Thursday, 30 March 2017

पर्यावरण बचाएं


पर्यावरण संरक्षण सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है। यदि धरती को सुरक्षित रखना है तो हर व्यक्ति को जागरूक व जिम्मेदार बनना होगा।


 लापरवाही किसी भी स्तर पर हो, उसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। यदि हम लापरवाही से सबक लेकर सतर्क हों तभी किसी हादसे से बच सकते हैं मगर कई लोग एक ही गलती को बार-बार दोहराते हैं। इसी का नतीजा है कि लोगों को दुष्परिणाम ङोलने पड़ते हैं। आज के दौर में पर्यावरण संरक्षण सबसे अहम मुद्दा है मगर उदास पक्ष यह है कि इस तरफ हर व्यक्ति जागरूक नहीं है। प्रदेश में मौसम चक्र में बदलाव इस बात का संकेत है कि यदि हम अब भी नहीं चेते तो परिणाम गंभीर होंगे। हिमाचल में मार्च के शुरू तक कड़ाके की सर्दी ङोलनी पड़ी थी। वहीं, राज्य में गर्मी ने पहले चरण में ही 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 

प्रदेश में इन दिनों पहाड़ तपने लगे हैं। इस बात के कारण तलाशने होंगे कि इस तरह की नौबत क्यों आई है। प्रदेश में हर साल पौधरोपण पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। वन महोत्सवों के अलावा पौधरोपण के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस सबके बावजूद यह देखने की जहमत कोई नहीं उठाता कि जितने पौधे रोपे गए हैं, उसमें से कितने पौधे सुरक्षित बचे हैं। यही कारण है कि प्रदेश में रोपे गए पौधों में से कई पौधे पेड़ नहीं बन पाते हैं। देखरेख के अभाव और उदासीनता की वजह से पौधरोपण का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में कई उद्योगों से निकलने वाला मलबा भी नियमों को तोड़कर नदी नालों में उड़ेला जाता है। कई बार चेताने पर भी उद्योग प्रबंधन मानने को तैयार नहीं है। ऐसा ही हाल लोगों में भी देखने को मिल रहा है जो घर को तो साफ रखते हैं मगर वहां से निकलने वाले कूड़े कर्कट को नदी नालों में डाल देते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। 

असल में पर्यावरण का संरक्षण करना केवल सरकार या प्रशासन की ही जिम्मेदारी नहीं है। यदि धरती को सुरक्षित रखना है तो हर व्यक्ति को जागरूक व जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभानी होगी। सरकारी स्तर पर अपेक्षा रहती है कि जो पौधे रोपे जाएं, उनकी रक्षा की जिम्मेदारी भी ली जाए ताकि वे समय से पहले दम न तोड़ दें। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियानों को गति दी जाए। वहीं, हर व्यक्ति पौधरोपण की जिम्मेदारी ले। शादी, जन्मदिन या किसी अन्य खास मौके पर कम से कम एक पौधा रोपने का हर व्यक्ति प्रण ले। जब हर पक्ष जागरूक होगा तभी हम पर्यावरण को सहेज सकेंगे। 

By Bhupendra Singh

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