ज़ी न्यूज़ ने अत्याचार से पीड़ित अल्पसंख्यक हिंदू आबादी की आवाज़ उठाने की मुहिम शुरू की है। इस मुहिम में आज हम बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का संपूर्ण विश्लेषण करेंगे। सबसे पहले कुछ तथ्यों पर गौर कीजिए और इस पूरे मामले को समझिए-
-दुनिया में हिंदू आबादी वाले तीन सबसे बड़े देशों में बांग्लादेश का नाम शामिल है।
-इसमें पहले स्थान पर भारत है- जहां करीब 97 करोड़ हिंदू आबादी है।
-इसके बाद नेपाल का नंबर है- जहां करीब ढाई करोड़ हिंदू आबादी है।
-इसमें पहले स्थान पर भारत है- जहां करीब 97 करोड़ हिंदू आबादी है।
-इसके बाद नेपाल का नंबर है- जहां करीब ढाई करोड़ हिंदू आबादी है।
इसके बाद बांग्लादेश का नंबर है- जहां करीब डेढ़ करोड़ हिंदू आबादी है।
-1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था, वहां हिंदू आबादी करीब 28 फीसदी थी।
-1971 में बांग्लादेश बनने के बाद 1981 में वहां जो पहली जनगणना हुई उसमें हिंदू आबादी सिर्फ़ 12 फीसदी रह गई।
-इसके बाद बांग्लादेश में वर्ष 2011 में जो जनगणना हुई है उसके मुताबिक हिंदू आबादी 9 फीसदी से भी कम रह गई है।
-1947 के बाद से बांग्लादेश के इलाके में, इस्लामीकरण के नाम पर करीब 30 लाख हिंदुओं की हत्याएं की गईं।
-1971 में बांग्लादेश में आज़ादी की लड़ाई के दौरान हुए नरसंहार में पाकिस्तानी सेना और कट्टरपंथियों ने चुन-चुन कर हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया था।
-इस दौरान हिंदू पुरुषों की हत्याएं, हिंदू महिलाओं का बलात्कार, हिंदू, बौद्ध मंदिरों और उपासना स्थलों पर तोड़फोड़ हुई और बौद्ध भिक्षुओं पर भयानक हमले हुए थे।
-इसकी वजह से बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग भारत में शरण लेने के लिए आने लगे और इसमें 60 फीसदी आबादी अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की थी।
-बांग्लादेश बनने के बाद जब वर्ष 1981 में बांग्लादेश की पहली जनगणना हुई तो उस जनगणना में करीब 5 करोड़ हिंदू आबादी गायब थी।
-वर्ष 2013 और 2014 में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के नेताओं को 1971 में हिंदू अल्पसंख्यकों के नरसंहार का दोषी पाया और सज़ा दी।
-वर्ष 2013 और वर्ष 2014 में बांग्लादेश के 20 ज़िलों में इस हिंदू विरोधी हिंसा में करीब 50 हिंदू मंदिर और 1500 हिंदुओं के घर तबाह कर दिए गए।
-इस हिंसा में हिंदू अल्पसंख्यकों की हत्याएं की गईं, महिलाओं से बलात्कार किया गया, अल्पसंख्यकों के घरों और संपत्तियों में आग लगा दी गई, उनके कारोबार ख़त्म कर दिए और हिंदू उपासना स्थलों को ध्वस्त कर दिया गया।
-1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था, वहां हिंदू आबादी करीब 28 फीसदी थी।
-1971 में बांग्लादेश बनने के बाद 1981 में वहां जो पहली जनगणना हुई उसमें हिंदू आबादी सिर्फ़ 12 फीसदी रह गई।
-इसके बाद बांग्लादेश में वर्ष 2011 में जो जनगणना हुई है उसके मुताबिक हिंदू आबादी 9 फीसदी से भी कम रह गई है।
-1947 के बाद से बांग्लादेश के इलाके में, इस्लामीकरण के नाम पर करीब 30 लाख हिंदुओं की हत्याएं की गईं।
-1971 में बांग्लादेश में आज़ादी की लड़ाई के दौरान हुए नरसंहार में पाकिस्तानी सेना और कट्टरपंथियों ने चुन-चुन कर हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया था।
-इस दौरान हिंदू पुरुषों की हत्याएं, हिंदू महिलाओं का बलात्कार, हिंदू, बौद्ध मंदिरों और उपासना स्थलों पर तोड़फोड़ हुई और बौद्ध भिक्षुओं पर भयानक हमले हुए थे।
