अपनी भावनाओं, क्रोध, अवसाद और डर की स्थितियों को कैसे संभाले
अपने किसी प्रिय या नजदीकी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने से या व्यवसाय में नुकसान होने या मन मुताबिक परिणाम न मिलने से निश्चय ही इन्सान दुख के सागर में डूब जाता है। निश्चय ही इन सभी शोकदायक परिस्थितियों से गुजरने की वजह से इन्सान यह सोचने लगता है कि उसके दुख एवं दर्द का अब कोई अंत नहीं है। इन परिस्थितियों में किसी भी इन्सान की ऐसी ही प्रतिक्रिया होगी। यह भी सच है कि ऐसे दुख एवं असहनीय दर्द को व्यक्त करने का कोई सही या गलत तरीका नहीं होता, लेकिन इन परिस्थितियों से निपटने की कोशिश करने के कुछ सही तरीके निश्चित रूप से हैं जिनके द्वारा आप अपनी भावनाओं जैसे कि क्रोध, अवसाद एवं डर पर काबू पा सकते हैं एवं ऐसे असहनीय दर्द वाली परिस्थितियों में भी अपना मानसिक संतुलन बनाए रख कर अपने जीवन को फिर से जीने लायक बना सकते हैं।
जीवन को खुशहाल एवं आकर्षक बनाने के लिए भावनाएं जरूरी हैं लेकिन वही भावनाएं आपके जीवन को कभी-कभी चुनौतीपूर्ण भी बना देते हैं। आपको अपनी भावनाओँ के विभिन्न रूपों का सामना करना पड़ सकता है। कभी भावनाएं सकारात्मक होती हैं तो कभी नकारात्मक। भावनाओं की तीव्रता भी बदलती रहती है जैसे कि कभी भावनाएं गहरी हो सकती हैं और कभी ये हल्की एवं क्षणिक होती है। अगर आप अपनी भावनाओं पर काबू पाने में नाकामयाब होंगे तो भावनाओं की वजह से आपके जीवन पर आपका नियंत्रण समाप्त भी हो सकता है।
भावनात्मक जागरूकता
जब आप नकारात्मक भावनाओं में डूबे हुए होते हैं तो आपके शरीर के अंदर भी कई प्रकार के परिवर्तन हो रहे होते हैं जिनकी वजह से सीने में भारीपन महसूस हो सकता है, पेट में खोखलापन महसूस हो सकता है, चेहरा तनावपूर्ण हो जाता है और आंसूओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। अगर आप बिना अपना आपा खोए इन परिस्थियों से निपटने में कामयाब हो जाते हैं तो आपको जिंदगी तुरंत बेहतर महसूस होने लगती है।
दुख एवं नुकसान से कैसे निपटें
भावनात्मक जागरूकता आपकी आवश्यकताओं, इच्छाओं एवं उम्मीदों को समझने में आपकी मदद करता है। यह बेहतर रिश्तें बनाने में मदद करता है। अगर आप अपनी भावनाओं से भली-भांति परिचित होते हैं तो आप अपनी भावनाएं बेहतर तरीके से व्यक्त कर पाते हैं। आपको टकराव या मतभेद की परिस्थितियों से बचना चाहिए एवं उनका त्वरित समाधान करना चाहिए ताकि आप कठिन परिस्थितियों से जल्द से जल्द उबर सकें।
