गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ का जीवन
परिचय
गुरु का नाम- ब्रह्मलीन महन्त
दिग्विजयनाथ जी महाराज
जन्म तिथि- 18
मई, 1917
जन्म स्थान- ग्राम-कांडी, जिला-गढ़वाल
(उत्तराखंड)
पारिवारिक स्थिति- बाल ब्रह्मचारी
शिक्षा- शास्त्री संस्कृत (वाराणसी एवं
हरिद्वार में अध्ययन)
कार्य क्षेत्र- हिंदू धर्म के
प्रचार-प्रसार के लिए सतत् कार्यरत
अनेक धार्मिक संगठनों से संबद्ध।
स्थाई पता- गोरक्षनाथ मंदिर, गोरखपुर-
273015 (उ.प्र.)
पूर्व सांसद और
रामजन्म भूमि आन्दोलन के अग्रणी नेता रहे गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन पीठाधीश्वर महंत
अवैद्यनाथ गोरखपुर राजनीति के कई बड़े दिग्गज इनका सम्मान करते थे, इनके पैर छूते थे। यही नहीं नरेंद्र
मोदी भी इनके बहुत बड़े मुरीद थे।
उन्हें उनकी
उत्साही देशभक्ति और समाज सेवा के प्रति प्रतिबद्धता के लिए याद किया जाएगा।' गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित ब्रह्मलीन
गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ की समाधि स्थल के बगल में ब्रह्मलीन हुए महंत
अवैद्यनाथ को समाधि हैं।
हिमालय की पवित्र गोद में हुआ था अवैद्यनाथ जी का जन्म
इनका जन्म हिमालय की पवित्र गोद में स्थित पौढ़ी गढ़वाल जिले के कांडी प्रसिद्ध सूर्यवंशी क्षत्रियकुल में 18 मई 1917 को हुआ था। प्रारंभिक जीवन दिव्य संस्कारों और सहज आध्यात्मिक मनोवृत्तियों से हमेशा संपन्न रहा। इनके पिता रायसिंह बिष्ट ने अवैद्यनाथ जी के पालन-पोषण और शिक्षा-दीक्षा में बड़ी सतर्कता बरती। इनकी प्रारंभिक शिक्षा उच्चतर माध्यमिक श्रेणी तक ही हो पाई थी, तभी वाराणसी में निवास कर संस्कृत के अध्ययन में उन्होंने बड़ी तत्परता दिखाई। यहीं से उनके मन में योगी जीवन के प्रति श्रद्धा और आस्था बढ़ने लगी।
आध्यात्मिक जिज्ञासा शांति के लिए की ऋषिकेश की यात्रा
अवैद्यनाथ जी ने तरुणावस्था के आरंभ में ही आध्यात्मिक जिज्ञासा की शांति के लिए ऋषिकेश की यात्रा की। उन्होंने मानसरोवर, कैलाश, तिब्बत और उत्तराखंड के अनेक तीर्थस्थलों की यात्रा कर कई महात्माओं से सत्संग किया। पूर्व जन्म के संस्कारों के अनुरूप योगदर्शन और विशेतया नाथ सम्प्रदाय के सिद्धांतों के अनुशीलन में समय का सदुपयोग किया।
महंत दिग्विजयनाथ जी को थी सद्शिष्य की
खोज
जब अवैद्यनाथ जी भ्रमण कर ज्ञानार्जन कर रहे थे, उसी समय गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजयनाथ जी को एक सद्शिष्य की खोज थी। दैवी
प्रारब्ध के अनुरूप योगी शान्तिनाथ जी ने अवैद्यनाथ जी महराज को गोरखनाथ मंदिर की
ओर आकृष्ट किया। वे उन्हीं के साथ गोरखनाथ मठ में उपस्थित हुए।
साल
1942 में अवैद्यनाथ जी को घोषित किया गया
उत्तराधिकारी
महंत दिग्विजयनाथ ने अवैद्यनाथ जी को शिष्य के रूप में स्वीकार कर साल 1942 में 8 फरवरी को योग-दीक्षा प्रदान कर विधिवत अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। उत्तराधिकारी