-इसकी वजह से बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग भारत में शरण लेने के लिए आने लगे और इसमें 60 फीसदी आबादी अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की थी।
-बांग्लादेश बनने के बाद जब वर्ष 1981 में बांग्लादेश की पहली जनगणना हुई तो उस जनगणना में करीब 5 करोड़ हिंदू आबादी गायब थी।
-वर्ष 2013 और 2014 में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के नेताओं को 1971 में हिंदू अल्पसंख्यकों के नरसंहार का दोषी पाया और सज़ा दी।
-वर्ष 2013 और वर्ष 2014 में बांग्लादेश के 20 ज़िलों में इस हिंदू विरोधी हिंसा में करीब 50 हिंदू मंदिर और 1500 हिंदुओं के घर तबाह कर दिए गए।
-इस हिंसा में हिंदू अल्पसंख्यकों की हत्याएं की गईं, महिलाओं से बलात्कार किया गया, अल्पसंख्यकों के घरों और संपत्तियों में आग लगा दी गई, उनके कारोबार ख़त्म कर दिए और हिंदू उपासना स्थलों को ध्वस्त कर दिया गया।
अनुमान के मुताबिक बांग्लादेश में पिछले 10 वर्षों में 10 लाख से भी ज़्यादा हिंदू आबादी गायब हो गई, ये बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन इस पर कभी भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान नहीं गया। पाकिस्तान और बांग्लादेश में जिस तरह से अल्पसंख्यक हिंदू आबादी का सफाया किया गया, जिस तरह से उन पर अत्याचार किए गए, वैसे अत्याचार पिछले 60 -70 वर्षों में दुनिया में कहीं भी ना सुने गए होंगे और ना ही देखे गए होंगे लेकिन अफसोस की बात ये है कि इन अत्याचारों पर दुनिया का कोई भी बुद्धिजीवी बात नहीं करता। भारत के बुद्धिजीवी जो ख़ुद को सबसे बड़े मानवतावादी और धर्म निरपेक्षता यानी सेकुलरिज़्म के ठेकेदार बताते हैं उन्हें बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू आबादी पर हो रहे अत्याचार कभी नहीं दिखे। अगर इस तरह से अत्याचार चलते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब बांग्लादेश और पाकिस्तान अल्पसंख्यक मुक्त या फिर कहें कि हिंदू मुक्त देश हो जाएंगे।
-वर्ष 1947 में पाकिस्तान में 15 फीसदी हिंदू आबादी थी जो वर्ष 1998 में घटकर सिर्फ़ 1.6 फीसदी रह गई।
-वर्ष 1947 में बांग्लादेश में 28 फीसदी हिंदू आबादी थी जो वर्ष 2011 में घटकर सिर्फ़ 8.5 फीसदी ही रह गई।
-बांग्लादेश के संविधान के मुताबिक देश में हर धर्म के मानने वालों के अधिकार सुनिश्चित करने को कहा गया है।
-1977 के बाद से बांग्लादेश कट्टरपंथियों के दबाव में पाकिस्तान की डुप्लिकेट कॉपी बनने के रास्ते पर चल पड़ा।
-वर्ष 1988 में बांग्लादेश ने ख़ुद को इस्लामिक देश घोषित कर दिया, जहां इस्लाम को राज्य के धर्म के रूप में मान्यता मिली।
-बांग्लादेश में खालिदा ज़िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात ए इस्लामी जैसी पार्टियों ने कट्टरपंथियों को बढ़ावा दिया।
-बांग्लादेश में इस तालिबानीकरण का सबसे आसान शिकार हिंदू अल्पसंख्यक बने, जिन्हें भयानक तौर पर प्रताड़ित किया गया।
-बांग्लादेश में वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों की संपत्तियों को हड़प लिया गया, जिससे वो देश छोड़ने पर मजबूर हुए।
-वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट के तहत किसी भी नागरिक को देश का दुश्मन घोषित करके उसकी संपत्ति पर कब्ज़ा किया जा सकता है।
-इस कानून के खिलाफ करीब 26 लाख एकड़ ज़मीन के लिए 10 लाख केस पेंडिंग पड़े हैं जिनकी संपत्ति लौटाने का सरकार ने वादा किया था, लेकिन अब तक एक इंच ज़मीन भी लौटाई नहीं गई।
-वर्ष 2009 में शेख हसीना के प्रधानमंत्री बनने के बाद अल्पसंख्यकों को सुरक्षा का भरोसा था, क्योंकि शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को उदारवादी माना जाता है।
-लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव से पहले और बाद में भयानक तौर पर हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले किए गए, जिन्हें रोकने में सरकार नाकाम रही।
-अमेरिका के विदेश विभाग की इंटरनेशनल रीलिजियस फ्रीडम रिपोर्ट में वर्ष 2014 की कई घटनाओं का ज़िक्र किया गया है।
-इसमें मई 2014 में बांग्लादेश के लालमोनिर-हाट ज़िले में 12 वर्ष की हिंदू लड़की का अपहरण करके उसके साथ गैंगरेप किया गया, और उसका धर्म परिवर्तन कराया गया लेकिन पुलिस ने इस घटना की जांच करने से ही इनकार कर दिया।
-5 जनवरी 2014 को हुए संसदीय चुनाव के दौरान महिलाओं को वोट देने से रोकने के लिए दो हिंदू महिलाओं के साथ गैंगरेप किया गया।
-जनवरी 2014 में ही बांग्लादेश के दिनाजपुर ज़िले के एक गांव में कम से कम 150 हिंदू परिवारों के घर और दुकानों में आग लगा दी गई।
-मानवाधिकार संगठन ASK के मुताबिक वर्ष 2014 में हिंदू अल्पसंख्यकों के 247 पूजा स्थलों और मूर्तियों को तोड़ा गया।
-2014 में ही हिंदू अल्पसंख्यकों के 761 घरों में आग लगा दी गई और 193 दुकानों को तोड़ दिया गया।
-वर्ष 1947 में बांग्लादेश में 28 फीसदी हिंदू आबादी थी जो वर्ष 2011 में घटकर सिर्फ़ 8.5 फीसदी ही रह गई।
-बांग्लादेश के संविधान के मुताबिक देश में हर धर्म के मानने वालों के अधिकार सुनिश्चित करने को कहा गया है।
-1977 के बाद से बांग्लादेश कट्टरपंथियों के दबाव में पाकिस्तान की डुप्लिकेट कॉपी बनने के रास्ते पर चल पड़ा।
-वर्ष 1988 में बांग्लादेश ने ख़ुद को इस्लामिक देश घोषित कर दिया, जहां इस्लाम को राज्य के धर्म के रूप में मान्यता मिली।
-बांग्लादेश में खालिदा ज़िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात ए इस्लामी जैसी पार्टियों ने कट्टरपंथियों को बढ़ावा दिया।
-बांग्लादेश में इस तालिबानीकरण का सबसे आसान शिकार हिंदू अल्पसंख्यक बने, जिन्हें भयानक तौर पर प्रताड़ित किया गया।
-बांग्लादेश में वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों की संपत्तियों को हड़प लिया गया, जिससे वो देश छोड़ने पर मजबूर हुए।
-वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट के तहत किसी भी नागरिक को देश का दुश्मन घोषित करके उसकी संपत्ति पर कब्ज़ा किया जा सकता है।
-इस कानून के खिलाफ करीब 26 लाख एकड़ ज़मीन के लिए 10 लाख केस पेंडिंग पड़े हैं जिनकी संपत्ति लौटाने का सरकार ने वादा किया था, लेकिन अब तक एक इंच ज़मीन भी लौटाई नहीं गई।
-वर्ष 2009 में शेख हसीना के प्रधानमंत्री बनने के बाद अल्पसंख्यकों को सुरक्षा का भरोसा था, क्योंकि शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को उदारवादी माना जाता है।
-लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव से पहले और बाद में भयानक तौर पर हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले किए गए, जिन्हें रोकने में सरकार नाकाम रही।
-अमेरिका के विदेश विभाग की इंटरनेशनल रीलिजियस फ्रीडम रिपोर्ट में वर्ष 2014 की कई घटनाओं का ज़िक्र किया गया है।
-इसमें मई 2014 में बांग्लादेश के लालमोनिर-हाट ज़िले में 12 वर्ष की हिंदू लड़की का अपहरण करके उसके साथ गैंगरेप किया गया, और उसका धर्म परिवर्तन कराया गया लेकिन पुलिस ने इस घटना की जांच करने से ही इनकार कर दिया।
-5 जनवरी 2014 को हुए संसदीय चुनाव के दौरान महिलाओं को वोट देने से रोकने के लिए दो हिंदू महिलाओं के साथ गैंगरेप किया गया।
