Wednesday, 31 December 2014

पंजाब में ईसाइयों की ‘घर वापसी’, सिख धर्म अपनाया


ईसाई धर्म छोड़ फिर बने सिख

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी हुई संस्था धर्म जागरण मंच ने 40 ईसाइयों की 'घर वापसी' करा उन्हें सिख धर्म में शामिल कर लिया। मंगलवार को हुआ यह 'घर वापसी' का कार्यक्रम अमृतसर के ही पास गुरु की वादली के एक गुरुद्वारे में आयोजित हुआ था। यह दावा किया गया है कि जिन लोगों को सिख धर्म में वापस लाया गया है, वे ईसाइयत अपनाने से पहले मजहबी सिख (अनुसूचित जाति) थे।

धर्मान्तरित लोगों ने पहले पूजा-प्रार्थना की जिसके बाद उन्हें धार्मिक लॉकेट और सिरोपा दिए गए। इस मौके पर कोई बड़ा सिख संगठन मौजूद नहीं था। इलाके के ही कुछ सिखों ने आयोजकों और गुरुद्वारे के प्रबंधकों से पूछा कि क्या इसके (पुनर्धर्मांतरण के) बारे में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (एसजीपीसी) को बताया गया है। एक स्थानीय निवासी जगतार सिंह मान ने कहा, 'हम सारी जानकारी लेंगे और एसजीपीसी को इस बारे में बताएंगे।'

जब एक धर्मान्तरित महिला गुरमेज कौर (65) से पूछा गया कि वह सिख धर्म में वापस क्यों आईं, तो उन्होंने कहा, 'मैं बहुत गरीब हूं। मेरे पास अपने मकान का किराया चुकाने तक का पैसा नहीं है।' इसके बाद धर्म जागरण मंच के लोगों ने बीच में हस्तक्षेप किया और गुरमेज को सलाह दी कि वह रिपोर्टर्स से और बात न करें। इसी तरह भिंडर कौर (30) ने इस सवाल के जवाब में कहा कि वह गुरुद्वारे पर अपनी बहन के कहने पर आईं थीं।


जसबीर मसीह, जिनका नाम सिख धर्म अपनाने के बाद फिर से जसबीर सिंह हो गया है, ने कहा कि वह चार साल पहले ही ईसाई बने थे। उन्होंने कहा, 'लेकिन वे कह रहे थे कि हमें अपने घरों से शंकर भगवान और हमारे गुरुओं के चित्र भी घर से हटाने होंगे। यह बात मेरे बर्दाश्त के बाहर थी, इसलिए मैंने वापस अपने असली धर्म में आने का फैसला किया।'


धर्म जागरण मंच के कार्यकर्ता दिनेश शर्मा ने कहा कि एसपीजीसी के सदस्य पहले भी पुनर्धर्मांतरण कार्यक्रमों में उनकी मदद करते आए हैं और उन्हें इस आयोजन के बारे में भी सूचना दी गई थी। वहीं अमृतसर के बिशप पीके सामंतरॉय ने इस बात पर यकीन ही नहीं किया कि धर्मान्तरित लोग ईसाई थे। उन्होंने कहा, 'यदि वे अपने धर्म को जान रहे होते, तो ऐसा कभी नहीं करते। हमने कभी भी किसी को जबर्दस्ती ईसाई नहीं बनाया। ऐसे हालात में मैं निराश हूं, हमें समाज में सद्भाव लाना चाहिए।'

इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने शनिवार को फतेहगढ़ साहिब में एक कार्यक्रम के दौरान 'घर वापसी' की निंदा की थी। वहीं दूसरी और आरएसएस पंजाब में ऐसे और कार्यक्रम आयोजित कराने की बात कर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इसकी वजह से शिरोमणि अकाली दल और सरकार में उसकी सहयोगी पार्टी बीजेपी में दरार और बढ़ेगी।

पटना : दो साल यौन शोषण, MMS बनाया, फिर कहा- मुस्लिम बनो तो करूंगा शादी



पटना: बिहार में एक लड़की को शादी का झांसा देकर बलात्कार करने और धर्म बदलने का दबाव डालने का मामला सामने आया है। मुजफ्फरपुर के 22 वर्षीय आरोपी मेराज जौहर ने पटना के कदमकुआं थाना इलाके में रहने वाली 18 वर्षीया लड़की को शादी का झांसा देकर दो साल तक दुष्कर्म किया। उसने लड़की की अश्लील क्लिपिंग भी बना ली थी और उसे कई माह से ब्लैकमेल कर रहा था।
जौहर चंडीगढ़ स्थित एक निजी संस्थान में कम्प्यूटर साइंस का तृतीय वर्ष का छात्र है। वह 22 दिसंबर को पटना पहुंचा और छात्रा को फोन कर इको पार्क बुलाया। उसने छात्रा से शादी करने के लिए धर्म परिर्वतन करने की शर्त रखी। इससे वह भड़क गई और उसने जौहर की सारी करतूतों की जानकारी परिजनों को दी। उसके बाद परिजन के कहने पर पीड़िता ने महिला थाने में जौहर के खिलाफ केस दर्ज कराया।
पीड़िता ने दुष्कर्म, धोखा देने और धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया है। पीड़िता पश्चिम बंगाल के एक निजी संस्थान में इलेक्ट्राॅनिक व कम्युनिकेशन की द्वितीय वर्ष की छात्रा है।

सहेली ने कराई थी जौहर से मुलाकात

पीड़िता ने प्राथमिकी में कहा है कि दो वर्ष पहले एक सहेली ने जौहर से पटना में मुलाकात कराई थी। उसके बाद से जौहर से फोन पर बातचीत होती रही। फिर प्यार हो गया। छुट्टी में कई बार वह घुमाने ले गया। शादी का वादा कर शारीरिक संबंध भी बनाए। उसने मेरी अश्लील तस्वीर भी बना ली और ब्लैकमेल करता रहा।

मेडिकल जांच होगी

थानेदार मृदुला कुमारी ने कहा, “छात्रा की मेडिकल जांच होगी और उसकी सहेली से पूछताछ होगी। आरोपी की तलाश की जा रही है।”

आतंक का चेहरा

मुंबई के आतंकी हमले के आरोपी जकीउर रहमान लखवी को पाकिस्तान ने कभी आतंकी माना ही नहीं, इसी का नतीजा है कि वहां की एक अदालत ने उसकी नजरबंदी को खारिज करने का फैसला दे दिया है। यह पूरा प्रकरण आतंकवाद पर पाकिस्तान के दोहरे रुख की फिर से पुष्टि करता है।

पेशावर में हुए हमले के बाद जब पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की दुहाई दे रही थी, ठीक उसी वक्त वहां की एक अदालत ने लखवी को मुंबई के 26/11 के हमले के सिलसिले में जमानत दे दी थी। लखवी को इस हमले में जीवित पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब के भारत में दिए गए बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था, मगर पाकिस्तानी अदालत भारत द्वारा दिए गए सुबूतों को मान ही नहीं रही है। कसाब को भारतीय अदालत ने फांसी की सजा दे दी, पर पाकिस्तानी अदालत में यह मामला दो कदम भी आगे नहीं बढ़ सका है।

यही नहीं, इस हमले का असली साजिशकर्ता हाफिज सईद न केवल खुलेआम घूम रहा है, बल्कि लगातार भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण भी दे रहा है। भारत के कड़े रुख के बाद लखवी को रिहा भले न किया गया हो, पर उसे हिरासत में आतंकी धाराओं के तहत नहीं, बल्कि जनसुरक्षा आदेश के तहत रखा गया है और उस आदेश को भी अदालत ने पलट दिया है। इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि आतंकवाद पर पाकिस्तानी सरकार और वहां की फौज का रुख अलग-अलग है।

हकीकत यह है कि भारत के दबाव के बाद नवाज शरीफ सरकार ने लखवी की जमानत को ऊपरी अदालत में चुनौती देने का वायदा किया था, मगर आज तक उसने ऐसा नहीं किया है। उसे अदालत के फैसले की कॉपी लेने में ही एक हफ्ते लग गए! ऐसा नहीं हो सकता है कि पाकिस्तान अपनी जमीन से तो आतंकियों का सफाया कर ले और भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने दे। यह आग से खेलने जैसी बात है।

बंगलूरू में हुए ताजा धमाके में हालांकि यह पुष्टि नहीं हुई है कि इसे किस संगठन ने अंजाम दिया था, पर आतंकवाद भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए दोनों को एक दूसरे के साथ की जरूरत है। यदि अच्छे और बुरे तालिबान में फर्क नहीं है, तो भारत और पाकिस्तान में होने वाले आतंकी हमलों में भी फर्क नहीं किया जाना चाहिए।

जनता परिवार की जद्दोजहद !


