Saturday, 30 December 2023

કુપોષણ મુક્ત બાળક અભિયાન

 હિન્દુ યુવા વાહિની ગુજરાત દ્વારા "કુપોષણ મુક્ત બાળક" અભિયાન અંતર્ગત જામનગર જિલ્લાના કાલાવડ તાલુકાના ઘટક ૧ અને ૨ નાં ૧૦૫ દતક લેવાયેલ બાળકોને બીજા મહિનાના પ્રોટીન પાવડર નાં ડબ્બા નું વિતરણ કાલાવડ આઈસીડીએસ શાખાનાં અઘિકારીઓ તેમજ સેવિકા બહેનોનાં સહયોગ થી કરવામાં આવ્યું... 

આપ સૌને ધન્યવાદ આભાર.








Tuesday, 26 December 2023

वीर बलिदान दिवस

 वीर  बलिदान दिवस 26 दिसंबर 1705

20 दिसम्बर, 1705 को गुरु गोबिन्द सिंह जी ने सिखों और परिवार के साथ मुगल सेना के साथ संघर्ष करते हुए श्री आनन्दपुर साहिब जी को छोड़ा। सरसा नदी पार करते-करते कई झड़पें हुई, जिसमें कई सिक्ख मारे गए। पाँच सौ में से केवल चालीस सिक्ख बचे जो गुरू साहिब के साथ रोपड़ के समीप चमकौर की गढ़ी में पहुँच गए।


सरसा नदी की बाढ़ के कारण श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी का परिवार काफिले से बिछुड़ गया। माता गुजर कौर (गुजरी जी) के साथ उनके दो छोटे पोते, अपने रसोइये गँगा राम के साथ आगे बढ़ती हुए रास्ता भटक गईं। उन्हीं दिनों सरहिन्द के नवाब वजीद ख़ान ने गाँव-गाँव में ढिँढोरा पिटवा दिया कि गुरू साहिब व उनके परिवार को कोई पनाह न दे। पनाह देने वालों को सख्त सजा दी जायेगी और उन्हें पकड़वाने वालों को इनाम दिया जाएगा। गँगू की नीयत खराब हो गई। उसने मोरिंडा की कोतवाली में कोतवाल को सूचना देकर इनाम के लालच में बच्चों को पकड़वा दिया। नवाब वज़ीर खान ने जब गुरू साहिब के मासूम बच्चों तथा वृद्ध माता को अपने कैदियों के रूप में देखा तो बहुत प्रसन्न हुआ। उसने अगली सुबह बच्चों को कचहरी में पेश करने के लिए फरमान जारी कर दिया।

वज़ीर ख़ान के सिपाही दोनों साहिबजादों को कचहरी में ले गये। थानेदार ने बच्चों को समझाया कि वे नवाब के दरबार में झुककर सलाम करें। किन्तु बच्चों ने इसके विपरीत उत्तर दिया और कहा: यह सिर हमने अपने पिता गुरू गोबिन्द सिंघ के हवाले किया हुआ है, इसलिए इस को कहीं और झुकाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता।

