
आरिफ अपने तीन मुस्लिम दोस्तों के साथ घर से आईएस में शामिल होने इराक पहुंचा था। अगस्त महीने में एक शख्स ने आरिफ के परिवार वालों से फोन पर कहा था कि वह मारा गया। आरिफ के परिवार वालों ने खास इबादत की थी। इसके बाद मजीद का फोन आया। उसने कहा कि वह अपने तीनों दोस्तों के साथ जिंदा है। मुंबई एयपोर्ट पर पहुंचते ही आरिफ को महाराष्ट्र एंटि-टेरर स्कॉयड (एटीएस) ने पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया।
अभी तक आरिफ के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। जांचकर्ता पहले यह जानना चाह रहे हैं कि वह इराक जाने में कैसे कामयाब रहा। इसने फरार होने की योजना कैसे बनाई? क्या इसके पास जून में अगवा हुए 40 मजदूरों के बारे में कोई डिटेल है? मई में मजीद और उसके तीनों दोस्तों ने इराक जाने से पहले कहा था कि वे सऊदी अरबिया तीर्थाटन पर जा रहे हैं। बाद में पता चला कि इन्होंने आईएस जॉइन कर लिया है। खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि इनकी आईएस में नियुक्ति इंटरनेट के जरिए हुई।
अारिफ के बारे में पहले खबर आई थी कि वह हवाई हमले में मारा गया। लेकिन वह जिंदा था और उसने अपने पिता डॉक्टर इजाज अहमद को कॉल किया था। उसने अपने पिता से तुर्की से वापस आने में मदद मांगी थी। 25 नवंबर को आरिफ के पिता इजाज ने नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को इस मामले में सूचना दी थी। उन्होंने एनआईए को बताया था कि 20 नवंबर को उनके पास अरब से कॉल आई थी।
उन्होंने एनआईए को बताया था, 'अारिफ ने फोन पर कहा कि तुर्की से फरार होने से पहले उसने तीन महीने तक आईएसआईएस के लिए काम किया।' इजाद ने अपने बेटे को इंडिया वापस लाने के लिए एनआईए से मदद मांगी थी। इजाद ने कहा कि अभी तक मैं अपने बेटे से नहीं मिल पाया हूं। पहले मैं जुम्मे की नमाज अदा करूंगा फिर बेटे से मिलने की योजना बनाऊंगा। और तीन युवक थाणे जिले से हैं। इन्होंने मई के आखिरी हफ्ते में आईएसआईएस को जॉइन किया था। ये तीनों हैं- अमन टंडेल, फहाद शेख, शाहिम टंकी।
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