पिछले एक दशक पर गौर करें तो एक बार फिर से देश में मुस्लिमों की आबादी में इजाफा हुआ है। जनगणना-2011 के आंकड़ों के आधार पर ये दावा टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में किया गया है।
दरअसल धार्मिक समूहों की जनसंख्या पर आधारित जनगणना के नए आंकड़े जल्द ही जारी होने वाले हैं। उससे पहले टाइम्स ऑफ इंडिया में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक साल 2001 से साल 2011 के बीच देश में मुस्लिमों की जनसंख्या में करीब 24 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है।
हालांकि उनकी जनसंख्या में इजाफा तो हुआ है लेकिन पिछले दशक के मुकाबले उनकी जनसंख्या वृद्धि में गिरावट हुई है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 साल में देश में मुस्लिमों की कुल जनसंख्या 13.4 फीसदी से बढ़कर 14.2 फीसदी पर पहुंच गई है।
दरअसल धार्मिक समूहों की जनसंख्या पर आधारित जनगणना के नए आंकड़े जल्द ही जारी होने वाले हैं। उससे पहले टाइम्स ऑफ इंडिया में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक साल 2001 से साल 2011 के बीच देश में मुस्लिमों की जनसंख्या में करीब 24 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है।
हालांकि उनकी जनसंख्या में इजाफा तो हुआ है लेकिन पिछले दशक के मुकाबले उनकी जनसंख्या वृद्धि में गिरावट हुई है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 साल में देश में मुस्लिमों की कुल जनसंख्या 13.4 फीसदी से बढ़कर 14.2 फीसदी पर पहुंच गई है।
हालांकि ये आंकड़े पिछले दशक के आंकड़ों से काफी कम है। 1991 से साल 2001 के बीच सामने आए ऐसे ही आंकड़ों में मुस्लिमों जनसंख्या में वृद्धि करीब 29 फीसदी थी। जो इस बार 18 फीसदी पर पहुंच गई है। गिरावट के बाद भी अगर उनकी जनसंख्या वृद्धि की दर देखी जाए तो अब भी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है।
वहीं अगर राज्यों के मुकाबले में इन आंकड़ों को देखें तो मुस्लिमों की जनसंख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी असम में हुई। यहां साल 2001 में मुस्लिमों की जनसंख्या 30.9 फीसदी थी जो इस दशक में बढ़कर 34.2 फीसदी पहुंच गई है। इस समस्या की सबसे बड़ी वजह बांग्लादेश से घुसपैठ कर आने वाले अवैध अप्रवासी हैं।
इस समस्या से असम ही नहीं पश्चिम बंगाल भी जूझ रहा है। यहां भी अवैध अप्रवासियों के चलते मुस्लिमों की संख्या में इजाफा हुआ है। पश्चिम बंगाल में साल 2001 के 25.2 फीसदी के आंकड़ों के मुकाबले साल 2011 में ये इजाफा 27 फीसदी पहुंच गई है। यानी पिछले दस साल में यहां करीब 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है।
वहीं अगर राज्यों के मुकाबले में इन आंकड़ों को देखें तो मुस्लिमों की जनसंख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी असम में हुई। यहां साल 2001 में मुस्लिमों की जनसंख्या 30.9 फीसदी थी जो इस दशक में बढ़कर 34.2 फीसदी पहुंच गई है। इस समस्या की सबसे बड़ी वजह बांग्लादेश से घुसपैठ कर आने वाले अवैध अप्रवासी हैं।
इस समस्या से असम ही नहीं पश्चिम बंगाल भी जूझ रहा है। यहां भी अवैध अप्रवासियों के चलते मुस्लिमों की संख्या में इजाफा हुआ है। पश्चिम बंगाल में साल 2001 के 25.2 फीसदी के आंकड़ों के मुकाबले साल 2011 में ये इजाफा 27 फीसदी पहुंच गई है। यानी पिछले दस साल में यहां करीब 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है।
अन्य राज्यों में भी इनकी वृद्धि दर में इजाफा देखा गया है। साल 2011 के आंकड़ों के मुताबिक केरल में ये आंकड़ा 24.7 फीसदी से बढ़कर 26.6 फीसदी तक पहुंच गया है।
उत्तराखंड की बात करें तो यहां भी मुस्लिमों की आबादी में तेज बढ़ोतरी दर्ज हुई है। यहां 11.9 फीसदी से मुकाबले इस बार 13.9 फीसदी पहुंच गई है।
गोवा में ये आंकड़ा 6.8 फीसदी से बढ़कर 8.4 फीसदी पर पहुंच गई है। जम्मू-कश्मीर में ये बढ़ोतरी 67 फीसदी से बढ़कर 68.3 फीसदी पर पहुंच गई है।
हरियाणा में 5.8 फीसदी के मुकाबले आंकड़ा 7 फीसदी पर पहुंचा है। वहीं देश की राजधानी दिल्ली की बात की जाए तो यहां भी आंकड़ों में उछाल आया है। दिल्ली में 11.7 फीसदी से बढ़कर आंकड़ा 12.9 फीसदी पर पहुंच गया है।
उत्तराखंड की बात करें तो यहां भी मुस्लिमों की आबादी में तेज बढ़ोतरी दर्ज हुई है। यहां 11.9 फीसदी से मुकाबले इस बार 13.9 फीसदी पहुंच गई है।
गोवा में ये आंकड़ा 6.8 फीसदी से बढ़कर 8.4 फीसदी पर पहुंच गई है। जम्मू-कश्मीर में ये बढ़ोतरी 67 फीसदी से बढ़कर 68.3 फीसदी पर पहुंच गई है।
हरियाणा में 5.8 फीसदी के मुकाबले आंकड़ा 7 फीसदी पर पहुंचा है। वहीं देश की राजधानी दिल्ली की बात की जाए तो यहां भी आंकड़ों में उछाल आया है। दिल्ली में 11.7 फीसदी से बढ़कर आंकड़ा 12.9 फीसदी पर पहुंच गया है।
इन आंकड़ों में जहां देश के विभिन्न राज्यों में इजाफा देखने को मिला है वहीं मणिपुर एकमात्र ऐसा राज्य है जहां मुस्लिमों की आबादी में गिरावट देखी गई है। ये गिरावट 0.4 फीसदी के आस-पास है।
बताया जा रहा है कि जनसंख्या वृद्धि का ये आंकड़ा पिछले साल मार्च में ही जनगणना कार्यालय ने तैयार किए थे। हालांकि चुनावी मौसम को देखते हुए इसे जारी करने से यूपीए सरकार ने रोक लगा दी थी।
हालांकि जब ये मामला गृहमंत्री राजनाथ सिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने इन आंकड़ों तो तुरंत जारी करने के लिए रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया और जनगणना कमिश्नर सी चंद्रमौली को कहा। राजनाथ सिंह ने बुधवार को ही इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि ये आंकड़े जल्द ही सबके सामने आएंगे।
बताया जा रहा है कि जनसंख्या वृद्धि का ये आंकड़ा पिछले साल मार्च में ही जनगणना कार्यालय ने तैयार किए थे। हालांकि चुनावी मौसम को देखते हुए इसे जारी करने से यूपीए सरकार ने रोक लगा दी थी।
हालांकि जब ये मामला गृहमंत्री राजनाथ सिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने इन आंकड़ों तो तुरंत जारी करने के लिए रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया और जनगणना कमिश्नर सी चंद्रमौली को कहा। राजनाथ सिंह ने बुधवार को ही इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि ये आंकड़े जल्द ही सबके सामने आएंगे।
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