-जनवरी 2014 में ही बांग्लादेश के दिनाजपुर ज़िले के एक गांव में कम से कम 150 हिंदू परिवारों के घर और दुकानों में आग लगा दी गई।
-मानवाधिकार संगठन ASK के मुताबिक वर्ष 2014 में हिंदू अल्पसंख्यकों के 247 पूजा स्थलों और मूर्तियों को तोड़ा गया।
-2014 में ही हिंदू अल्पसंख्यकों के 761 घरों में आग लगा दी गई और 193 दुकानों को तोड़ दिया गया।
इस दौरान हमारे बुद्धिजीविय़ों, लेखकों, साहित्यकारों और कलाकारों को कई बार बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी अवॉर्ड मिले होंगे लेकिन इनमें से किसी ने ये नहीं सोचा होगा कि वो ये अवॉर्ड वापस करें या अपना विरोध दर्ज कराएं क्योंकि इन देशों में हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं। भारत सहित पूरी दुनिया के बुद्धिजीवी वर्ग के लिए आज गहरे आत्ममंथन का दिन है।
भारतीय सेना की 'क्वीन ऑफ द बैटलफील्ड'
आप लोगों ने भारतीय सेना, भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना के पराक्रम से जुड़ी ढेर सारी कहानियां पढ़ी होंगी लेकिन आपको शायद इस बात की जानकारी नहीं होगी कि भारतीय सेना के इन तीन अंगों में से एक अंग को 'क्वीन ऑफ द बैटलफील्ड' भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सेना के इस अंग में शामिल जवान जंग के मैदान में कुछ भी कर सकते हैं। शायद इसलिए इन्हें जंग के हालात में मोस्ट डेंजर्स फोर्स यानी सबसे ख़तरनाक फोर्स भी कहा जाता है।
-भारतीय थल सेना की इन्फैंट्री यानी पैदल सेना की जो अपनी 68वीं सालगिरह मना रही है।
-27 अक्टूबर को सेना इन्फैंट्री डे के तौर पर मनाती है क्योंकि इसी दिन पहली सिख रेजीमेंट के जवानों ने श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतरकर पूरी कश्मीर घाटी को पाकिस्तान के हाथों में जाने से बचाया था।
-27 अक्टूबर को सेना इन्फैंट्री डे के तौर पर मनाती है क्योंकि इसी दिन पहली सिख रेजीमेंट के जवानों ने श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतरकर पूरी कश्मीर घाटी को पाकिस्तान के हाथों में जाने से बचाया था।
वर्ष 1947 में आज ही के दिन एक आज़ाद देश के तौर पर भारत ने पहली बार पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया था और पूरी आक्रामकता के साथ भारत की पैदल सेना ने पाकिस्तान के हमले को नाकाम किया था। इसी लड़ाई में सिर्फ़ चार दिन बाद यानि 31 अक्टूबर को शहीद हुए मेजर सोमनाथ शर्मा को मरणोपरांत देश का पहला परमवीर चक्र प्रदान किया गया था। भारत की पैदल सेना से जुड़ी कुछ जानकारियां इस प्रकार हैं-
-भारत की पैदल सेना को दुनिया की सबसे मज़बूत और ताकतवर फोर्स के तौर पर जाना जाता है।
-इन्हें पैदल सेना इसलिए कहा जाता है क्योंकि जंग के हालात में ये पैदल ही दुश्मनों का सामना करते हैं।
-पैदल सेना मुख्य तौर पर दुश्मनों के साथ फेस टू फेस जंग लड़ती है।
-पैदल सेना जंग के दौरान सबसे मुश्किल हालात का सामना करती है और यही वजह है कि पैदल सेना के सबसे ज़्यादा जवान देश के लिए शहीद होते हैं।
-भारत की पैदल सेना में कुल 32 रेजीमेंट्स हैं जिनमें देश के हर हिस्से, हर धर्म और हर भाषा से ताल्लुक रखने वाले सैनिक देश की सुरक्षा में अपना बलिदान देने के लिए चौबीसों घंटे तैयार रहते हैं।
-पैदल सेना के हर रेजीमेंट की अपनी एक अलग पहचान होती है और सबका अपना एक इतिहास होता है।
-पैदल सेना ही कश्मीर में आतंकवादियों से मुक़ाबला करती है।
-26/11 मुंबई हमलों के दौरान ताज होटल में फंसे नागरिकों की जान बचाने का काम भी पैदल सेना ने किया था।
-आपको बता दें कि एनएसजी यानी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के स्पेशल एक्शन ग्रूप में मुख्य तौर पर पैदल सेना के ही जवान होते हैं जो ताज होटल में हुई कार्रवाई का हिस्सा थे।
