हम मुसलमान हैं, लेकिन गोरक्षा करना हमारा धर्म है। मेरे भाई ने गोरक्षा करते-करते अपनी जान दे दी। गोवंश को बचाना उसने अपना मकसद बना लिया था। इसीलिए उसने शादी भी नहीं की थी। गोकशी का धंधा मंदा पड़ने लगा तो पुलिस ने ही आरोपियों से मिलकर दिलशाद को गोली मरवाई। दिलशाद ने जान का खतरा बताकर पुलिस से सुरक्षा भी मांगी थी। ये आरोप दिलशाद भारती के भाइयों ने पुलिस पर लगाए हैं।
दिलशाद की मौत की सूचना पर तीनों भाई आरिफ, आसिफ और इमरान रोते बिलखते अस्पताल पहुंचे। भाई का मुर्दा चेहरा देखकर तीनों का गुस्सा फूट पड़ा और जमकर पुलिस पर भड़ास निकाली। अस्पताल में मौजूद पुलिस अपना सिर नीचे झुकाकर पोस्टमार्टम के कागज बनाने में जुटी रही। पुलिस ने शव भेजकर दिलशाद के भाइयों को समझाया कि आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। इमरान ने कहा कि मेरा भाई गोरक्षा में शहीद हुआ है, उसको पुलिस ने मरवाया है। गोहत्या करने वालों का विरोध करने पर पुलिस का धंधा बंद होने लगा था। उसको रास्ते से हटवाने के लिए पुलिस ने आरोपियों से मिलकर दिलशाद को गोली मरवाई। दिलशाद ने लिसाड़ीगेट पुलिस को पहले ही जानलेवा हमले का अंदेशा जताकर सुरक्षा मांगी थी।
तीन आरोपी जमानत पर बाहर हैं
दिलशाद के भाई इमरान ने बताया कि नामजद आरोपी दानिश, नदीम और दिलशाद कुछ दिन पहले जमानत पर छूटकर बाहर आ गए हैं। मुकदमा वापस न लेने पर आरोपी लगातार जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं। तीनों भाइयों को जान का खतरा बना हुआ है। पुलिस से सुरक्षा मांगते हैं तो उनको झूठा बताया जाता है। जमानत पर छूटे तीनों आरोपियों को जेल भेजने की मांग उठाई है। पुलिस ने आरोपियों को जेल भेजने का आश्वासन दिया है।
सब कुछ लुट गया हमारा
पीड़ित परिवार का कहना है कि हमारा तो सब कुछ लुट गया। दिल्ली के बड़े अस्पताल में दिलशाद का इलाज कराया, जिसमें उनके एक करोड़ 15 लाख रुपये खर्च हुए। मकान तक गिरवी रखना पड़ा, बावजूद दिलशाद की जान नहीं बची। 13 जनवरी को दिल्ली के डॉक्टरों ने जवाब दे दिया तो उसको घर पर ले आए थे। 15 जनवरी को तबीयत खराब होने पर फिर परिजनों ने उसको बागपत रोड स्थित अस्पताल में भर्ती कराया था।
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