जनता परिवार की जद्दोजहद !

सत्ता बनाए रखने और सत्ता हथियाने के मकसद से एक बार फिर गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई राजनैतिक दलों के मेल-मिलाप की गतिविधियां तेज हो गई हैं, और राजनैतिक हलकों से जो संकेत मिल रहे हैं उसके आधार पर कहा जा सकता है कि जल्दी ही गैर कांग्रेसी, गैर बीजेपी और गैर वामपंथी दलों की नई पार्टी बन जाएगी।
नए दलों का बनना और टूटना राजनीतिक प्रक्रिया की सामान्य घटनाएं हुआ करती हैं, लेकिन इस बार जिस प्रस्तावित समाजवादी जनता दल के गठन की कोशिश की जा रही है उसके पीछे सांप्रदायिक ताकतों के मुकाबले धर्मनिरपेक्ष ताकतों को लामबंद करने की दुहाई है। दिलचस्प बात ये है कि प्रस्तावित समाजवादी जनता दल में शामिल होने वाले ज्यादातर नेतागण समय-समय पर उन्हीं कथित सांप्रदायिक लोगों के साथ मिलकर सत्ता का सुख भोगते रहे हैं।
उदाहरण के लिए 1977 में इंदिरा गांधी के मुकाबले गठित जनता पार्टी में ये सभी कथित धर्मनिरपेक्ष नेतागण शामिल थे और आपातकाल के दौरान भी ये सभी नेतागण उन्हीं कथित सांप्रदायिक नेताओं के साथ 19 महीने जेल में भी रहे। ये अलग बात है कि सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की महात्वाकांक्षा ने जनता पार्टी का विघटन करा दिया और dual citizenship का मुद्दा बनाकर ये सभी कथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं ने खुद को अलग कर लिया। ऐसे धर्मनिरपेक्ष नेताओं को एक बार फिर राजीव गांधी के मुकाबले उन्हीं कथित सांप्रदायिक नेताओं के साथ मिलकर सत्ता में अंदर और बाहर हिस्सेदारी करते देखा गया जब वी पी सिंह को पीएम बनाने के लिए दोनों विचारधाराओं के लोग वामपंथी दलों के साथ एकजुट हो गए थे।
ऐसे नेताओं की राजनैतिक अवसरवादिता का सबसे बड़ा उदाहरण पं. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में संगठित होने वाले NDA में सहयोगी दलों के रूप में देखने को मिला था, जब पंडित अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठित NDA में शरद यादव जैसे दिग्गज समाजवादी और रामविलास पासवान जैसे गरीबों के मसीहा जैसे लोग मंत्रिमंडल में शामिल दिखाई दिए। अटल जी की अस्वस्थता के बाद NDA के संयोजक का पद हथियाते समय भी शायद समाजवादी शरद यादव को कहीं सांप्रदायिकता की बू नहीं आई ठीक इसी तरह नीतीश कुमार लंबे समय तक बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में सरकार चलाते रहे। कमोबेश यही स्थिति कर्नाटक में एच डी देवगौड़ा की भी रही। एचडी देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी बीजेपी के साथ मिलकर कुछ दिन तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे, रामविलास पासवान सरीखे नेता पहले से ही अवसरवादिता की राजनीति के लिए मशहूर रहे हैं।
 
अब इन नेताओं की बेचैनी का कारण अपना अस्तित्व बचाए रखना है।  नरेंद्र मोदी के सामने एक के बाद एक राजनैतिक पराजय झेल रहे ये नेतागण एक बार फिर वही घिसा-पिटा सांप्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता का राग अलाप रहे हैं ताकि 2016 में बिहार और 2017 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी राजनैतिक जमीन बचा सकें। समय के साथ खुद को अप्रासंगिक होते देख ऐसे नेताओं की मन:स्थिति का अंदाज़ा आपस में छत्तीस का आंकड़ा होते हुए भी इन के एक होने के प्रयासों में दिख रहा है। हालांकि इस बार तीसरे मोर्चे की कवायद से वामपंथी दलों ने खुद को अलग रखा है। ऐसे में बिना वामपंथी दलों के गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी दल मिलकर कितनी मजबूत पार्टी बना पाते हैं ये देखने वाली बात होगी।

सुरक्षा बलों को रक्षा मंत्री पर्रिकर का निर्देश, पाक को दोगुनी ताकत से जवाब दो


सुरक्षा बलों को रक्षा मंत्री पर्रिकर का निर्देश, पाक को दोगुनी ताकत से जवाब दो

 पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम का बार-बार उल्लंघन किए गए जाने की पृष्ठभूमि में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सुरक्षा बलों को निर्देश दिया है कि वे पीछे न रहें और ‘दोगुनी ताकत’ के साथ जवाब दें।
उनकी यह टिप्पणी उस वक्त आई जब कल जम्मू जिले के पल्लनवाला सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा किए गए संघर्ष विराम उल्लंघन के दौरान भारतीय सेना का एक जवान घायल हो गया। बीते एक सप्ताह के दौरान पाकिस्तान की ओर से यह पांचवीं बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया।
पिछले साल की तुलना में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम की घटनाओं में कमी आने का उल्लेख करते हुए पर्रिकर ने कहा कि हालांकि संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाएं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बढ़ी हैं। यह पूछे जाने पर कि सुरक्षा बलों को क्या निर्देश दिया गया है, रक्षा मंत्री ने बीती रात पत्रकारों से कहा, ‘हमारी (राजग सरकार) प्रतिक्रिया यह है कि हिचकिचाना नहीं है। खुद को बिना रोके उचित ढंग से जवाब दें।’
उन्होंने कहा कि अगर सीमा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन होता है तो भारतीय जवानों को ‘दोगुनी ताकत के साथ’ जवाब देना चाहिए और सेना की चौकियों पर हमला होता है तो आतंकवादियों को बेअसर करने की जरूरत है। रक्षा मंत्री पर्रिकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय जवान संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन नहीं करते, बल्कि वे पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से इसका उल्लंघन किए जाने पर सिर्फ जवाब देते हैं।
असम में बोडो उग्रवादियों के हमले को लेकर पर्रिकर ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि सेना ने हमले पर प्रतिक्रिया करने में देर की और उन्होंने कहा कि सेना को स्थायी प्रशासन से आग्रह के लिए इंतजार करना पड़ा था। उन्होंने कहा, ‘हमले की खबरें मीडिया में आने के पहले से ही हम अलर्ट हो गए थे। वहां तैनात सैन्य बल तैयार थे, लेकिन हमें स्थानीय प्रशासन से आग्रह के लिए प्रतीक्षा करनी था।’
पर्रिकर ने कहा, ‘जैसे ही स्थानीय प्रशासन की ओर से आग्रह किया गया, हमनें सैन्य बलों को तैनात कर दिया।’ उन्होंने कहा कि असम में अब सेना की 73 टुकड़ियां तैनात हैं। राज्य में बोडो उग्रवादियों ने पिछले सप्ताह कई आदिवासियों को मार डाला था।

आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट ने टि्वटर यूजर्स से पूछा- 'जॉर्डन के पायलट की हत्‍या किस तरीके से करें'