नवाब वज़ीर खान कहने लगा इस्लाम धर्म को कबूल कर लो तो तुम्हें रहने को महल, खाने को भाँति भांति के पकवान तथा पहनने को रेशमी वस्त्र मिलेंगे। तुम्हारी सेवा में हर समय सेवक रहेंगे। लेकिन दोनों वीरो ने उत्तर दिया हमें सिक्खी जान से अधिक प्यारी है। दुनियाँ का कोई भी लालच व भय हमें सिक्खी से नहीं गिरा सकता। हम पिता गुरू गोबिन्द सिंघ के शेर बच्चे हैं तथा शेरों की भान्ति किसी से नहीं डरते। हम इस्लाम धर्म कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे।
नवाब बच्चों को मारने की बजाय इस्लाम में शामिल करने के हक में था। वह चाहता था कि इतिहास के पन्नों पर लिखा जाये कि गुरू गाबिन्द सिंघ के बच्चों ने सिक्ख धर्म से इस्लाम को अच्छा समझा और मुसलमान बन गए। अपनी इस इच्छा की पूर्ति हेतु उसने गुस्से पर नियँत्रण कर लिया तथा कहने लगा बच्चों जाओ, अपनी दादी के पास। कल आकर मेरी बातों का सही-सही सोचकर उत्तर देना। माता गुजरी जी पोतों से कचहरी में हुए वार्तालाप के बारे में पूछने लगी। बच्चें भी दादी माँ को कचहरी में हुए वार्तालाप के बारे में बताने लगे।
अगले दिन भी कचहरी में पहले जैसे ही सब कुछ हुआ, नवाब का ख्याल था कि भोली-भाली सूरत वाले ये बच्चे लालच में आ जाएँगे। पर वे तो गुरू गोबिन्द सिंघ के बच्चे थे, मामूली इन्सान के नहीं। उन्होंने किसी शर्त अथवा लालच में ना आकर इस्लाम स्वीकार करने से एकदम इन्कार कर दिया। अब नवाब धमकियों पर उतर आया। गुस्से से लाल पीला होकर कहने लगा: ‘यदि इस्लाम कबूल न किया तो मौत के घाट उतार दिए जाओगे। फाँसी चढ़ा दूँगा। जिन्दा दीवार में चिनवा दूँगा। बोलो, क्या मन्जूर है– मौत या इस्लाम ? उन्होंने उत्तर दिया ‘हम गुरू गोबिन्द सिंघ जैसी महान हस्ती के पुत्र हैं। हमारे खानदान की रीति है, ‘सिर जावे ताँ जावे, मेरा सिक्खी सिदक न जावे।’ हम धर्म परिवर्तन की बात ठुकराकर फाँसी के तख्ते को चूमेंगे।’
तीसरे दिन साहिबज़ादों को कचहरी में लाकर डराया धमकाया गया। उनसे कहा गया कि यदि वे इस्लाम अपना लें तो उनका कसूर माफ किया जा सकता है और उन्हें शहजादों जैसी सुख-सुविधाएँ प्राप्त हो सकती हैं। किन्तु साहिबज़ादे अपने निश्चय पर अटल रहे। उनकी दृढ़ता को देखकर उन्हें किले की दीवार की नींव में चिनवाने की तैयारी आरम्भ कर दी गई किन्तु बच्चों को शहीद करने के लिए कोई जल्लाद तैयार न हुआ।

अकस्मात दिल्ली के शाही जल्लाद साशल बेग व बाशल बेग अपने एक मुकद्दमें के सम्बन्ध में सरहिन्द आये। उन्होंने अपने मुकद्दमें में माफी का वायदा लेकर साहिबज़ादों को शहीद करना मान लिया। बच्चों को उनके हवाले कर दिया गया। उन्होंने जोरावर सिंघ व फतेह सिंघ को किले की नींव में खड़ा करके उनके आसपास दीवार चिनवानी प्रारम्भ कर दी।


दीवार फतेह सिंघ के गले तक पहुँच गई काज़ी के सँकेत से एक जल्लाद ने फतेह सिंघ तथा उस के बड़े भाई जोरावर सिंघ का शीश तलवार के एक वार से कलम कर दिया। इस प्रकार श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी के सुपुत्रों ने अल्प आयु मे ही शहादत प्राप्त की। माता गुजरी जी बच्चे के लौटने की प्रतीक्षा में गुम्बद की मीनार पर खड़ी होकर राह निहार रही थीं। माता गूजरी जी भी छोटे साहिबजादों जी की शहीदी का समाचार सुनकर ठँडे बूर्ज में ही शरीर त्याग गईं यानि शहीदी प्राप्त की।

स्थानीय निवासी जौहरी टोडरमल को जब गुरू साहिब के बच्चों को यातनाएँ देकर कत्ल करने के हुक्म के विषय में ज्ञात हुआ तो वह अपना समस्त धन लेकर बच्चों को छुड़वाने के विचार से कचहरी पहुँचा किन्तु उस समय बच्चों को शहीद किया जा चुका था। उसने नवाब से अँत्येष्टि क्रिया के लिए बच्चों के शव माँगे। वज़ीर ख़ान ने कहा: यदि तुम इस कार्य के लिए भूमि, स्वर्ण मुद्राएँ खड़ी करके खरीद सकते हो तो तुम्हें शव दिये जा सकते हैं। टोडरमल ने अपना समस्त धन भूमि पर बिछाकर एक चारपाई जितनी भूमि खरीद ली और तीनों शवों की एक साथ अँत्येष्टि कर दी।

