जेएनयू विवाद को लेकर आवाज उठाते हुए बौद्धिक लोगों के एक समूह ने कहा है कि विश्वविद्यालय कैंपस में कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वाले पाकिस्तान स्थित आतंकी गुट जेईएम प्रमुख मौलाना मसूद अजहर से ‘जरा भी कम खतरनाक’ नहीं हैं।
बौद्धिक लोगों और कलाकारों सहित 33 लोगों की सहमति वाली एक अपील में कहा गया है, ‘शैक्षिक परिसरों में राष्ट्रविरोधी नारों ने हमारी चेतना को झिंझोर दिया है। भारत को कमजोर करने के लिए प्रतिष्ठित परिसर में नारेबाजी होती है और अगर संसद हमले के दोषी अफजल गुरू की शहीद के तौर पर सराहना होती है तो यह शर्मनाक और चिंताजनक है।
’ अभिनेता अनुपम खेर और परेश रावल, पत्रकार स्वप्न दासगुप्ता, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, अर्थशास्त्री बिबेक देबराय, गीतकार और विज्ञापन क्षेत्र की बड़ी हस्ती प्रसून जोशी समेत अन्य ने इस अपील का समर्थन किया है।अपील में लिखा गया है, ‘हमारा मानना है कि राष्ट्रविरोधी ताकतों की यह सोची समझी साजिश है और हमारा मानना है कि इस तरह के जो नारे लगाते हैं वे आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर की सोच की तुलना में जरा भी कम खतरनाक नहीं हैं।’ जेएनयू की घटना को छिपा हुआ खतरा बताते हुए इसमें कहा गया, ‘हम सरकार के खिलाफ वैचारिक असहमति का स्वागत करते हैं लेकिन सभी देशभक्तों के लिए इस तरह की नारेबाजी अस्वीकार्य है।’ अपील में कहा गया है कि ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के नाम पर इस तरह की घटना को छिपाने की कोशिश हो रही है।
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