
इतिहास में उल्लेख मिलता है कि प्रथम मुगल बादशाह बाबर ने अपने बेटे हुमायूं को मरते वक्त वसीयत की थी कि 'ऐ मेरे प्यारे बेटे। इस मुल्क के लोगों को यदि अपना बनाना हो और तुम्हें उनका दिल जीतना हो तो गौ हत्या पर रोक लगाना।
अबुल फजल ने आईने-अकबरी में लिखा है कि अकबर ने हिन्दू भावनाओं का सम्मान करते हुए गौ हत्या पर प्रतिबन्ध लगाई थी! बर्नियर ने अपने यात्रा विवरण में इस बात का जिक्र किया है कि जहांगीर के शासन काल में भी गौ हत्या पर रोक थी! कुछ मुगल बादशाहों को अगर छोड़ दे तो अधिकांश मुगल बादशाहों के समय में गौ हत्या पूरी तरह प्रतिबंधित थी।
अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर ने तो 28 जुलाई 1857 को बकरीद के मौके पर गाय की कुरबानी नहीं करने का फरमान जारी किया था और यह ऐलान कर दिया था कि गौ हत्यारे के लिये मौत की सजा होगी। इसके साथ ही दक्षिण में हैदर अली और टीपू सुल्तान तथा अवध में नबाब वाजिद अली शाह के समय भी गौ हत्या प्रतिबंधित थी।
वन्दे गौमातरम
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