Friday, 23 January 2015

अमेरिका के दवाब में पाकिस्तान का आतंकी हाफिज पर बड़ा ‘एक्शन’


hafiz

मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पाकिस्तान सरकार ने हाफिज के संगठन जमात-उद-दावा को प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाल दिया है। इतना ही नहीं नवाज सरकार ने कुख्यात हक्कानी नेटवर्क को प्रतिबंधित संगठनों की सूची में शामिल कर दिया है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के दबाव में कादम उठाया है।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि जमात-उद-दावा और कई गुटों पर प्रतिबंध का फैसला सरकार ने कई दिन पहले किया था तथा इसके कार्यान्वयन का तौर तरीका तय करने का जिम्मा गृह मंत्रालय को सौंपा गया था। इसके बाद मंत्रालय ने जमात-उद-दावा तथा फलाह-ए़-इन्सानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) को चरमपंथ एवं उग्रवाद में उनकी संलिप्तता के लिए प्रतिबंधित संगठन की सूची में डाल दिया। दोनों गुटों का नेतृत्व हाफिज सईद करता है।
डॉन अखबार के मुताबिक, अमेरिका हक्कानी नेटवर्क तथा जमात-उद-दावा पर प्रतिबंध की मांग कर रहा था, लेकिन पाकिस्तान सरकार आनाकानी कर रही थी। यह निर्णय अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा से पहले किया गया है। ओबामा भारत जा रहे हैं और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि होंगे।
प्रतिबंधित संगठनों की सूची में शामिल अन्य गुटों में हरकत-उल-जिहाद इस्लामी, हरकत-उल-मुजाहिद्दीन, उम्मा तामीर-ए-नौ, हाजी खरूल्ला हाजी सत्तार मनी एक्सचेंज, राहत लिमिटेड, रोशन मनी एक्सचेंज, अल अख्तर ट्रस्ट और अल राशिद ट्रस्ट हैं। प्रतिबंध के बाद इन गुटों की संपत्ति सील कर दी जाएगी।
इससे पहले एक अधिकारी ने कहा था कि सरकार जमात-उद-दावा को प्रतिबंधित गुट घोषित करने से पहले, उसका नाम निगरानी सूची में डालेगी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुंबई हमले के बाद जमात-उद-दावा को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा कहा था। तब से संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने जमात-उद-दावा के कई नेताओं पर प्रतिबंध लगा रखा है।
हक्कानी नेटवर्क की स्थापना जलालुद्दीन हक्कानी ने की थी। इस संगठन पर वर्ष 2008 में अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास पर बम हमला, वर्ष 2011 में काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास पर हमला तथा अफगानिस्तान में कई बड़े ट्रक बम हमले के प्रयास करने का आरोप है। वर्ष 2008 में अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास पर किए गए बम हमले में 58 लोग मारे गए थे।
अमेरिकी और अफगान अधिकारी बार बार कहते रहे हैं कि पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई अफगानिस्तान में अपना प्रभाव फैलाने के लिए हक्कानी नेटवर्क को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देती है। इस्लामाबाद इस आरोप का खंडन करता है। अमेरिका ने सितंबर 2012 में इस गुट को एक आतंकी संगठन घोषित किया था।

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