यह सारा किस्सा गुरू के सिक्खों ने गुरू गोबिन्द सिंघ को नूरी माही द्वारा सुनाया गया तो उस समय अपने हाथ में पकड़े हुए तीर की नोंक के साथ एक छोटे से पौधे को जड़ से उखाड़ते हुए उन्होंने कहा– जैसे मैंने यह पौध जड़ से उखाड़ा है, ऐसे ही तुरकों की जड़ें भी उखाड़ी जाएँगी।

यह घटना 13 पौष तदानुसार 26 दिसम्बर 1705 ईस्वी में घटित हुई।

Monday, 10 August 2020

'ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जाप तेज़ और प्रभावशाली है।

भगवान शिव के पांच मुख उनके अग्नि स्तंभ के रुप में प्रकट हुए थे। ये पांच मुख, पांचों तत्व पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि तथा वायु के रूप थे। सर्वप्रथम ॐ शब्द की उत्पत्ति हुई थी, उसके बाद पांच शब्द नम: शिवाय की उत्पत्ति उनके पांचों मुखों से हुई। इसे सृष्टि का सबसे पहला मंत्र माना जाता है और यह महामंत्र है।

इसी से अ इ उ ऋ लृ इन पांच मूलभूत स्वर तथा व्यंजन जो पांच वर्णो से पांच वर्ग वाले हैं वे प्रकट हुए। त्रिपदा गायत्री का प्राकट्य भी इसी शिरोमंत्र से हुआ इसी गायत्री से वेद और वेदों से करोड़ो मंत्रों का प्राकट्य हुआ।

इस मंत्र के जाप से सभी मनोरथों की सिद्धि होती है। भोग और मोक्ष दोनों को देने वाला यह मंत्र जपने वाले के समस्त व्याधियों को भी शांत कर देता है। इस मंत्र का जाप करने से बाधाएं पास नहीं आती है और यमराज के दूत भी इस मंत्र का जाप करने वाले इंसान के पास नहीं जाते है।

जो इस मंत्र का जाप करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मंत्र शिववाक्य है, जिसके मन में यह मंत्र निरंतर रहता है वह शिवस्वरुप हो जाता है।


शिव का पूजन लिंग रूप में ही ज्यादा फलदायक माना गया है। शिव का मूर्तिपूजन भी श्रेष्ठ है किंतु लिंग पूजन सर्वश्रेष्ठ है। भगवान शिव ब्रह्म रूप होने के कारण निराकार है। समस्त देवताओं में शिव एकमात्र परब्रह्म है, वे ही निराकार लिंग के रूप में पूजे जाते हैं।


शिव को बिल्वपत्र अत्यंत प्रिय हैं। बिल्वपत्रों को तोड़कर शिव को अर्पण करने से शिव का सामीप्य प्राप्त होता हैं। अष्टमी, चर्तुदशी, अमावस्या, पूर्णिमा एवं सोमवार को बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए। सोमवार शिव का प्रिय दिवस होता हैं। इस दिन एक दिन पूर्व का तोड़ा हुआ बिल्वपत्र पूजन में उपयोग लेना चाहिए।

Sunday, 19 July 2020

કલકત્તા ટુ લંડન બસ સર્વિસ....

આપણને ખબર છે કે જગતનો સૌથી લાંબો બસનો રુટ કયો ? આ રુટ હતો કલકત્તા ટુ લંડન
થયું કે આશ્વર્ય ? ‌ હા આ ૭૯૦૦ કી.મી.નો અસ્તીત્વમાં હતો.

આ બસ કલકત્તાથી નીકળી
દીલ્હી, અમૃતસર, વાધા બોર્ડર લાહોર. ( પાકિસ્તાન) કાબુલ, હેરાણ, (અફઘાનિસ્તાન) તહેરાન ( ઇરાન) ઇસ્તંબુલ (તુર્કસ્તાન) જર્મન, ઓસ્ટ્રીયા, ફ્રાન્સ, થઈ ને લંડન જતી હતી. 

આ બસ ૧૫ એપ્રિલ ૧૯૫૭ ના ચાલુ થઈ હતી બસ ભાડુ ૮૫ પાઉન્ડ હતું આ બસ ૧૫ એપ્રિલ ૧૯૭૩ સુધી ચાલુ હતી ત્યારે ભાડુ ૧૪૫ પાઉન્ડ હતું છે ત્યારબાદ બસ સર્વિસ બંધ કરવામાં આવેલ.

"કુપોષણ મુક્ત બાળક" મહા અભિયાન શરૂ કરવામાં આવ્યું....