इस्लामिक स्टेट की एक और अमानवीयता
बेरुत : आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह ने जॉर्डन के पायलट को उसका विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद बंधक बना लिया था। पायलट का विमान पिछले सप्ताह उत्तरी सीरिया में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। अब आईएस ने क्रूरता की नई हदें पार करते हुए इस बार माइक्रो ब्लॉगिंग साइट टि्वटर के यूजर्स से जॉर्डन के बंधक बनाए गए पायलट की हत्या करने के तरीकों पर लोगों से सुझाव मांगे हैं।
गौर हो कि इराक और सीरिया में आतंक मचाने वाले इस संगठन ने सोशल मीडिया के जरिये भी दुनिया में अपने आतंक की धमक देनी शुरू कर दी है। उसके समर्थकों ने अरबी भाषा में लिखे गए एक पोस्ट को हजारों बार दोबारा टि्वट किया है जिसमें लिखा गया है, जॉर्डन के पायलट को मारने के तरीके पर अपना सुझाव दें। इस पोस्ट के बाद आईएस के कई समर्थकों ने मोआज के नाम से जाने जाने वाले पायलट फ र्स्ट लेफ्टिनेंट मुआथ अल खासेसबेह को मारने के तरीके बताते हुए बड़ी ही वीभत्स तस्वीरें और कई सुझाव पोस्ट किए हैं।
जॉर्डन के इस पायलट को आईएस ने गत 24 दिसंबर को बंधक बनाया था। पायलट का विमान सीरिया के रक्का प्रांत में गिरा था, जो आईएस के कब्जे वाले इलाकों की राजधानी मानी जाती है। आईएस ने इस विमान को मार गिराने का दावा किया है, लेकिन अमरीका ने उसके इस दावे को खारिज किया है। आईएस ने साथ ही पायलट के एक साक्षात्कार को अपनी मासिक अंग्रेजी भाषा की पत्रिका में प्रकाशित किया है। इसमें उससे पूछा गया है कि तुम्हें पता है कि आईएस तुम्हारे साथ क्या करेगा और वह इसका जवाब देता है कि हां, वह मुझे मार देगा। पायलट ने बताया कि उसका एफ 16 विमान किसी मिसाइल से टकराकर गिरा है। उसने साथ ही वायु सेना के अड्डे पर बिताई अपनी जिंदगी के कुछ पलों को भी बताया है।
उसने बताया कि वहां वह अमरीकी सैनिकों के साथ खाना खाता था। जॉर्डन ने अभी इस साक्षात्कार के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है। आईएस ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के किसी पायलट को बंधक बनाया है।
गौर हो कि इस्लामिक स्टेट समूह ने जॉर्डन के उस पायलट का एक साक्षात्कार प्रकाशित किया है जिसका विमान पिछले सप्ताह उत्तरी सीरिया में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। सितंबर के महीने में आईएस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन द्वारा हवाई अभियान शुरू किये जाने के बाद से जार्डन का 26 वर्षीय पायलट चरमपंथियों के हाथ आने वाला पहला विदेशी सैन्य पायलट है।

सरकार एकतरफा नहीं लाएगी धर्मांतरण विरोधी कानून : वेंकैया नायडू


सरकार एकतरफा नहीं लाएगी धर्मांतरण विरोधी कानून : वेंकैया नायडू

तिरूवनंतपुरम : पुनर्धर्मांतरणों को लेकर विवाद उत्पन्न होने पर धर्मांतरण विरोधी कानून लाने का विचार व्यक्त करने वाली सरकार ने आज स्पष्ट किया कि वह ऐसा कानून एकतरफा तौर पर नहीं लाएगी।
केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने यहां कहा, ‘धर्मांतरण रोधी कानून लाना सरकार की प्राथमिकता नहीं है और सरकार का एकतरफा तौर पर धर्मांतरण विरोधी कानून लाने का कोई इरादा नहीं है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार किसी धर्मांतरण विरोधी कानून पर काम कर रही है, उन्होंने नकारात्मक जवाब दिया।
यद्यपि नायडू ने कहा, ‘यदि आमसहमति बनती है, यदि विपक्ष भी सोचता है कि इसकी जरूरत है, इस पर विचार किया जा सकता है।’ नायडू ने कहा कि सरकार की देश के कुछ हिस्सों में चल रहे ‘घर वापसी’ कार्यक्रमों में कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा है।
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह नरेंद्र मोदी सरकार के विकास के एजेंडा को पटरी से उतारने के लिए धर्मांतरण का मुद्दा उठा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस कम्युनिस्टों की सहायता से सरकार के खिलाफ ‘दुष्प्रचार अभियान’ चला रही है।

ताजमहल तोड़कर बना लो गोडसे का मंदिर: आजम


फिर सुर्खियों में आजम

कानपुर में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे आजम खां ने एक सवाल पर ऐसा जवाब दिया कि वह फिर सुर्खियों में आ गए। 
आजम का कहना है कि वह चाहते हैं कि नाथूराम गोडसे को भारतरत्न मिले। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि ताजमहल तोड़कर गोडसे का मंदिर बनवा दिया जाए।
दरअसल बीते दिनों गोडसे को गांधी से बड़ा देशभक्त बताते हुए हिंदू महसभा ने गोडसे का मंदिर बनवाने की घोषणा की थी। 

इस घोषणा के बाद हिंदू महासभा की योजना पर आजम से प्रतिक्रिया मांगी गई। भड़के आजम खां ने तंज कसा कि इन संगठनों को तो देश के हर कोने में गोडसे का मंदिर बनवाना चाहिए। गुस्साए आजम बोले, अगर ताजमहल तोड़कर गोडसे का मंदिर बनाया जाता तो भी उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक मंदिर के बावत पूछे गए एक सवाल पर आजम खां का जवाब था, ‘बापू की हत्या करने वाले गोडसे का मंदिर तो देश के हर जिले में बनना चाहिए। किसी को भी ऐतराज नहीं होगा।
मैं तो चाहता हूं कि गोडसे को भारतरत्न मिले। वैसे तो मस्जिद तोड़कर मंदिर नहीं बनाया जाना चाहिए पर गोडसे के मंदिर के लिए अगर ताजमहल तोड़कर ऐसा किया गया तो कोई मना नहीं करेगा।’

હિન્દુવાદી સંગઠનો દ્વારા મુંબઈ, અમદાવાદમાં ‘પીકે’નો વિરોધ


PK_poster_burning_Jammu_650

 હિન્દુવાદી સંગઠનોએ ફિલ્મ પીકેનો વિરોધ તીવ્ર બનાવતા આજે મુંબઈ અને અમદાવાદના થિયેટર માલિકોની ફિલ્મ નહીં પ્રદર્શિત કરવા ધમકાવ્યાની ઘટના સામે આવી છે.
દક્ષિણ મુંબઈના થિયેટર માલિકનો આરોપ છે કે વિશ્વ હિન્દુ પરિષદ અને આરએસએસના કાર્યકર્તાઓએ તેમને ફિલ્મ નહીં દર્શાવવા ધમકી આપી છે. તેમનું કહેવું છે કે તેમની પાસે બીજો કોઈ વિકલ્પ નથી, આથી હાલ પુરતા તેમણે ફિલ્મનું સ્ક્રીનિંગ અટકાવ્યું છે.
આ પૂર્વે અમદાવાદમાં પણ સિટી ગોલ્ડ મલ્ટિપ્લેક્સમાં તોડફોડ કરાઈ હતી. અહેવાલો પ્રમાણે ૪૦ કાર્યકર્તાઓનું ટોળું થિયેટરમાં ઘૂસી ગયું હતું. તેમણે બિલ્ડીંગના કાચ તોડીને ફિલ્મના પ્રસારણને અટકાવવાની માગ કરી હતી. આ કાર્યકર્તાઓએ અહીં નજીકમાં પીકે દર્શાવી રહેલા અન્ય એક થિયેટરને પણ નિશાન બનાવ્યું હતું.
સોશિયલ મીડિયામાં પણ ફિલ્મના સમર્થકો અને વિરોધીઓ વચ્ચે શાબ્દિક યુદ્ધ ચાલી રહ્યું છે. ટ્વીટર પર #BoycottPK અને #WeSupportPK હેશ ટેગ સાથે અસંખ્ય પોસ્ટ કરવામાં આવી છે.
વીએચપીએ આજે આ મુદ્દે માહિતી અને પ્રસારણ મંત્રાલયને પત્ર લખી ફિલ્મ પર પ્રતિબંધ મૂકવાની માગ કરી છે. આ તરફ ભોપાલમાં પણ બજરંગ દળના કાર્યકર્તાઓ ફિલ્મનો વિરોધ કરતા રસ્તાઓ પર ઉતરી આવ્યા હતા.
૧૯ ડિસેમ્બરના રોજ રિલીઝ થયેલી ફિલ્મ પીકેને દર્શકો તરફથી બહોળો પ્રતિસાદ છે. જોકે ફિલ્મમાં હિન્દુ ધર્મની માન્યતાઓને દર્શાવવામાં આવી હોઈ હિન્દુ સંગઠનો આ ફિલ્મનો વિરોધ કરી રહ્યા છે. સેન્સર બોર્ડે પણ ફિલ્મમાં કથિત વાંધાજનક દૃશ્યોને હટાવવાની ના પાડી દીધી છે.