बनने से पूर्व वो देश के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में अपनी भूमिका
निभाते हुए आधात्मिकता के पथ पर अडिग रहे। उन्होंने अपनी बढ़ती आयु और अस्वस्थता
को देखते हुए 15 फरवरी 1994 को सद्शिष्य योगी आदित्यनाथ को गोरक्षपीठ का उत्तराधिकारी घोषित किया। तभी से
महंत योगी अपने पिता बड़े महंत योगी अवैद्यनाथ जी की सेवा करने के साथ-साथ समाज
सेवा और नाथ संप्रदाय के विश्व प्रसिद्द मंदिर गुरु गोरक्षनाथ की सेवा में तन-मन
और धन से लगे हुए हैं।
महंत
अवैद्यनाथ जी की राजनीतिक उपलब्धियां
साल 1970 से लेकर साल 1996 तक
महंत अवैद्यनाथ लोकसभा सदस्य के रूप में
भमिका निभाते रहे।
1970, गोरखपुर संसदीय क्षेत्र (निर्दलीय)
1989 - गोरखपुर संसदीय क्षेत्र (हिंदू महासभा)
1991 - गोरखपुर संसदीय क्षेत्र (बीजेपी)
1996 - गोरखपुर संसदीय क्षेत्र (बीजेपी)
विधानसभा सदस्य
1962 - मानीराम विधानसभा क्षेत्र (हिंदू महासभा)
1967 - मानीराम विधानसभा क्षेत्र (निर्दलीय)
1974 - मानीराम विधानसभा क्षेत्र (हिंदू महासभा)
1977 - मानीराम विधानसभा क्षेत्र (जनता पार्टी)
महंत अवैद्यनाथ जी की संसदीय जिम्मेदारियां
1971 - सदस्य,
परामर्शदात्री समिति, गृह मंत्रालय (भारत सरकार)।
1989 - सदस्य,
परामर्शदात्री समिति गृह मंत्रालय (भारत सरकार) ।
1993 - संसदीय प्रणाली व्यवस्था के लागू होने पर गृह मंत्रालय के सदस्य।
महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे महंत अवैद्यनाथ जी
महंत अवैद्यनाथ आल इंडिया हिंदू महासभा के उपाध्यक्ष और एक्जीक्यूटिव पद पर
रहे। इसके बाद आल इंडिया हिंदू महासभा के सदस्य और पूर्व महासिचव भी रह चुके हैं।
महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ ने 1998 में सबसे कम उम्र का सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया। योगी आदित्यनाथ ने 'हिन्दू
युवा वाहिनी' का गठन किया जो हिन्दू युवाओं को धार्मिक बनाने
के लिए प्रेरणा देती है। महंत अवैद्यनाथ का गोरखपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों
में काफी प्रभाव था। चार बार सांसद रहे अवैद्यनाथ ने 1998 में योगी आदित्यनाथ को अपना राजनीति वारिस बनाया था। योगी तभी से गोरखपुर का
प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं।
इन धार्मिक पदों पर रहे महंत अवैद्यनाथ जी
गोरक्षपीठाधीश्वर- गोरक्षनाथ पीठ, गोरखपुर।
अध्यक्ष- श्रीराम जन्म भूमि मुक्ति यज्ञ समिति।
अध्यक्ष- अखिल भारत वर्षीय अवधूत भेष बारहपंथ-योगी महासभा, हरिद्वार।
अध्यक्ष- श्रीराम जन्म भूमि उच्चाधिकार समिति।
अध्यक्ष- गुरु गोरखनाथ सेवा संस्थान, गोरखनाथ (गोरखपुर)।
अध्यक्ष- श्रीराम जानकी मंदिर, झुंगिया बाजार, गोरखपुर।
इन कॉलेजों के अध्यक्ष रहे महंत अवैद्यनाथ
जी रहे
महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर, महाविद्यालय, जंगल धूसड़, गोरखपुर।
गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ महाविद्यालय, चौक, महराजगंज।
दिग्विजयनाथ एल.टी. प्रशिक्षण महाविद्यालय, गोरखपुर।
दिग्विजयनाथ इंटर कालेज, चौक बाजार, महाराजगंज।
महाराणा प्रताप कृषक इंटर कॉलेज, जंगल धूसड़, गोरखपुर।
दिग्विजयनाथ जूनियर हाई स्कूल, चौक माफी, पीपीगंज, गोरखपुर।
गोरखनाथ विद्यापीठ, पितेश्वरनाथ मंदिर, भरोहिया, पीपीगंज, गोरखपुर।
महाराणा प्रताप सीनियर सेकेंडरी स्कूल, मंगलादेवी मन्दिर, बेतियाहाता, गोरखपुर।
महंत दिग्विजयनाथ बालिका विद्यालय, चौक, महाराजगंज।
आदि शक्ति मां पाटेश्वरी पब्लिक स्कूल, देवीपाटन, तुलसीपुर, बलरामपुर।
योगिराज बाबा गंभीरनाथ सेवाश्रम समिति, जंगल घूसड़, गोरखपुर।
गुरू श्री गोरक्षनाथ स्कूल ऑफ नर्सिंग, गोरखनाथ, गोरखपुर।
गुरू गोरखनाथ संस्कृत विद्यालय, मैदागिन वाराणसी।
महंत अवैद्यनाथ जी इन कॉलेजों में रहे
प्रबंधक
स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गोरखपुर।
महाराणा प्रताप महिला महाविद्याल, रामदत्तपुर, गोरखपुर।
गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ, गोरक्षनाथ, गोरखपुर।
महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज, गोरखपुर।
गोरक्षनाथ उ.मा. विद्यालय,गोरखनाथ, गोरखपुर।
महाराणा प्रताप पूर्व माध्यमिक विद्यालय, रामदत्तपुर, गोरखपुर।
महाराणा प्रताप पूर्व माध्यमिक विद्यालय, लालडिग्गी, गोरखपुर।
महाराणा प्रताप शिशु शिक्षा विहार, रामदत्तपुर, गोरखपुर।
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद, गोरखपुर।
चिकित्सा के क्षेत्र महंत जी का योगदान
गुरू श्री गोरखनाथ चिकित्सालय, गोरखनाथ, गोरखपुर
महंत दिग्विजयनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय, गोरखनाथ, गोरखपुर
श्री मां पाटेश्वरी सेवाश्रम चिकित्सालय, देवीपाटन, तुलसीपुर, बलरामपुर
गोरखनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, सोनबरसा, मानीराम, गोरखपुर
सामाजिक और सांस्कृतिक उपलब्धियां
श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन के प्राणेयताकार्य।
हरिजनों और निर्धनों का उत्थान, शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना करना।
हिंदूवाद को प्रोत्साहन देना, अस्पृश्यता के विरूद्ध सामुदायिक कार्यक्रम
आयोजित करना।
साहित्यक, कलात्मक और वैज्ञानिक उपलब्धियां
विभिन्न मासिक पत्रिकाओं में योग और दर्शन पर लेख प्रकाशित।
प्रबंध संपादक- मासिक पत्रिका 'योगवाणी।'
महंत जी की विशेष अभिरुचि
योग, धार्मिक, सांस्कृतिक, दार्शनिक और ऐतिहासिक साहित्य का अध्ययन करना और
धार्मिक स्थलों की यात्रा करना।
योग के क्षेत्र में महंत जी का योगदान
अध्यक्ष- महायोगी गुरू गोरखनाथ योग संस्थान, गोरखनाथ, गोरखपुर।
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