-प्राकृतिक आपदाओं में भी ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए सबसे पहले पैदल सेना के जवान ही पहुंचते हैं।
-आने वाले दिनों में भारत की इन्फैंट्री का हर सैनिक एक अत्याधुनिक सिस्टम की तरह काम करेगा जिसे एफ-इन्सास यानी फ्यूचर इन्फैंट्री सोल्जर एज ए सिस्टम कहा जाता है।
-आने वाले समय में पैदल सेना के हर सैनिक के हेलमेट में कम्यूनिकेशन के हाईटेक गैजेट्स होंगे। साथ ही उनके हेलमेट्स में रात के वक्त देखने के लिए नाइट विजन डिवाइसेज भी लगे होंगे।
-हेलमेट में थर्मल सेंसर और वीडियो कैमरा के अलावा केमिकल और बॉयोलाजिकल हमले से जुड़ी जानकारी देने वाले सेंसर भी लगे होंगे।
-सैनिकों की यूनिफॉर्म ज़्यादा आरामदेह और हर मौसम का सामना करने लायक होगी। भविष्य की बुलेट-प्रूफ जैकेट आज के मुक़ाबले आधे वज़न की होगी। साथ ही ये वॉटरप्रूफ होने के साथ-साथ केमिकल और बॉयोलाजिकल हमलों से भी बचाने का काम करेगी।
-भारत की इन्फैंट्री के सैनिक नई तकनीक से लैस इन्फार्मेशन टेक्नॉलजी की मदद से हर वक्त अपने कमांड से जुड़े रहेंगे।
-यानी भारत की पैदल सेना का भविष्य काफी हाई-टेक है
-इन्हें पैदल सेना इसलिए कहा जाता है क्योंकि जंग के हालात में ये पैदल ही दुश्मनों का सामना करते हैं।
-पैदल सेना मुख्य तौर पर दुश्मनों के साथ फेस टू फेस जंग लड़ती है।
-पैदल सेना जंग के दौरान सबसे मुश्किल हालात का सामना करती है और यही वजह है कि पैदल सेना के सबसे ज़्यादा जवान देश के लिए शहीद होते हैं।
-भारत की पैदल सेना में कुल 32 रेजीमेंट्स हैं जिनमें देश के हर हिस्से, हर धर्म और हर भाषा से ताल्लुक रखने वाले सैनिक देश की सुरक्षा में अपना बलिदान देने के लिए चौबीसों घंटे तैयार रहते हैं।
-पैदल सेना के हर रेजीमेंट की अपनी एक अलग पहचान होती है और सबका अपना एक इतिहास होता है।
-पैदल सेना ही कश्मीर में आतंकवादियों से मुक़ाबला करती है।
-26/11 मुंबई हमलों के दौरान ताज होटल में फंसे नागरिकों की जान बचाने का काम भी पैदल सेना ने किया था।
-आपको बता दें कि एनएसजी यानी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के स्पेशल एक्शन ग्रूप में मुख्य तौर पर पैदल सेना के ही जवान होते हैं जो ताज होटल में हुई कार्रवाई का हिस्सा थे।
-प्राकृतिक आपदाओं में भी ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए सबसे पहले पैदल सेना के जवान ही पहुंचते हैं।
-आने वाले दिनों में भारत की इन्फैंट्री का हर सैनिक एक अत्याधुनिक सिस्टम की तरह काम करेगा जिसे एफ-इन्सास यानी फ्यूचर इन्फैंट्री सोल्जर एज ए सिस्टम कहा जाता है।
-आने वाले समय में पैदल सेना के हर सैनिक के हेलमेट में कम्यूनिकेशन के हाईटेक गैजेट्स होंगे। साथ ही उनके हेलमेट्स में रात के वक्त देखने के लिए नाइट विजन डिवाइसेज भी लगे होंगे।
-हेलमेट में थर्मल सेंसर और वीडियो कैमरा के अलावा केमिकल और बॉयोलाजिकल हमले से जुड़ी जानकारी देने वाले सेंसर भी लगे होंगे।
-सैनिकों की यूनिफॉर्म ज़्यादा आरामदेह और हर मौसम का सामना करने लायक होगी। भविष्य की बुलेट-प्रूफ जैकेट आज के मुक़ाबले आधे वज़न की होगी। साथ ही ये वॉटरप्रूफ होने के साथ-साथ केमिकल और बॉयोलाजिकल हमलों से भी बचाने का काम करेगी।
-भारत की इन्फैंट्री के सैनिक नई तकनीक से लैस इन्फार्मेशन टेक्नॉलजी की मदद से हर वक्त अपने कमांड से जुड़े रहेंगे।
-यानी भारत की पैदल सेना का भविष्य काफी हाई-टेक है
ज़ी मीडिया ब्यूरो
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