देश की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जो अब तक अपने काबिल छात्रों की वजह से जानी जाती थी अब वो देशद्रोह विवाद की वजह से दुनियाभर में प्रसिद्ध हो गई। हम बात कर रहे हैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की। जो इन दिनों छात्रों और सरकार के बीच जंग का मैदान बन गई है। 9 फरवरी को संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु के सम्मान में यहां छात्रों के समूह ने नारेबाजी की और देशद्रोह विवाद ने जन्म ले लिया।
पूरा देश दो गुट में गया। छात्र नेता कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी, कोर्ट परिसर में उससे मारपीट और पुलिस के रवैये ने इस पूरे विवाद में आग में घी डालने का काम किया। इस विवाद ने देशभर में देशभक्ति और राजद्रोह की नई परिभाषाओं को जन्म दे दिया है। राजनीतिक दल से बुद्धिजीवी टीवी डिबेट में देशभक्ति का ज्ञान बांट रहे हैं तो कानून के ज्ञाता राजद्रोह कानून समझाने में जुटे हैं। भारत के 156 साल पुराने राजद्रोह कानून को लेकर चर्चाएं शुरु हो गई हैं। ऐसे में हम आपको इस कानून से जुड़ी कुछ बातें बता रहे हैं, जिनका जानना आपके लिए जरुरी है।
भारत का राजद्रोह कानून सऊदी अरब की तरह ब्रिटेन ने वर्ष 2009 में राजद्रोह कानून समाप्त कर दिया है। 2010 में स्कॉटलैंड में भी राजद्रोह कानून खत्म कर दिया गया था। 1988 में दक्षिण कोरिया ने भी राजद्रोह कानून खत्म कर दी। 2007 में, इंडोनेशिया ने इसे असंवैधानिक बताकर खत्म कर दिया गया। आपको बता दें कि पहले ब्रिटेन में एक समय में राजद्रोह के आरोप में सज़ा के तौर पर कान काटे जाते थे।
सऊदी अरब, मलेशिया, ईरान, उज्बेकिस्तान, सूडान, सेनेगल, जर्मनी और तुर्की जैसे देशों में राजद्रोह अपराध है। अमरिका में भी 218 वर्ष पहले से राजद्रोह का कानून लागू है, हलांकि अब अमेरिका के बहुत से हिस्सों में इसे बंद कर दिया गया है। दुनियाभर के कई देश ऐसे हैं जहां देशद्रोह कानून नहीं है तो वहीं कई देश इसे आपराधिक कृत्य मानते हैं। भारत के राजद्रोह कानून की बात करें तो हमारे देश का राजद्रोह कानून साऊदी अरब और मलेशिया की तरह है।
भारत के 9 राज्यों में 47 राजद्रोह के मामले राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में, भारत के नौ राज्यों में 47 राजद्रोह के मामले पाए गए हैं। इसे किसी ने अभिव्यक्ति की आजादी का हनन करार दिया तो किसी ने सरकार की तानाशाही बता दिया।
पूरा देश दो गुट में गया। छात्र नेता कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी, कोर्ट परिसर में उससे मारपीट और पुलिस के रवैये ने इस पूरे विवाद में आग में घी डालने का काम किया। इस विवाद ने देशभर में देशभक्ति और राजद्रोह की नई परिभाषाओं को जन्म दे दिया है। राजनीतिक दल से बुद्धिजीवी टीवी डिबेट में देशभक्ति का ज्ञान बांट रहे हैं तो कानून के ज्ञाता राजद्रोह कानून समझाने में जुटे हैं। भारत के 156 साल पुराने राजद्रोह कानून को लेकर चर्चाएं शुरु हो गई हैं। ऐसे में हम आपको इस कानून से जुड़ी कुछ बातें बता रहे हैं, जिनका जानना आपके लिए जरुरी है।
भारत का राजद्रोह कानून सऊदी अरब की तरह ब्रिटेन ने वर्ष 2009 में राजद्रोह कानून समाप्त कर दिया है। 2010 में स्कॉटलैंड में भी राजद्रोह कानून खत्म कर दिया गया था। 1988 में दक्षिण कोरिया ने भी राजद्रोह कानून खत्म कर दी। 2007 में, इंडोनेशिया ने इसे असंवैधानिक बताकर खत्म कर दिया गया। आपको बता दें कि पहले ब्रिटेन में एक समय में राजद्रोह के आरोप में सज़ा के तौर पर कान काटे जाते थे।
सऊदी अरब, मलेशिया, ईरान, उज्बेकिस्तान, सूडान, सेनेगल, जर्मनी और तुर्की जैसे देशों में राजद्रोह अपराध है। अमरिका में भी 218 वर्ष पहले से राजद्रोह का कानून लागू है, हलांकि अब अमेरिका के बहुत से हिस्सों में इसे बंद कर दिया गया है। दुनियाभर के कई देश ऐसे हैं जहां देशद्रोह कानून नहीं है तो वहीं कई देश इसे आपराधिक कृत्य मानते हैं। भारत के राजद्रोह कानून की बात करें तो हमारे देश का राजद्रोह कानून साऊदी अरब और मलेशिया की तरह है।
भारत के 9 राज्यों में 47 राजद्रोह के मामले राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में, भारत के नौ राज्यों में 47 राजद्रोह के मामले पाए गए हैं। इसे किसी ने अभिव्यक्ति की आजादी का हनन करार दिया तो किसी ने सरकार की तानाशाही बता दिया।
राजद्रोह के 72% मामले बिहार और झारखंड से आपको जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन राजद्रोह के मामले में बिहार और झारखंड सबसे आगे है। झारखंड में सबसे अधिक 18 मामले दर्ज किए गए हैं। बिहार में 16, केरल में 5, ओडिशा में 2 और पश्चिम बंगाल में 2 देशद्रोह के मामले हुए हैं।
राजद्रोह में गिरफ्तारी राजद्रोह के आरोप देशभर से कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन सबसे अधिक गिरफ्तारी की बात करें तो बिहार यहां अव्वल नबंर पर है। इस संबंध में सबसे अधिक 28 गिरफ्तारी बिहार में हुई है। जबकि झारखंड में 18, केरल में 4 एवं ओडिशा में 4 गिरफ्तारियां हुई हैं।
पुरुष महिलाओं से आगे साल 2014 में राज्य के खिलाफ 512 अपराध दर्ज किए गए हैं, जिनमें 176 राज्य के खिलाफ अपराध और 336 विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का अपराध शामिल है।
राजद्रोह के आरोप में अगर गिरफ्तारी की बात करे तो यहां पुरुष महिलाओं से बहुत आगे हैं। साल 2014 में राजद्रोह के आरोप में कम से कम 58 व्यक्तियों को अरेस्ट किया गया, जिसमें से 55 पुरुष थे और मात्र 3 महिलाएं थी।
राज्य के खिलाफ अपराध में टॉप 10 राज्य राज्य के खिलाफ अपराध के तहत सबसे अधिक गिरफ्तारियां महाराष्ट्र में हुई हैं। यहां 204 मामले दर्ज किए गए। केरल में 98, मेघालय में 67, कर्नाटक में 63 एवं पश्चिम बंगाल में 59 गिरफ्तारियां हुई हैं।
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