ભારતે વિમીઓ, ગિટહબ સહિત ૩૨ વેબસાઈટ્સ બ્લોક કરી


Vimeo, Github websites

 દેશના ટેલિકોમ વિભાગે કોઈક ફરિયાદના આધારે ૩૨ વેબસાઈટ બ્લોક કરી દીધી છે. આ લિસ્ટમાં વિમીઓનું પણ નામ છે જે યૂટ્યૂબ જેવી વિડિયો હોસ્ટ છે.
આ યાદીમાં ગિટહબનો પણ ઉમેરો કરાયો છે. આ સાઈટનો ઉપયોગ સોફ્ટવેર ડેવેલપર્સ પ્રોગ્રામિંગ કોડ હોસ્ટ કરવા અને શેર કરવા માટે કરતા હોય છે.
ગઈ ૧૬ ડિસેંબરે ઈસ્યૂ કરાયેલા એક ઓર્ડર અનુસાર ટેલિકોમ વિભાગે ઈન્ટરનેટ સર્વિસ પ્રોવાઈડર્સને આદેશ આપી દીધો છે કે તેઓ ૩૨ વેબસાઈટને બ્લોક કરી દે.
ભૂતકાળમાં સરકારે માત્ર ફાઈલ-શેરિંગ વેબસાઈટ્સને ટાર્ગેટ બનાવી હતી, પણ આ વખતે યુઆરએલ શેર કરવાની યુઝર્સને પરવાનગી આપે છે એવી વેબસાઈટ્સને પણ શિકાર બનાવી છે. વિમીઓ ઉપરાંત પેસ્ટબિન, આર્કાઈવ ડોટ ઓઆરજી, પાસટાઈ, ક્રિપ્ટબિનનો પણ પ્રતિબંધિત યુઆરએલની યાદીમાં સમાવેશ કરાયો છે.

कश्मीर में महबूबा को याद आए वाजपेयी ?

पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ़्ती ने बार-बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर पहल और एजेंडे की बात करते हुए कहा है कि जम्मू कश्मीर में नई सरकार को उसी एजेंडे को आगे बढ़ाना होगा.
महबूबा मुफ़्ती ने जम्मू में राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात के बाद मीडिया से ये कहा.
उन्होंने संकेत दिए कि भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ़्रेंस, कांग्रेस और निर्दलीयों की पेशकश के बाद पीडीपी के पास 55 विधायकों का समर्थन हासिल है.
वे किस से समर्थन लेंगे, इस पर अपने पत्ते खोले बिना उन्होंनें कहा कि पीडीपी सरकार बनाने की जल्दबाज़ी में नहीं है.
उन्होंने कहा कि 2003 में केंद्र की एनडीए सरकार ने शांति प्रक्रिया शुरू की थी.पीडीपी उस एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहती है.
उन्होंने कहा कि वाजपेयी सरकार ने हुर्रियत कांफ्रेंस को बातचीत के लिए बुलाया था और जम्मू कश्मीर को विशेष पैकेज दिया था.
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीरकी जनता का फ़ैसला बहुत ही चुनौतीपूर्ण है. देश के नेताओं को इस चुनौती को गंभीरता से लेना चाहिए.
उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर इन नतीजों के बाद ज़िम्मेदारी आई है और कश्मीर समस्या का समयसीमा के भीतर हल होना चाहिए.
विधानसभा चुनाव में पीडीपी ने सबसे अधिक 28 सीटें जीती हैं.
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में कुल 87 सीटों में से 28 सीटें जीतकर पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. भाजपा को इस चुनाव में 25 सीटें मिली हैं.
वहीं राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस को 17 और कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं हैं. अन्य सीटें छोटे दलों और निर्दलियों ने जीती हैं.

पीके: 5 सीन 5 विवाद ?

आमिर ख़ान की फ़िल्म पीके में ऐसा क्या है जिसकी वजह से हिंदू, मुस्लिम और सिख धार्मिक संगठन फ़िल्म का विरोध कर रहे हैं.
1. पीके फ़िल्म में एक सीन है, जिसमें एक पुजारी एक शख़्स से कहता है कि अपने परिवार के एक बीमार आदमी को ठीक करने के लिए उसे हिमालय स्थित एक मंदिर में जाना चाहिए.
पीके किरदार इसमें आकर पूछता है कि क्या ये सच है कि क्या सभी इंसान भगवान के बेटे और बेटियां हैं. पुजारी हां कहता है, तो पीके दूसरा सवाल पूछता है, "कौन पिता पहले से परेशान अपने बेटे को एक मुश्किल यात्रा पर भेजना चाहेगा."
2. फ़िल्म के एक सीन में पीके भगवान शिव की भूमिका निभा रहे किरदार का पीछा करता हुआ नजर आता है और उनकी गर्दन में उनका ही त्रिशूल टिका देता है. बजरंग दल के उत्तर प्रदेश सचिव अज्जू चौहान ने बीबीसी से बताया, "फ़िल्म में भगवान शिव का अटपटे से चित्रण किया गया है."
3. फ़िल्म के गाने 'भगवान है कहां रे तू पूरे गाने में' पीके हर धर्म से जुड़ी मान्यताओं को निभाते नजर आते हैं और ये सब वे अपना रिमोट कंट्रोल हासिल करने के लिए करते हैं.
इसके बाद पीके इस निष्कर्ष पर भी पहुंचता है कि कमोबेश हर धर्म का गुरू अपने धर्म के नाम पर कारोबार कर मुनाफा कमा रहा है. बजरंग दल के अज्जू चौहान ने बीबीसी को बताया," धर्म गुरुओं को फूहड़ता से प्रदर्शित किया गया है. भगवान के प्रति जो शब्दावली का इस्तेमाल हुआ है, वो भी ग़लत है."
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संयोजक जफ़रयाब जिलानी ने बीबीसी को बताया, "फ़िल्म बनाने वालों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि ये देश मज़हबी मुल्क है और इसलिए उनको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि किसी के जज़्बात को ठेस नहीं पहुंचे."
4. इस फ़िल्म को लेकर मुस्लिम संगठनों ने भी नाराजगी दिखाई है. आमिर ख़ान एक सीन में दरगाह की ओर वाइन लेकर जाते दिखाई देते हैं.
लेकिन बजरंग दल के अज्जू चौहान ने बीबीसी से कहा, " अगर फ़िल्म में आमिर ख़ान ने हिंदू धर्मगुरुओं की तरह ही इस्लामिक धर्मगुरुओं का मज़ाक उड़ाया होता, तो उनके ख़िलाफ़ फतवे जारी हो जाते और उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ता."
5. सिख समुदाय के लोग भी फ़िल्म को लेकर बेहद आहत हैं. फ़िल्म के एक सीन में एक सिख को खुले बालों में हिंदू पंडित के तौर पर दिखाया गया है (इस सीन में ये दिखाया गया है कि सभी धर्म को लोग अपने कपड़े बदल लेते हैं, हिंदू सिख बन जाता है, ईसाई मुसलमान बन जाते हैं).
सिख समुदाय के लोगों की आपत्ति ये है कि सिख खुले बाल में नहीं घुमते फिरते. इस फ़िल्म के एक सीन में एक सिख को अपनी पत्नी को मैरिज एनिवर्सरी की पार्टी देने के लिए झूठ बोलकर भीख मांगते हुए भी दिखाया गया है.
इन विवादों पर आमिर ख़ान ने कहा है कि फ़िल्म के इन सीनों को पूरे सिक्वेंस देखने से कहानी समझ में आएगी और इन सीनों को फ़िल्म के सिचुएशन से अलग कर नहीं देखा जाना चाहिए.