ગુજરાત પોષણ અભિયાન - ૨૦૨૦ અંતર્ગત હિન્દુ યુવા વાહિની ગુજરાત દ્વારા રાજ્ય માંથી કુપોષણ નું ભારણ ઘટાડવા અને પીડિત બાળકો ને સુપોષણ આપવા હેતુ રાજ્ય ના તમામ જિલ્લા માં "કુપોષણ મુક્ત બાળક" મહા અભિયાન શરૂ કરવામાં આવેલ છે. 

હાલ રાજ્ય ના સાત (૭) જિલ્લામાં થી 1680 બાળકો દત્તક લેવા માં આવેલ છે.

આ જરૂરીયાત વાળા દત્તક લેવાયેલા અતિકુપોષિત બાળકોને વજન પ્રમાણે સામુદાયિક સ્તરે 12 મહિના (એક વર્ષ) સુધી દર મહિને ‘’પોષણ આહાર કીટ’’ (પોષક તત્વો યુક્ત આહાર Nutritus Hy Pro પાઉડર નો એક ડબ્બો, ઘઉં, ચણા અને સોયાબીન નો આટો એક કિલો, મિક્ક્ષ કઠોળ, ઘી, ખજૂર, ગોળ, ચણા,સુખડી, દૂધ, ફળ) વિગેરે નું વિતરણ કરવામાં આવશે તેમજ બાળકોને તંદુરસ્ત, કુપોષણ મુક્ત બનાવવાનું સેવાકીય કાર્ય કરશે.

હિન્દુ યુવા વાહિની  ગુજરાત રાજ્ય માં પહેલું સંગઠન છે કે જેને રાજ્યો ના આ પીડિત બાળકો ની મદદ હેતુ "કુપોષણ મુક્ત બાળક" મહા અભિયાન શરૂ કરેલ છે. ગત વર્ષ 2019 માં રાજકોટ જિલ્લા ના અતિ કુપોષિત પીડિત બાળકો એક વર્ષ માટે દત્તક લેવામાં આવેલ...

દેવભૂમિ દ્વારકા જિલ્લા થી તારીખ:- 30 જાન્યુ.2020 ના રોજ વહીવટી અધિકારીઓ સર્વ  શ્રી અનુપમ આનંદ સાહેબ સચિવ શ્રી ગાંધીનગર, દ્વારકા મામલતદાર સાહેબશ્રી, જિલ્લા પ્રોગ્રામ અધિકારીશ્રી, તાલુકા વિકાસ અધિકારી સાહેબ શ્રી, હિન્દૂ યુવા વાહિની ગુજરાત ના પ્રદેશ પ્રભારી હરપાલસિંહ જાડેજા, સંજયભાઈ ગઢવી રાજપાલસિંહ ગોહિલ તથા હિયુવા  દ્વારકા જિલ્લા પ્રભારી તપન શુક્લા વિગેરે ની ઉપસ્થિત રહેલ તેમજ પ્રથમ કન્યાઓનું પૂજન કરીને "પોષણ આહાર કીટ" નું વિતરણ શરૂ કરવામાં આવેલ.

આ મહા અભિયાન ના પ્રોજેક્ટ ઇન્ચાર્જ તરીકે શ્રીમતી કોકિલાબેન જોશી (જસદણ / વીંછીયા ના નિવૃત cdpo)  જોઈન્ટ ઇન્ચાર્જ પ્રોફેસર પિન્ટુબેન પટેલ  ને નિયુક્ત કરવામાં આવેલ છે.

આ મહા અભિયાન ને સફળ બનાવવા તથા પીડિત બાળકોને આ ગંભીર સમસ્યા માં થી સામાન્ય બાળક ની શ્રેણીમાં લાવવામાં હિન્દુ યુવા વાહિની ગુજરાત ના પ્રદેશ પ્રભારી હરપાલસિંહ જાડેજા તથા અન્ય સહયોગી મહાનુભાવો ચમનભાઈ સિંધવ, મંગેશભાઈ દેસાઈ, રાજુભાઇ ઝુંઝા વિગેરે માર્ગદર્શન અને સુચનાનુસાર તેમજ હિયુવા ના જિલ્લા અધ્યક્ષ તેમજ નાના મોટા દરેક સદસ્યો અને પદાધિકારીઓ વ્યક્તિગત જવાબદારી સમજી સ્વૈચ્છિક રીતે સેવાકીય કાર્ય માં જોડાયા છે.