ये सभी कदम निश्चित रूप से आपको आपकी भावनाओं को समझने में मदद करेंगे। दिलचस्प रूप से ये सिर्फ नकारात्मक भावनाओं के साथ ही सही नहीं है बल्कि अगर आप सकारात्मक भावनाओं की भी पहचान करने कि क्षमता रखते हैं तो उनसे मिलनी वाली सकारात्मक ऊर्जा आपके तनाव को खत्म करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
दुख से कैसे निपटें?:
दुख नुकसान का एक स्वाभाविक रूप से मिलने वाला परिणाम है। यदि आपसे आपकी कोई प्यारी चीज छिन जाए या आपका कोई अपना गुजर जाए तो आपकी जिंदगी बिखर सी जाती है। जितना बड़ा नुकसान होता है उसका असर उतना ही बुरा होता है। अकसर ये सभी परिस्थितियां ही आपके दुखों का कारण होती हैं, हालांकि हम यह भी नहीं कह रहे हैं कि इनके अलावा दुख की कोई और वजह हो ही नहीं सकती। किसी को जल्दी और किसी को कुछ देर से, मगर जीवन की नश्वरता का सामना सबको एक न एक दिन करना ही पड़ता है और आप कोई अपवाद नहीं हैं। आपको भी यह चुनौती स्वीकार करनी ही पड़ेगी। आप अपने ज़ख्मों का इलाज कैसे करते हैं, अपनी जिंदगी को कैसे फिर से सहेजते हैं और किस तरह जल्दी से जल्दी आगे बढ़ते हैं इन सभी बातों पर ही आपकी जिंदगी का दुबारा सामान्य होना निर्भर करता है। इन परिस्थितियों में आपको कई प्रकार से सहारा मिल सकता है, बस जरूरत सिर्फ इतनी है कि आप अपनी भावनाओं को दूसरों के सामने व्यक्त करने में कोई संकोच ना करें।
अपने क्रोध को कैसे नियंत्रित करें?
हालांकि क्रोध एक सामान्य और सभी के द्वारा अनुभव की जाने वाली भावना है, लेकिन अगर आप इसे नियंत्रित रखना नहीं जानते तो कभी-कभी यह बेहद खतरनाक हो सकता है। जल्दी-जल्दी आने वाला एवं अनावश्यक क्रोध आपकी वर्षों की कमाई हुई प्रतिष्ठा को एक पल में नुकसान पहुंचा सकता है, आपके दोस्तों के साथ आपके रिश्तों को खत्म कर सकता है, आपको मिलने वाले अवसरों को सीमित कर सकता है और यहां तक कि यह आपके स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। ऐसे हालात में अगर आप नियमित रूप से व्यायाम करें तो उससे आपके तनाव का स्तर कम होगा और आप आराम महसूस करेंगें। व्यायाम के अलावा, दौड़ना, टहलना, तैराकी, योग एवं ध्यान लगाना इत्यादि कुछ अन्य गतिविधियां हैं जिनसे आपकी चिंता का स्तर कम हो सकता है। तनावपूर्ण क्षणों में धीरज रखें। हमेशा याद रखें कि गुस्से में आप कुछ भी कह सकते हैं लेकिन बाद में हो सकता है आपको इस क्षणिक उद्वेग की वजह से जीवन भर अफसोस करना पड़े। इसलिए क्रोध आने पर कुछ भी बोलने से पहले अच्छी तरह से सोच-समझ लें।
मानसिक अनुशासन बनाए रखने से आप अपने गुस्से से बेहतर तरीके से निपट सकते हैं। आप दूसरों से संबंधित अपनी चिंताओं को संबंधित व्यक्ति के साथ खुलकर साझा करें और अपने गुस्से को नियंत्रित रखते हुए बिना कोई पीड़ा पहुंचाए अपनी बात आप उसे समझाएं।
अवसाद को कैसे दूर करें?