'पीके' पर उमड़ा मुख्यमंत्रियों का प्यार

एक ही दिन में आमिर ख़ान की फ़िल्म 'पीके' को दो राजनेताओं का प्यार मिल गया.
ये हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस.बुधवार को अखिलेश यादव ने 'पीके' देखी और फ़िल्म से अभिभूत होकर इसके राज्य में टैक्स-फ्री होने का ऐलान कर दिया.
अखिलेश ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "फ़िल्म बड़ी अच्छी है. लोग बेवजह का हंगामा मचा रहे हैं. मैंने फ़िल्म टैक्स-फ्री कर दी है. ताकि विरोध कर रहे लोग सस्ती दरों पर टिकट ख़रीदकर जाएं और देखें कि कितनी बढ़िया फ़िल्म है."

'नहीं होगी जांच'

वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने 'पीके' की किसी भी तरह की जांच से इनकार किया.
उन्होंने पत्रकारों से कहा, "ऐसी फ़िल्म जो सेंसर बोर्ड से पास हो चुकी है और सिनेमा हॉल में चल रही है उसकी जांच का महाराष्ट्र सरकार का कोई इरादा नहीं है."
आमिर ख़ान, अनुष्का शर्मा
मंगलवार को ही ख़बरें आईं थीं कि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के फ़िल्म 'पीके' को लेकर विरोध प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्रालय ने फ़िल्म के कंटेट की जांच का आदेश दिया था.
बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता पीके पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं और दिल्ली, अहमदाबाद, जम्मू समेत कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किया और फ़िल्म के पोस्टर फाड़े.

ફેસબુક પર હિન્દુ નામ રાખી ગુજ્જુ યુવતીને ફસાવી મુસ્લિમ શખ્સે કર્યાં લગ્ન


ફેસબુક પર હિન્દુ નામ રાખી ગુજ્જુ યુવતીને ફસાવી મુસ્લિમ શખ્સે કર્યાં લગ્ન


ફેસબુક પર હિન્દુ નામ રાખી ગુજ્જુ યુવતીને ફસાવી મુસ્લિમ શખ્સે કર્યાં લગ્ન














                      


 ઈમરાને હિન્દુ નામ ધારણ કરી હિન્દુ યુવતી સાથે લગ્ન કર્યા હતા
હિન્દુ નામ ધારણ કરી મુસ્લિમ શખ્સની હિન્દુ યુવતી સાથે ઠગાઈ 
બે સંતાનનો પિતા હોવા છતાં ફેસબુક પર દેવેન્દ્ર સિંહનું નામ ધારણ કરી ફસાવી હતી
લગ્ન કર્યા બાદ યેન કેન પ્રકારે રોકડ અને દાગીના સમેત રૂા.1 કરોડની મત્તા કઢાવી લીધી

                                             
વલસાડ: સમગ્ર ભારતમાં લવ જેહાદનો મુદ્દો સળગી રહ્યો છે ત્યારે વલસાડમાં લવ જેહાદની સનસેનીખેજ હકીકત બહાર આવતા ખળભળાટ મચી ગયો છે. પોલીસે આ બનાવમાં હિન્દુ નામ ધારણ કરી હિન્દુ યુવતી સાથે લગ્ન કરી રૂા. એક કરોડ ઉપરાંતની ઠગાઈ કરી જાનથી મારી નાંખવાની ધમકી આપવાના કેસમાં મૂળ મધ્યપ્રદેશના બે સંતાનના મુસલમાન શખસની ગોધરા રેલવે સ્ટેશનથી ધરપકડ કરી જેલભેગો કરી દીધો છે.

પોલીસ સૂત્રોના જણાવ્યા મુજબ, લવજેહાદનો સળગતો મુદ્દો ભાજપ દ્વારા ઉઠાવાતા આ મામલે સમગ્ર દેશભરમાં વિવાદ ચાલી રહ્યો છે. ત્યારે નાનકડા વલસાડમાં લવ જેહાદનો કિસ્સો બહાર આવતા ચકચાર મચી ગઈ છે.

વલસાડ શહેરની આવાબાઈ હાઈસ્કૂલ સામે રૂદ્વાક્ષ એપાર્ટમેન્ટમાં રહેતા નિવૃત્ત રેલવે અધિકારીની પુત્રી વિનીશા ઈન્દોર ખાતે સ્કૂલમાં શિક્ષીકા તરીકે નોકરી કરી રહી હતી ત્યારે તેની બહેનપણી જગપ્રિત કૌર ઉર્ફે પૂનમ સલૂજાના કઝીન બ્રધર તરીકે ઈમરાન મહમંદ રફીક શેખ (રહે. શંકર મંદિર પાછળ, શેલાણી નગર, મેઘનગર, જાંબુઆ, મધ્યપ્રદેશ) સાથે મુલાકાત થઈ હતી. તે સમયે ઈમરાને પોતાની ઓળખ દેવેન્દ્રસિંહ નરેન્દ્રસિંહ રાઠોડ તરીકે આપી હતી. બાદમાં ઈમરાનને માલૂમ પડયું કે, વિનીશાના પિતા રેલવેમાં કલાસ વન અધિકારી છે અને આગ્રામાં પણ લાખો રૂપિયાની સંપતિ છે, જેથી વિનીશાને પ્રેમજાળમાં ફસાવવા માટે હિન્દુ નામ દેવેન્દ્રસિંહ ધારણ કરી ફેસબુક ઉપર પણ 30 જુલાઈ 2012ના રોજ પોતે રાજપૂત હોવાની ઓળખ આપી ફોટો અપલોડ કર્યા હતા.

બાદમાં વિનીશા સાથે વાતચીતનો દૌર આરંભ થયો હતો. થોડા સમય બાદ ઈમરાને ડાયરેકટ વિનીશા સમક્ષ લગ્નનો જ પ્રસ્તાવ મુકી દીધો હતો. બાદમાં વિનીશાના માતા-પિતા અને પરિવારજનો સમક્ષ પોતે હાલમાં જ પૂનાથી એમબીએ કર્યું હોવાનું અને હાલમાં ભાેપાલ ખાતે ફાઈનાન્સ કંપનીમાં નોકરી કરે છે. જેથી વિનીશાના પરિવારજનો પણ આ લગ્ન અંગે તૈયાર થતા ઈમરાને પોતાના માતા પિતા તરીકે કોઈક ડુપ્લીકેટ માતા-પિતા સાથે ફોન પર વાત કરાવી હતી. બાદમાં લગ્નની તારીખ પણ નક્કી થતા તા. 26 ડિસેમ્બર 2009ના રોજ વલસાડના રંગઉપવન હોલમાં વિનીશા અને તેની બહેન રિબીકા બંનેના સાથે લગ્ન થનાર હતા.

