1947 से लेकर आजतक पाकिस्तान से भारत को सिर्फ धोखा ही मिला है। अब एक बार फिर पाकिस्तान ने हुर्रियत के नाम पर बातचीत से धोखा किया है। उफा हो, दिल्ली हो, शर्म अल शेख हो, आगरा हो, लाहौर हो या फिर उधमपुर भारत ने बार-बार पाकिस्तान पर भरोसा किया। हर बार एक अच्छे पड़ोसी और शांतिप्रिय मुल्क का फर्ज निभाया, लेकिन बदले में हर बार पाकिस्तान ने दिया धोखा। आगे तस्वीरों में देखें- पाकिस्तान ने भोरत को दिए ये 10 धोखे।
पहला धोखा - अक्टूबर 1947:- आजादी के फौरन बाद ही पाकिस्तान ने पहला धोखा देते हुए जम्मू कश्मीर में अपने ट्रेंड कबायली भेज दिए। भारतीय सेना ने उन्हें खदेड़ दिया लेकिन धोखेबाद पाकिस्तान ने तब नहीं माना कि ये उसके ही लोग थे। लेकिन उसके धोखे की पोल तब खुली जब कुछ वक्त बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में माना कि वो कबायली दरअसल पाकिस्तानी सेना के ही ट्रेन्ड लोग थे और पाकिस्तानी सेना के ही इशारे पर काम कर रहे थे, लेकिन ये भारत का बड़ा दिल था कि दिसंबर 1947 में पीएम नेहरू ने लाहौर जाकर पाकिस्तानी पीएम लियाकत अली खान से बात की।
दूसरा धोखा - 1958 की संधि:- इसमें भारत और पाकिस्तान ने वादा किया कि वो एक दूसरे के खिलाफ ताकत का इस्तेमाल नहीं करेंगे। बातचीत के जरिए मसले सुलझाएंगे लेकिन तब से आजतक इस पर पाकिस्तान का धोखा जारी है।
तीसरा धोखा - अगस्त 1965:- पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर में अपने सैनिक फिर भेजे लेकिन पाकिस्तान ने फिर 1947 की तरह झूठ बोला। लेकिन इस बार भारत ने करारा जवाब दिया। नतीजा जंग, भारत ने पाकिस्तान के कई अहम हिस्से पर कब्जा कर लिया। जैसे हाजी पीर की पहाड़ी और तिथवाल दर्रा, लेकिन भारत की शराफत देखिए। इस विश्वासघात के बावजूद ताशकंद में भारत ने पाकिस्तान को उसकी जमीन लौटा दी।
चौथा धोखा – 1971:- 1971 की जंग में भी पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। पाकिस्तान का विभाजन हो गया। जंग खत्म होने का एलान 17 दिसंबर, 1971 को हुआ। पूर्वी पाकिस्तान खोने के साथ-साथ पाकिस्तान ने पश्चिमी हिस्से में भी हजारों किमी गंवा दिया। उसके 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। लेकिन जुलाई 1972 में हुए शिमला समझौते के बाद भारत ने फिर पाकिस्तान को माफ कर दिया, उसकी जमीन उसे लौटा दी, लेकिन फिर भी पाकिस्तान का धोखा जारी रहा।
पांचवां धोखा- फरवरी 1999:- पाकिस्तान पर भरोसा करके प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर तक बस यात्रा की। ताशकंद और शिमला समझौते की बातें कही गईं। लेकिन बदले में पाकिस्तान ने दिया करगिल।
छठा धोखा - 2001, आगरा:- बड़ा दिल करके एक बार फिर भारत ने पाकिस्तान पर भरोसा किया। उस मुशर्रफ पर भरोसा किया जो करगिल का सूत्रधार था। पीएम वाजपेयी ने मुशर्रफ को आगरा बुलाया, लेकिन बदले में क्या मिला आतंकवाद।
सातवां धोखा - दिसंबर 2001:- भारतीय संसद पर हमला किया गया। आईएसआई के इशारे पर हमला हुआ। इसके बावजूद 2004 में वाजपेयी फिर पाकिस्तान जाते हैं।
आठवां धोखा - 2008 मुंबई हमला:- 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। पाकिस्तान पूरी दुनिया में आतंक को लेकर बेनकाब हो गया। कसाब जिंदा पकड़ा गया। हाफिज से लेकर लश्कर सब बेनकाब हो गए, लेकिन फिर भी धोखा जारी रहा।
नौवां धोखा - उधमपुर 2015:- फिर पाकिस्तान का धोखा उधमपुर में नवेद की शक्ल में दिखा। उसकी पोल खुल गई जब पाकिस्तानी नागरिक नवेद के मां बाप ने कहा कि वो उनका ही बेटा है।
दसवां धोखा - अगस्त 2015:- आतंक की पनाहगाह बना पाकिस्तान आतंक पर दुनिया भर से मुंह चुराता रहा है और इसीलिए उसने 2014 की ही तरह कश्मीर और हुर्रियत की आड़ में भारत को फिर धोखा दिया और बातचीत से इनकार कर दिया।
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