Wednesday, 31 December 2014

पीके: 5 सीन 5 विवाद ?

आमिर ख़ान की फ़िल्म पीके में ऐसा क्या है जिसकी वजह से हिंदू, मुस्लिम और सिख धार्मिक संगठन फ़िल्म का विरोध कर रहे हैं.
1. पीके फ़िल्म में एक सीन है, जिसमें एक पुजारी एक शख़्स से कहता है कि अपने परिवार के एक बीमार आदमी को ठीक करने के लिए उसे हिमालय स्थित एक मंदिर में जाना चाहिए.
पीके किरदार इसमें आकर पूछता है कि क्या ये सच है कि क्या सभी इंसान भगवान के बेटे और बेटियां हैं. पुजारी हां कहता है, तो पीके दूसरा सवाल पूछता है, "कौन पिता पहले से परेशान अपने बेटे को एक मुश्किल यात्रा पर भेजना चाहेगा."
2. फ़िल्म के एक सीन में पीके भगवान शिव की भूमिका निभा रहे किरदार का पीछा करता हुआ नजर आता है और उनकी गर्दन में उनका ही त्रिशूल टिका देता है. बजरंग दल के उत्तर प्रदेश सचिव अज्जू चौहान ने बीबीसी से बताया, "फ़िल्म में भगवान शिव का अटपटे से चित्रण किया गया है."
3. फ़िल्म के गाने 'भगवान है कहां रे तू पूरे गाने में' पीके हर धर्म से जुड़ी मान्यताओं को निभाते नजर आते हैं और ये सब वे अपना रिमोट कंट्रोल हासिल करने के लिए करते हैं.
इसके बाद पीके इस निष्कर्ष पर भी पहुंचता है कि कमोबेश हर धर्म का गुरू अपने धर्म के नाम पर कारोबार कर मुनाफा कमा रहा है. बजरंग दल के अज्जू चौहान ने बीबीसी को बताया," धर्म गुरुओं को फूहड़ता से प्रदर्शित किया गया है. भगवान के प्रति जो शब्दावली का इस्तेमाल हुआ है, वो भी ग़लत है."
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संयोजक जफ़रयाब जिलानी ने बीबीसी को बताया, "फ़िल्म बनाने वालों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि ये देश मज़हबी मुल्क है और इसलिए उनको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि किसी के जज़्बात को ठेस नहीं पहुंचे."
4. इस फ़िल्म को लेकर मुस्लिम संगठनों ने भी नाराजगी दिखाई है. आमिर ख़ान एक सीन में दरगाह की ओर वाइन लेकर जाते दिखाई देते हैं.
लेकिन बजरंग दल के अज्जू चौहान ने बीबीसी से कहा, " अगर फ़िल्म में आमिर ख़ान ने हिंदू धर्मगुरुओं की तरह ही इस्लामिक धर्मगुरुओं का मज़ाक उड़ाया होता, तो उनके ख़िलाफ़ फतवे जारी हो जाते और उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ता."
5. सिख समुदाय के लोग भी फ़िल्म को लेकर बेहद आहत हैं. फ़िल्म के एक सीन में एक सिख को खुले बालों में हिंदू पंडित के तौर पर दिखाया गया है (इस सीन में ये दिखाया गया है कि सभी धर्म को लोग अपने कपड़े बदल लेते हैं, हिंदू सिख बन जाता है, ईसाई मुसलमान बन जाते हैं).
सिख समुदाय के लोगों की आपत्ति ये है कि सिख खुले बाल में नहीं घुमते फिरते. इस फ़िल्म के एक सीन में एक सिख को अपनी पत्नी को मैरिज एनिवर्सरी की पार्टी देने के लिए झूठ बोलकर भीख मांगते हुए भी दिखाया गया है.
इन विवादों पर आमिर ख़ान ने कहा है कि फ़िल्म के इन सीनों को पूरे सिक्वेंस देखने से कहानी समझ में आएगी और इन सीनों को फ़िल्म के सिचुएशन से अलग कर नहीं देखा जाना चाहिए.

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