લગ્નના દિવસે ઈમરાન ઉર્ફે દેવેન્દ્રસિંહ એકલો જ વરરાજાની જેમ તૈયાર થઈને આવી પહોંચ્યો હતો. ત્યારે વિનીશા અને તેના પરિવારે માતા પિતા અને સગા સંબંધીઓ અંગે પૂછપરછ કરતા ઈમરાને એવી વાર્તા ઘડી કાઢી હતી કે, મારા દાદી મરણ પામ્યા હોવાથી અમારા રાજપૂત સમાજના રિવાજ મુજબ દોઢ મહિના સુધી અમારા ઘરના પરિવારજનોથી બહાર ન નીકળાય. જેથી તેઓ આવ્યા ન હતા અને એક વર્ષ સુધી મારાથી વિનીશાને પણ રિવાજ મુજબ ઘરે લઈ જવાશે નહી. આ રીતની વાર્તા બનાવી કાઢી લગ્નના દિવસે વિનીશા અને તેના પરિવારનો વિશ્વાસઘાત કરી લગ્ન કરી લીધા હતા. બાદમાં રોકડ અને સોનાના દાગીના સમતે કુલ રૂા. 1 કરોડ ઉપરાંતની ઠગાઈ કરી જાનથી મારી નાંખવાની ધમકી આપી હતી. જે કેસમાં પોલીસે ગોધરા સ્ટેશનથી આરોપી ઈમરાનની ધરપકડ કરી હતી

.
ગુંડાઓ પાછળ પડયા હોવાનું જણાવી રૂા. 50 લાખ કઢાવી લીધા હતા

 લગ્ન બાદ ઈમરાન થોડા દિવસો વલસાડમાં તો થોડા દિવસ ભોપાલમાં નોકરીના બહાને એમપીમાં રહેવા જતો હતો. વિનીશાના પિતા રેલવેમાંથી નિવૃત્ત થતા તેમને ફાઈનાન્સ કંપનીમાં સારૂ વ્યાજ અપાવવાની લાલચ આપી કુલ રૂા.16 લાખ કઢાવી લીધા હતા. ત્યારબાદ આગ્રા ખાતેની પ્રોપર્ટી રૂા.50 લાખમાં વેચાતા ઈમરાન પણ તે સમયે વિનીશા અને તેના પરિવાર સાથે ગયો હતો. રાત્રિ દરમિયાન ટ્રેનમાં ઈમરાન પૈસા લઈ એકલો કોઈક સ્ટેશન પર ઉતરી ગયો હતો. જે અંગેની જાણ વિનીશાને થઈ ન હતી. વલસાડ આવ્યા બાગ ઈમરાનનો ફોન આવ્યો હતો કે, તમારી પાછળ ગુંડાઓ પડયા હતા. જેથી હું નાણા લઈને સ્ટેશન પર નજર ચૂકવી ઉતરી પડયો હતો. તમો ચિંતા ન કરતા હું રૂા.50 લાખ લઈને આવી જઈશ. આ સિવાય ગોલ્ડ સ્કીમમાં રોકાણ કરવાના બહાને લગ્ન સમયે ભેટમાં મળેલા અને વિનીશાના પરિવારે આપેલા 50 તોલાના દાગીના સહિત કુલ 1.68 કી.ગ્રા સોનું પડાવી લીધું હતું.
બેંક એકાઉન્ટની ચકાસણી કરતા દેવેન્દ્ર મુસલમાન હોવાનો ઘટસ્ફોટ થયો

આ રીતે પાંચ વર્ષ પૂર્ણ થઈ જવા છતાં દેવેન્દ્રસિંહ વિનીશાને પોતાના ઘરે લઈ જતો ન હોવાથી પરિવારને શંકા જતા તેઓએ તેના બેંક એકાઉન્ટની ચકાસણી કરતા આ નાણા રેહાના અને ઈમરાન નામના શખસના ખાતામાં ટ્રાન્સફર કર્યા હોવાનું જણાયું હતું. જેથી આ અંગે પૂછતા ઈમરાન પોતાના પિતાના મિત્રનો સાળો હોવાનું અને રેહાના પરિચીત હોવાનું જણાવ્યું હતું. પરંતુ હકીકતમાં ઈમરાન એ પોતે જ અને રેહાના ઈમરાનની માતા જ હતી.

ઈમરાને વડોદરાના બંગલોમાં ડુપ્લીકેટ માતાિપતા બતાવ્યા હતા

દેવેન્દ્રસિંહે વડોદરા ખાતે ઈરફાન પઠાણના ઘરની નજીક આંગન બંગલોનું સરનામું આપ્યું હતું. એકવાર પોતાની સાથે વિનીશાને લઈ ગયો ત્યારે ત્યાં ફિલ્મી સ્ટોરીની જે ડુપ્લીકેટ પરિવારજનો હતો. પરંતુ પાંચ વર્ષ બાદ પણ સાસરે ન લઈ જતા તેણે આપેલા સરનામે તપાસ કરતા આવો કોઈ વ્યકિત રહેતું ન હોવાનું જણાતા પગ તળેથી ધરતી સરકી ગઈ હતી.
વકીલ મારફતે નોટીસ ફટકારી તો કીડની કાઢી વેચી નાંખવાની ધમકી આપી

છેતરપિંડીનો ભોગ બનેલી વિનીશાએ એડવોકેટ નિશીથ મસરાણી મારફતે દેવેન્દ્રના વડોદરા, દાહોદ અને એમપીના મેઘનગરના સરનામે નોટીસ ફટકારી હતી. પરંતુ વડોદરા અને દાહોદના સરનામેથી નોટીર પરત આવી હતી જયારે મેઘનગરમાં નોટીસ સ્વીકારાઈ હતી. જે નોટીસ મળતા ઈમરાને પૈસા માંગશો તો જાનથી મારી નાંખવાની  અને કીડની વેચી મારવાની ધમકી િવનીશાને  આપી હતી. જેથી વિનીશાની માતા આશાબેન જમાઈ દેવેન્દ્રસિંહ રાઠોડ વિરૂધ્ધ તા.9 ડિસેમ્બર 2014ના રોજ સીટી પોલીસ મથકે ફરિયાદ નોંધાવી હતી.

Tuesday, 30 December 2014

‘पीके’ को लेकर सेंसर बोर्ड भी विवाद में, एक्जामिनिंग कमेटी सदस्य ने उठाए सवाल

आमिर खान अभिनीत फि़ल्म पीके को लेकर अब सेंसर बोर्ड भी विवादों के घेरे में आ गया है। बोर्ड के ही एक सदस्य ने सेंसर बोर्ड द्वारा इस फि़ल्म को प्रमाणपत्र जारी करने पर सवाल खड़े किए हैं।  इसको लेकर उन्होंने केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा है। इसे लेकर सेंसर बोर्ड के अधिकारियों में नाराजगी है। बोर्ड के अधिकारियों ने सेंसर बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य सतीश कल्याणकर के कमेटी में भाग लेने पर रोक लगा दी है।

कल्याणकर का आरोप

फि़ल्म पीके को सेंसर बोर्ड की तरफ से प्रमाणित करने के लिए जो 4 सदस्यों वाली कमेटी बनाई गई थी। उसमें कल्याणकर भी एक थे। भास्कर से बातचीत में कल्याणकर ने कहा कि स्क्रीनिंग के दौरान मैंने फि़ल्म के कई दृश्यों पर आपत्ति जताई थी।  पर मेरी बात अनसुनी कर दी गई। स्क्रीनिंग के वक्त भरे जाने वाले फार्म के जरिए मैंने आपत्तिजनक दृश्यों को काटे बैगर फि़ल्म को सेंसर सर्टिफिकेट दिए जाने पर ऐतराज जताया।
कल्याणकर के अनुसार 27 नवंबर को पीके की स्क्रीनिंग वर्ली के एनएफडीसी थियेटर में रखी गई थी।  जब स्क्रीनिंग के दौरान मेरे ऐतराज को ख़ारिज कर दिया गया तो मैंने उसी दिन सेंसर बोर्ड कार्यालय जाकर सेंसर बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ( सीईओ) श्रवण कुमार को पत्र देकर इस फि़ल्म को सर्टिफिकेट जारी नहीं करने और फि़ल्म को रिवाइजिंग कमेटी के पास भेजे जाने की मांग की थी।
भास्कर के पास उस पत्र की कॉपी उपलब्ध है। पत्र में लिखा गया है कि फि़ल्म में हिंदू देवी देवताओं को लेकर आपत्तिजनक दृश्य है। इससे बवाल हो सकता है।

सर्टिफिकेट से मेरा नाम हटाया

कल्याणकर का आरोप है कि इस फि़ल्म की स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य होने के बावजूद इस फि़ल्म के सेंसर सर्टिफिकेट से मेरा नाम हटा दिया गया।

प्रमाणन कमेटी से किया अलग

कल्याणकर के ऐतराज जताने के बाद उनको फिल्मों के प्रमाणन से अलग कर दिया गया है। इसके लिए सीईओ की तरफ से लिखित निर्देश दिए गए हैं।

बजरंग दल ने किया प्रदर्शन

इस बीच फि़ल्म पीके के खिलाफ हिंदू संगठनों का विरोध जारी है। रविवार को बजरंगदल की तरफ घाटकोपर में सिनेमा घर के समक्ष  प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने फि़ल्म पर प्रतिबंध लगाने और आमिर खान व फि़ल्म के निर्माता विधुविनोद चोपड़ा की गिरफ़्तारी की मांग की।

बाबा रामदेव भी विरोध में

योगगुरु बाबा रामदेव भी पीके के विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म पर उंगली उठाने वालों का बहिष्कार होना चाहिए। रविवार को मुंबई में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म पर सवाल खड़ा करना गलत है।

शारदा घोटाले के 75 करोड़ गए आतंकियों के पास ?

