Saturday, 13 February 2016

क्या मुस्लिम वास्तव में देश भक्त है ???


यह किसी पेज का स्क्रीन शॉट है जिसमे प्रश्न पूछा गया है कि आपको क्या होने पर गर्व है 1. भारतीय, 2. हिन्दू 3. मुस्लिम और इसमें 10 लोगो के कमेन्ट दिख रहा है जिसमेंं 5 हिन्दू और 5 मुस्लिम है। चित्र में सभी मुस्लिमो ने मुस्लिम (पीले रंग में) होने पर गर्व होने की बात कही उसी में मु‍स्लिम ने मुस्लिम और भारतीय होने पर गर्व होने की बात कही, सभी हिन्दूओं ने भारतीय होने में गर्व की बात कही और उसी मे से एक हिन्दू ने भारतीय के साथ हिन्दू होने की बात कही।
यह चित्र उस मुस्लिम चेहरे का प्रतिनिधित्व करता है उसकी सोच को दर्शाता है कि वास्तव देश इस्लाम की अपेक्षा आज भी उनके लिये दोयम दर्जे पर है। ज्‍यादातर मुस्लिम देश की मुख्‍य धारा मे जुडे ही नही और जुडना भी नही चाहते है। ज्‍यादातर मुस्लिमो को भारतीय होने ज्‍यादा मु‍सलमान हाने पर गर्व है। मुस्लिमो की यह सोच धर्मनिपेक्षता की श्रेणी मे आता हैै यह साम्‍प्रा‍यिकता की श्रेणी में यह तथाकथित वोट बैंक सेक्‍युलर नेताओ के लिये सोचने का विषय है।देश के मुस्लिमोे के नाम पर बटवारे के बाद भी आज मुुस्लिम भारत परस्‍त नही है, उनकी निष्‍ठा आज भी देश से ज्यादा इस्‍लाम पर है। भारत देश की रचना इसलिये पंथनिरपेक्ष राष्‍ट्र की नही रखी गर्इ कि धर्म कोे देश के से उपर रखा जाये।
घिन आती है तुच्‍छ धर्मिक मानसिकता पर जब देश में ही तिरंगे को पैरों तले रौदा जाता है और पाकिस्‍तानी झंडे को लहराया जाता है। कही न कही गडबड जरूर है भारत केे मुस्लिम बुरे नही है उनकी मानसिकता बुरी है। विश्‍व के कई देशो यहां तक कि इस्‍लामिक देशो में मुसलमान इस्‍लाम की पोंगापंथी को त्‍याग कर देश की मुख्‍यधारा जुडे हुये है। यह विचार करने की जरूरत है कि भारत जैसे देश मे जहां उनको सारी सहुलियत मौजूद है जोे उनको इस्‍लामिक देश मे नही है वहाँ उनकी मुस्लिम मानसिकता देश से सर्वोपरि है। आज जरूरत है कि रोग को पहचान कर उनका इलाज करने कीए कठोर निर्णय लेने की। जिससे पोंगा पंथी विचारधारा से मुक्ति की परिवर्तन हवा सभी तक पहुॅचे। बाकी जरूरत करने की जरूरत है ज्‍यादा कुछ कहने की नही है।

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