप से बॉर्डर पार कर पाकिस्तान जा पहुंचा। वहां 5 जुलाई, 2012 को पाकिस्तानी फौज ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उस पर अवैध रूप से पाक सीमा में घुसने का मामला दर्ज किया था। 10 जुलाई, 2012 को पाक अदालत ने उसे एक साल की कैद व एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस हिसाब से उसकी सजा 10 जुलाई, 2013 को पूरी होनी थी। लेकिन उसे वापस नहीं लाया जा सका। बाद में सरकारी कोशिशों के बाद पिछले दिनों उसे पाकिस्तान ने अमृतसर में सेना के हवाले कर दिया, जहां से उसे वापस डिंडोरी लाया गया।
शक के घेरे में बुधराम
बुधराम अपने घर पहुंच गया है, लेकिन वह सीमा पार करके पाकिस्तान कैसे पहुंचा, पुलिस इसका पता अभी तक नहीं लगा पाई है। इससे पहले भोपाल के तीन गांवों के कुछ लोग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए काले बिच्छुओं की तस्करी करते पकड़े गए थे। बुधराम के पास से पुलिस को पाकिस्तान का वीजा और बांग्लादेशी करंसी भी मिली है। यह वीजा किसने और किस उद्देश्य से बनवाया, पुलिस इसकी पड़ताल कर रही है। इसके अलावा, इस बात की भी जांच की जा रही है कि वह किसके पास पंजाब गया था और उसे बांग्लादेशी करंसी कैसे मिली। डिंडोरी के एसपी युसुफ कुरैशी कहते हैं, "परिजनों के मुताबिक, उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन मेरे हिसाब से इतनी भी खराब नहीं। उसे बहुत ज्यादा कुछ याद नहीं रहता। चूंकि उसके पास से पाकिस्तानी वीजा भी मिला है, इसलिए हम इस मामले की जांच करा रहे हैं। उस पर न केवल नजर रखी जा रही है, बल्कि उसके पास मिले सामानों की पड़ताल भी की जा रही है।"
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