शारदा घोटाले की जांच में अब एक रणनीतिक मोड़ आ गया है। सीबीआई अब एनआईए साथ मिलकर पोंजी स्कीम घोटाले के बर्दवान बलास्ट और जमात-उल- मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के साथ लिंक होने की आशंका की भी जांच करेगी। सूत्रों के मुताबिक, शारदा घोटाले के करीब 75 करोड़ रुपए पश्चिम बंगाल के नेताओं के माध्यम से जेएमबी आतंकियों तक पहुंचे।
सूत्रों का कहना है कि दोनों केंद्रीय जांच एजेसिंयो के शीर्ष अधिकारियों ने 18 दिसंबर को दिल्ली में मुलाकात की थी। मुालाकात में अधिकारी इस नतीजे पर पहुंचे थे कि जांच में दोनों एजेंसियां सूचनाएं साझा करेंगी और समन्वय बनाकर काम करेंगी। नए तथ्य इस लिहाज से भी अहम हैं कि हाल में ही में कार्मिक मामलों के राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में लिखित जवाब में बताया था कि अब तक शारदा घोटाले की जांच में इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि इसका खागरागढ़ बलास्ट से कोई लिंक था।
जांच की रणनीति में बदलाव के पीछे का कारण बताते हुए एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस मामले में पूछताछ के दौरान यह बात सामने आई कि बड़ी मात्रा में धन बांग्लादेश के कुछ बैंकों में जमा कराया गया। हमारे लिए यह जानना बेहद जरूरी हो गया कि बलास्ट में इ्स्तेमाल हुआ पैसा कहां से आया।’ एक अन्य अधिकारी ने बताया, ‘कुछ जानकारी ऐसी है जो शारदा घोटाले और बर्दवान बलास्ट को आपस में जोड़ती हैं, लिहाजा दोनों एजेंसियों को जानकारी साझा करने की जरूरत महसूस हुई।’

आतंकियों के पास गए 75 करोड़ रुपए

सूत्रों का कहना है कि करीब 75 करोड़ रुपए का लेन-देन जेएमबी और बंगाल के कुछ नेताओं के हाथों हुआ हैं। शारदा घोटाले का कुछ पैसा कोलकाता के कई एनजीओ के माध्यम से बांग्लादेश के कई बैंकों, खासकर इस्लामी बैंक में जमा हुआ। खागरागढ़ बलास्ट में मारे गए शकील अहमद से बरामद डॉक्युमेंट्स से पता चलता है कि तीन सालों में उसने करीब 18 बार पैसा बांग्लादेश में कई स्थानों पर पहुंचाया। असम से अरेस्ट किए गए जेबीएम ‘डेंटिस्ट’ शहनूर आलम और म्यांमार के संदिग्ध आतंकी अब्दुल खालिद से पूछताछ के दौरान एनआईए को पता चला कि बांग्लादेश में जितना पैसा पहुंचाया गया है वह आशंका से कहीं अधिक है।
जांच से जुड़े एनआईए के एक अधिकारी का कहना है, ‘मनी ट्रेल का पता लगाना इसलिए भी बहुत मुश्किल हो रहा है क्योंकि यह हवाला के जरिए बांग्लादेश से आया और गया। कुछ पैसा कुवैत और सऊदी अरब भी भेजा गया। इस पूरे मामले में नेता भी लिप्त हैं, इसलिए हमें जांच में दूसरी एजेंसी की भी मदद लेनी पड़ रही है।’
एनआईए पहले से ही शारदा घोटाले में पैसे को बांग्लादेश भेजे जाने के संबंध में टीएमसी एमपी और कई पूर्व नेताओं से पूछताछ कर रही है। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘शारदा घोटाले और बर्दवान बलास्ट में सीधे तौर पर संबंध होने का दावा अब तक नहीं किया गया है, लेकिन इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि बड़ी मात्रा में पैसे सीमा के पार (बांग्लादेश) भेजे गए। इसके स्रोत का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।’

हिंदू का धर्मांतरण किए जाने पर टिप्पणी क्यों नहीं होती : योगी आदित्यनाथ

बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि विपक्षी दलों को हिंदू धर्म में घर वापसी तो नजर आती है, लेकिन हिंदुओं को ईसाई या मुस्लिम बनाए जाने पर वो टिप्पणी नहीं करते।
आदित्यनाथ ने संवाददाताओं से कहा, ‘देश में अनेक संस्थानों पर हिंदू को ईसाई या मुस्लिम बनाया जा रहा है लेकिन इस पर विपक्षी नेता टिप्पणी नहीं करते। इनको केवल हिंदू धर्म में घर वापसी दिखाई दे रही है।’ उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून बनाना चाहती है। विपक्षी दल इसका समर्थन क्यों नहीं करते? धर्मांतरण सामाजिक मुद्दा है और मोदी सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है।
गौरतलब है कि हाल की धर्मांतरण की घटनाओं को लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खान के ताजमहल को गिराने की साजिश रचने संबंधी बयान पर आदित्यनाथ ने कहा कि आजम के बयान को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। ताजमहल के बारे में आजम ने हमेशा से विवादास्पद बयान दिए हैं।
आमिर खान अभिनीत ‘पीके’ फिल्म में हिंदू देवी देवताओं के बारे में कथित अनर्गल टिप्पणी के बारे में किए गए सवाल पर बीजेपी नेता ने कहा कि उन्होंने फिल्म नहीं देखी है, लेकिन सुना है। फिल्म और कला के नाम पर किसी समुदाय पर टिप्पणी गलत है। हिंदू भावनाओं का सम्मान होना चाहिए। मोदी सरकार के कामकाज को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश को सही दिशा और नेतृत्व दे रही है। विपक्ष हताश और निराश है। अनर्गल मुद्दों के जरिए वह सरकार का ध्यान विकास से हटाना चाहता है। उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार के कामकाज की शैली पर सवाल उठाते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि कानून-व्यवस्था, विकास, किसानों और आम जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर बीजेपी अखिलेश सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ेगी।

मैरेज होम में मुसलमानों को नहीं मिल रही जगह

पचास की उम्र पार कर चुके फ़हीमुद्दीन पिछले एक महीने से अपनी मुस्लिम पहचान को लेकर बहुत सतर्क हो गए हैं.
वो ख़ुर्जा शहर में एक बूचड़खाने के मालिक हैं. फ़हीमुद्दीन को अपने बेटे के दावत-ए-वलीमा (शादी के प्रीति भोज) के लिए एक खुली जगह की ज़रूरत थी.
और ख़ुर्जा शहर के दो विवाह भवनों- शिल्पी गार्डन मैरेज होम और आरके फ़ॉर्म हाउस- ने उनके इस मक़सद के लिए अपनी जगह देने से इनकार कर दिया.
इन दो विवाह भवनों के मालिक हिंदू बिरादरी से आते हैं. फ़हीमुद्दीन कहते हैं कि विवाह भवनों के मालिकों ने उन्हें कहा, "हम मुसलमानों को अपनी जगह किराये पर नहीं देते हैं."
दिल्ली से 130 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मिट्टी के बर्तनों के लिए मशहूर ख़ुर्जा शहर में इस मुद्दे पर जहाँ नया विवाद खड़ा हो गया है, वहीं ख़ुर्जा के मुसलमानों में ख़ासा असंतोष है.