Saturday, 18 July 2020

‘’ગુજરાત પોષણ અભિયાન – ૨૦૨૦/ ૨૨’’

આજ રોજ દેવ ભૂમિ દ્વારકા (ખંભાળિયા) ખાતે જિલ્લા વિકાસ અધિકારી સાહેબશ્રી ના અધ્યક્ષસ્થાને યોજાયેલ ICDS (આંગણવાડી ) સંકલન બેઠક માં ‘’ગુજરાત પોષણ અભિયાન – ૨૦૨૦/ ૨૨’’ અંતર્ગત રાજ્ય માંથી કુપોષણ નું ભારણ ઘટાડવા અને અભિયાન ને સાર્થક બનાવવા હેતુને લઈને હિન્દુ યુવા વાહિની ગુજરાત ના પદાધિકારીઓ ને બેઠક માં ખાસ  ઉપસ્થિત રહેવા નિમંત્રણ પાઠવવામાં આવેલ...  ધન્યવાદ સાથે આભાર દેવભૂમિ દ્વારકા જિલ્લા પંચાયત (ખંભાળિયા).

આ અભિયાન અંતર્ગત હિન્દુ યુવા વાહિની ગુજરાત દ્વારા રાજ્ય ના સાત જિલ્લા ના 1680 અતિ કુપોષિત બાળકો એક વર્ષ માટે દત્તક લીધેલા છે. આ તમામ બાળકો ને આગામી દિવસો માં "પોષણ આહાર કીટ" શરૂ કરવામાં આવશે. 

આજ ની બેઠક  જિલ્લા વિકાસ અધિકારી શ્રી જાડેજા સાહેબ, જિલ્લા આરોગ્ય અધિકારીશ્રી, તમામ તાલુકા અધિકારીશ્રીઓ, જિલ્લા પ્રીગ્રામ અધિકારીશ્રી, તમામ તાલુકાના સીડીપીઓ શ્રી તથા હિન્દુ યુવા વાહિની તરફ થી હરપાલસિંહ જાડેજા,  મંગેશભાઈ દેસાઈ ઉપસ્થિત રહેલ....


Friday, 17 July 2020

લોકોને મારવા માટે પોલીસ નથી ; ભાવનગર રાજ ના દીવાન પ્રેમશંકર....

રાજા (શાસકો) કેવા હોય…અને પ્રજા સાથે રાજા નું વર્તન શું હોય... પોલીસ માટે અને ખાસ પોલીસ નો દુરુપયોગ કરી પોતાના વટક વાળતા શાસકો માટે આ ઘટના  ”બોધપાઠ” બની તે હેતુ થી મુકી છે… એટલે તો ભાવનગર નાં રાજા પ્રજાવત્સલ રાજવી કહેવાયા છે… જેનું આખા દેશના લોકો અને અમો ક્ષત્રિય રાજપુતો ને ગૌરવ છે.

૧૯૨૭ ની વાત છે તે વખતે ભાવનગરના બાળમહારાજા શ્રી કૃષ્ણકુમારસિંહજી ને ઈંગ્લેન્ડ અભ્યાસ માટે મોકલ્યા હતા…. ત્યાંથી પરત આવી રહ્યા હતા ત્યારે લોકો બાળમહારાજાના સ્વાગત માટે હારતોરા લઈને, રેલવે સ્ટેશને ઉમટ્યા…. ટ્રેન શિહોર રેલવે સ્ટેશને આવી ત્યારે ત્રણ કલાક મોડી હતી… લોકો સ્વાગત માટે અધીરા થયા હતા… એવો ધસારો થયો કે દીવાન પ્રભાશંકરની પાઘડી પડી ગઈ અને કપડા ફાટી ગયા…. બાળમહારાજા ધક્કે ચડી ગયા… અને તેમનો સાફો નીકળી ગયો.. લોકોનો ધસારો વધતો હતો… તેમને રોકવા ફોજદારે લાઠીચાર્જ કર્યો… દીવાન પ્રભાશંકરે બૂમ પાડી… “લોકોને મારવા માટે પોલીસ નથી આઘા ખસો ” બાળમહારાજાએ પણ કહ્યું “ મારા લોકોને શામાટે મારો છો..?”