अवसाद एक ऐसी दर्दनाक स्थिति होती है जिसकी वजह से आपकी उम्मीदें एवं ऊर्जा दोनो ही खत्म हो जाती है और आपको यह समझ नहीं आता कि अच्छा महसूस करने के लिए क्या करें। इसकी वजह से आपकी कार्य करने की क्षमता, सोचने की क्षमता एवं महसूस करने की क्षमता सभी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं। आप गहरी निराशा के गर्त में डूबने लगते हैं और इसका असर लगातार रहने वाली उदासी, निराशा एवं लाचारी के रूप में सामने आती है। इन परिस्थितियों में आप आमतौर पर जीवन में कोई खुशी ढ़ूढ़ने में असमर्थ हो जाते है। आप एक पीड़ादायक अकेलापन महसूस करते हैं, और किसी भी गतिविधि में आपकी रुचि खत्म हो जाती है। लंबे समय में अवसाद का असर और भी गहरा हो सकता है और इसकी वजह से आपका जीवन भी खतरें में आ सकता है।
अवसाद पर काबू पाना एक आसान एवं त्वरित प्रक्रिया तो बिल्कुल भी नहीं है। इस अवस्था से उबरने एवं अच्छा महसूस करने में काफी समय लग जाता है। हालांकि यदि हर दिन हम सकारात्मक विकल्पों का चयन करें हम बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
क्या करें:
- सहायता प्रदान करने वाले एवं समझदार लोगों से जुड़ कर रहें।
- ऐसे लोग जिनसे आपकी बातचीत होती है या जिनके साथ आप अच्छा महसूस करते हैं उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं।
- नकारात्मक सोच पर काबू पाएं।
- आप अपने आपको अलग-थलग न पड़ने दें।
- स्वस्थ एवं पोषण युक्त भोजन करें।
- अपने सांसों पर ध्यान केंद्रित रखते हुए ध्यान लगाएं।
- आपको आवश्यकता महसूस हो या न हो आप वही चीजें करें जिनसे आप अच्छा महसूस करते हैं।
अपने डर से कैसे पाएं छुकारा?
यह पाया गया है कि मनुष्य की सभी भावनाओं में सबसे मजबूत भावना डर की होती है और अज्ञात डर सबसे भयानक होता है। यहाँ हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार आप अपनी असफलताओं से डरने के बजाए उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करें। डर पर काबू पाने की कोशिश हम सबकी सबसे आम समस्याओं में से एक है क्योंकि हममें से हरेक को किसी ना किसी प्रकार का डर सताता रहता है। इसलिए इससे पहले कि आप अपने डर से निपटने की शुरूआत करें, आपके लिए डर को समझना जरूरी है। इस दिशा में पहला कदम है – आप यह पता लगाए कि ऐसी कौन सी चीज है जिससे आप डर रहे हैं। आजकल का वैज्ञानिक विकास निश्चित रूप से आपकी इसमें सहायता करेगा। यह वैज्ञानिक रूप से साबित हो चुका है कि डर मानव के अस्तित्व का एक सामान्य हिस्सा है। डर की पैदाईश मस्तिष्क के उस हिस्से से होती है जो हमें जोखिमों से बचाना चाहता है। डर से निपटने के लिए किया जाने वाला प्रयास आपके नकारात्मक विचारों को खत्म करने के द्वारा ही सफल होता है।
आपको इन उपायों का पालन करना चाहिए जो डर से
निपटने में आपके लिए काफी मददगार साबित होंगे।
- आप अपने दोस्तों एवं प्रियजनों का समर्थन प्राप्त करें।
- नई चीजें सीखने में अपने आपको व्यस्त रखें।
- आपके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण क्या है यह जानने की कोशिश करें।
- अपने अंदर संघर्ष से जूझने की प्रवृत्ति का विकास करें।
इनके अलावा, यह भी पाया गया है कि योग और ध्यान का हमारे मन पर बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर आप नियमित रूप से योग का अभ्यास करते हैं, तो आपके तनाव का स्तर निश्चित रूप से गिरेगा रक्तचाप सामान्य होना शुरू हो जाएगा और पूरे शरीर का क्रिया विज्ञान अधिक व्यवस्थित एवं संतुलित हो जाएगा। तनाव की प्रतिक्रिया में बदलाव आने से मन में शांत, सामंजस्यपूर्ण एवं स्पष्ट विचारों का प्रादुर्भाव होता है। मन एवं शरीर के परस्पर संबंध के कारण योगाभ्यास का व्यापक मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है। यह मस्तिष्क को एक प्राकृतिक तरीके व्यवस्थित करता है। शुरूआत से ही यह मन एवं शरीर दोनों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। उपर्युक्त उपायों को अपनाकर आप अपनी भावनाओं, क्रोध, अवसाद एवं डर की स्थितियों को संभालने एवं अपने जीवन को खुशहाल व शांतिपूर्ण बनाने में कामयाब हो सकते हैं।
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