मांसाहार बना मुद्दा

श्री गंगा भवन में रिद्धि सिद्धि गणेश मंदिर, खुर्ज़ा
फ़हीमुद्दीन को जब जगह न मिली तो ये उन्हें एक झटका लगा. क्योंकि कुछ अर्से पहले उन्होंने आरके फ़ार्महाउस में ही अपनी बेटी की शादी की पार्टी आयोजित की थी.
फ़हीमुद्दीन बताते हैं, "मुझे कहा गया कि मुसलमान अपनी पार्टियों में केवल मांस का खाना परोसते हैं, जगह को गंदा कर देते हैं, बताए गए लोगों से कहीं ज़्यादा लोग इनके दावत में चले आते हैं."
वे कहते हैं, "छोटी-छोटी बातों पर विवाह भवनों को नुक़सान पहुंचाने की आशंका रहती है और पैसा देने में आना कानी करते हैं."
फ़हीमुद्दीन ने इस मुद्दे पर उन्हें बॉन्ड भरने की पेशकश भी की लेकिन इन दोनों पार्टी भवनों ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया.
यहां तक कि ख़ुर्जा के सब डिविज़नल मजिस्ट्रेट इंदु प्रकाश, पुलिस महकमे के सर्किल ऑफ़िसर शैलेंद्र श्रीवास्तव और नगर निगम के चेयरमैन रफ़ीक़ फाट्टा ने मसला सुलझाने की तमाम कोशिश की लेकिन नाकाम रहे.

पार्टी का आयोजन

श्री गंगा भवन में सती मंदिर, खुर्ज़ा
इस औद्योगिक शहर के बाहर बने अपने दफ़्तर में बैठे एसडीएम इंदु प्रकाश याद करते हैं, "उन्होंने हमें कहा कि वे मांसाहार वाली पार्टियां नहीं चाहते हैं. वे केवल शाकाहारी खाना परोसें तो हम उन्हें जगह किराये पर दे देंगे."
फ़हीमुद्दीन का मामला इस तरह की कोई अकेली घटना नहीं है.
कुछ हफ़्तों पहले नईम ख़ान और अफ़ज़ल अहमद को अपनी बेटी और बहन के लिए शादी की पार्टी का आयोजन करना था लेकिन उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.
अफ़ज़ल अहमद दावा करते हैं कि उन्हें आरके फ़ॉर्महाउस पर बताया गया कि चूंकि ये जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ी हुई है और इसलिए वे मुस्लिम समुदाय की ऐसी किसी गुज़ारिश का ख़्याल नहीं रखेंगे.
आरके फ़ॉर्महाउस के मैनेजर रस्तोगी, फ़हीमुद्दीन के मामले में अपने फ़ैसले के लिए इसी साल में अक्तूबर की एक घटना को ज़िम्मेदार ठहराते हैं.

विवाह भवन में मंदिर

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के सफदर खान (बाएं)
सफदर खान (बाएं) कहते हैं कि हिंदू विवाह भवन मालिकों का फैसला अच्छा संदेश नहीं देता है.
रस्तोगी याद करते हैं, "मुस्लिम समुदाय की एक पार्टी के दौरान जितने लोगों के लिए खाना इंतज़ाम करने को कहा गया था, उससे ज़्यादा मेहमान चले आए और हमारा विवाह भवन तहस नहस कर दिया गया."
आरके फ़ार्महाउस के अलावा रस्तोगी अंचल और विनायल नाम के दो और विवाह भवन चलाते हैं.
ख़ुर्जा शहर में 15 विवाह भवन हैं. इनमें दो अमन मैरेज हॉल और मिलन मुस्लिम समुदाय के लोगों का है और बाक़ियों का नियंत्रण हिंदुओं के हाथ में है.
यहां शारदा जैन अतिथि भवन, श्री गंगा भवन और जतिया भवन जैसे मैरिज हॉल भी हैं जो या ता जैन समुदाय के लोगों की हैं या फिर उनके परिसर में गणेश और शिव के मंदिर हैं.
श्री गंगा भवन के कॉन्ट्रैक्टर दिनेश अग्रवाल मुसलमानों को किराये पर विवाह भवन न देने के फ़ैसले को वाजिब ठहराते हुए कहते हैं, "कल अगर किसी ने मांस का एक टुकड़ा दोनों में से किसी एक मंदिर पर फेंक दिया तो इससे सांप्रदायिक हिंसा भड़क सकती है."

विवाह भवन

विवाह भवनों के मालिकों के संगठन के सचिव विनीत गुप्त
विनीत गुप्त मैरिज पार्टियों में मांसाहार पर रोक लगाए जाने की बात करते हैं.
ख़ुर्जा के ज़्यादातर विवाह भवनों पर हिंदुओं के बनिया समुदाय का नियंत्रण है. माना जाता है कि यह तबक़ा ज़्यादातर किसी न किसी कारोबार से जुड़ा रहता है.
यह साफ़ तौर पर लगता है कि यह तबक़ा उस घटना का इस्तेमाल करते हुए मुस्लिम समुदाय पर शाकाहार का एजेंडा थोपने की कोशिश कर रहा है.
विवाह भवनों के मालिकों के संगठन के सचिव विनीत गुप्त शारदा जैन अतिथि भवन नाम से एक मैरेज हॉल चलाते हैं.
विनीत गुप्त कहते हैं कि वे सभी विवाह भवनों को अपने परिसरों में मांसाहारी भोजन पर रोक लगाने के लिए कहेंगे.
जब उनसे पूछा गया कि मुस्लिम समुदाय के दोनों विवाह भवन वाले भी ऐसा कर सकते हैं तो उनका जवाब होता है, "हिंदू कभी भी उनसे इसके लिए संपर्क नहीं करते हैं."

पार्टियों से गंदगी!

आरके फ़ॉर्म हाउस की छत.
विनीत गुप्त का दावा है कि कई सालों के अनुभव में उन्होंने कभी भी हिंदुओं के किसी आयोजन में मांसाहार परोसे जाते हुए नहीं देखा.
15 सालों से श्री राम वाटिका चला रहे नीरज चौधरी भी विनीत गुप्त से सहमति रखते हैं, "ख़ुर्जा में हिंदू भले ही अपने घरों में मांस खाएं लेकिन पार्टियों में कभी भी मांस नहीं परोसते हैं."
उद्योगपति एसके जतिया के दादा सूरजमल जतिया को ख़ुर्जा शहर बसाने का श्रेय जाता है. उनका कहना है कि मांसाहार को सभी समाजों में स्वीकार्यता हासिल नहीं है.
जतिया तर्क देते हैं कि मांसाहार वाली पार्टियों में होने वाली गंदगी गिद्धों को आकर्षित करती है.
जतिया, जैन, अग्रवाल, गुप्त और गोयल बिरादरी के लोग ख़ुर्जा के प्रभावशाली तबक़े से आते हैं और यहां के हिंदू समुदाय में उनका ख़ासा रसूख़ है.

अच्छा संदेश नहीं!

उत्तर प्रदेश पुलिस
अमन मैरेज हॉल के मोहम्मद नाज़िम भरोसा दिलाते हैं कि उनका विवाह भवन किसी भी सूरत में हिंदुओं के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगा.
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन रह चुके सफ़दर ख़ान को इस बात पर अफ़सोस है कि हिंदू विवाह भवन मालिकों का फ़ैसला अच्छा संदेश नहीं देता है.
एसडीएम इंदु प्रकाश उनसे सहमत हैं लेकिन कुछ न कर पाने को लेकर अपनी बेबसी जताती हैं.
भारत में सांप्रदायिक हिंसा
एसडीएम प्रकाश कहते हैं, "अगर उन्होंने मुझसे ये कहा होता कि वे मुसलमानों को अपना परिसर इस्तेमाल करने के लिए नहीं देंगे तो मैं उनके लाइसेंस को रद्द करने की सिफ़ारिश कर सकता था लेकिन उन्हें इस बात का हक़ है कि वे अपनी जगह पर मांसाहारी खाने को इजाज़त न दें."
ख़ुर्जा शहर की आबादी का 30 फ़ीसदी से ज़्यादा हिस्सा मुसलमानों का है. 1990 में इस शहर ने सांप्रदायिक दंगा देखा था और जुलाई 2012 में एक जैन मंदिर में मांस का एक टुकड़ा मिलने से थोड़े वक़्त के लिए ख़ुर्जा में तनाव रहा था.