દીવાન પ્રભાશંકરે સ્થાનિક વહીવટદારને હુકમ કર્યો “ફોજદાર પાસેથી આજે જ 10 રુપિયા દંડ વસૂલ કરવો”…. પરંતુ બીજે દિવસે તેમણે દંડ માફ કર્યો… 

થોડા દિવસ પછી દીવાન પ્રભાશંકરનો કેમ્પ શિહોર મુકામે હતો ત્યારે ફોજદાર આભાર માનવા ગયા…
પ્રભાશંકરે કહ્યું : “તમારો હેતુ વ્યવસ્થા જાળવવાનો હતો… પરંતુ લોકોને મારવાથી ઊલટી ગેરવ્યવસ્થા વધે… “લોકોને રાજ્ય તરફ માન ઘટે”…. હું તમારી જગ્યાએ હોઉં તો..? લોકો લાંબા સમયથી રાહ જોઈને કંટાળે… જો આ રીતે લોકોને અગાઉથી સમજાવ્યાં હોત તો ધમાલ ન થાત.. ભીડમાં ધાંધલ ન થાય તે માટે અગાઉથી સાવચેતીનાં પગલાં લેવા માટે પોલીસ છે.”

મુળ લેખક:-
શ્રી લાભુભાઈ પી. કાત્રોડીયા
પ્રમુખ
પત્રકાર એકતા સંગઠન (ગુજરાત)

Thursday, 16 July 2020

नेटफ्लिक्स वेब सीरीज़ पे प्रतिबंध की मांग

राजकोट जिल्ला कलेक्टर श्री के माध्यम से मान. केंद्रीय मंत्रीश्री प्रकास जावड़ेकर जी (Ministry of Information & Broadcasting, Government of India) को एक निवेदन दिया गया है, जिसमें वेब श्रृंखला Netflix India और Amazon Prime Video पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया है, जो हिन्दु संस्कृति व धार्मिक आस्था को चोट पहुंचा रही है।
हिन्दु युवा वाहिनी गुजरात के प्रदेश प्रभारी हरपालसिंह जडेजा जीऔर हिन्दु जागरण मंच राजकोट के विक्रमसिंह परमार, मंगेशभाई देसाई, राजुभाई पिलाई, खोडियार धाम आश्रम के महंत पूज्य १००८ जयरामदास जी महाराज, वल्लभश्रय हवेली के मुख्याजी अभिषेक बावा जी विगेरे उपस्थिति रहे थे।
#bannitflixindia




Thursday, 28 November 2019

भारत के सबसे कम उम्र के आईएएस

गरीबी के कारण कभी स्कूल से कटने वाला था नाम आज है भारत के सबसे कम उम्र के आईएएस ।



अंसार शेख अपने परिवार में ग्रेजुएशन करने वाले पहले व्यक्ति है और सरकारी नौकरी पाने वाले भी। पर केवल अपने परिवार में ही नहीं बल्कि पुरे भारत में अंसार सबसे कम उम्र के आईएएस अधिकारियों में से एक है।
महाराष्ट्र निवासी अंसार ने साल 2016 में अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा को पास कर लिया था। वे तब केवल 21 साल के थे। इतना ही नहीं उनकी ऑल इंडिया रैंक 361 थी।
अगर आप कभी उनके भाषण सुने, तो आपको पता चलेगा कि शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्होंने और उनके परिवार ने कितनी परेशानियों का सामना किया है। उनके पिता, मराठावाड़ा के जालना जिले में शेलगाँव में एक रिक्शा चालक थे और शराब की लत से ग्रस्त थे। उन्होंने तीन बार शादी की। अंसार की माँ, जो खेत में काम करती थी, उनकी दूसरी पत्नी है।
अंसार घरेलू हिंसा और बाल विवाह जैसी कुरूतियों को देखकर बड़े हुए। उनकी बहनों की शादी 15 साल की उम्र में हुई थी, और उनके भाई को छठी कक्षा के बाद अपने चाचा के गेराज पर काम करने के लिए पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
भले ही अंसार के भाई उनसे दो साल छोटे है, लेकिन अंसार उन्हें हर तरीके से खुद से बड़ा मानते है। ऐसा क्यूँ है ये आपको उनकी कहानी जानकर पता चलेगा।
हर कोई सोचता था कि अंसार अपने घर से दबाब के चलते पढ़ाई छोड़ देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अपने एक भाषण में उन्होंने बताया,
“मेरे सभी रिश्तेदार मेरे माँ-बाप से पूछते थे कि क्या जरूरत है अंसार को पढ़ाने की। जब मैं चौथी कक्षा में था, तो मेरे माता-पिता ने मेरे टीचर से कहा कि वे मेरा स्कूल छुड़वाना चाहते हैं, पर उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया। उन्होंने उनसे कहा कि आपका बेटा एक उज्ज्वल छात्र है। उसकी पढ़ाई में पैसा लगा कर आपको पछतावा नहीं होगा। वो एक दिन आपकी किस्मत बदल देगा। मेरे अशिक्षित माता-पिता के लिए मेरे शिक्षक द्वारा कही गयी यह बा बहुत बड़ी थी।”
और इसलिए, उनके माता-पिता ने शिक्षा और अंसार को एक मौका देने का फैसला किया। अंसार ने भी 12वीं में 91 प्रतिशत अंक लाकर अपने टीचर की कही उस बात का मान रखा!
वे जिला परिषद स्कूल में पढ़ाई के संघर्षों के बारे में हँसते हुए बताते हैं, “मुझे बड़े होने पर चिकन बहुत पसंद था। लेकिन जिस घर में एक वक़्त का खाना नसीब होना भी किस्मत थी। वहां चिकन भूल जाओ। इसलिए जब कभी दोपहर के भोजन में कीड़े मिलते थे तो शाकाहारी खाना खुद ब खुद मांसाहारी हो जाता था।”

उन्होंने 12वीं मराठी माध्यम से पढ़ने के बाद पुणे के फर्गूसन कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस विषय से ग्रेजुएशन में दाखिला लिया। हालाँकि, यह निर्णय आसान नहीं था। उनके पिता हर महीने उन्हें थोड़े-बहुत पैसे भेजते थे। बाकी इसके अलावा उनका भाई महीने की अपनी पूरी कमाई- 6000 रूपये उनके अकाउंट में जमा करा देता था।
हालांकि, बड़ा सवाल यह था कि वह यूपीएससी कोचिंग की फीस कैसे भरेंगे जो कि 70,000 रुपये थी।
उन्होंने याद करते हुए बताया, “जब मैंने जाधव सर को मेरे परिवार के बारे में बताया तो उन्होंने मुझे फीस में 50% डिस्काउंट दिया, क्योंकि उन्हें लगता था कि मैं कुछ कर सकता हूँ। जब मैंने क्लास में पहला कदम रखा, तो देखा कि वहां आए ज़्यादातर छात्र 20 से 30 साल के बीच में थे, जिन्होंने दो से तीन बार परीक्षा दी थी। मैं केवल 19 साल का था। इसलिए मैं अक्सर डरता था और सबसे बातचीत करना मुश्किल लगता था।”
लेकिन जैसे ही क्लास शुरू होने लगीं, अंसार  की उत्सुकता बढ़ने लगी। उन्होंने सबसे बातचीत शुरू कर दी। साथ ही वे क्लास में कोई भी सवाल पूछने से नहीं कतराते थे।
“कभी-कभी मैं नोट्स के लिए पैसे बचाता और सिर्फ वड़ापाव खाकर गुजारा करता था। अपने दोस्तों से किताबे लेकर फोटोकॉपी करा लेता था। मैंने दिन में 13 घंटे पढ़ना शुरू किया। क्योंकि फेल होना मेरे लिए कोई विकल्प नहीं था। मुझे दूसरी बार तैयारी करने का मौका नहीं मिलता,” उन्होंने कहा।
उन्हें थोड़ी राहत मिली जब उनका प्रीलिम्स पास हो गया। लेकिन मेन्स और साक्षात्कार अभी भी रहता था। जब वह अपने मेन्स की तैयारी कर रहे थे, तब उनकी बहन के पति की बहुत ज्यादा शराब पीने से मौत हो गयी! इसके बाद परिवार को संभालने की ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर आ गयी थी, क्योंकि उनके पिता और भाई दोनों काम कर रहे थे।
“लेकिन मुश्किल समय में भी, मेरी बहन, जिसने अपने पति को खोया था, उसने हार नहीं मानी। उसने मुझे पुणे लौटने और परीक्षा के लिए तैयारी करने को कहा।”
बाद में जब परीक्षा का परिणाम आया तो उन्होंने परीक्षा पास कर ली थी।
अंसार आज भी अपना पैनल के साथ इंटरव्यू को याद करते हैं, जहां एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने उन्हें कट्टरपंथी संगठनों में शामिल मुस्लिम युवाओं के बारे में पूछा। वे अंसार के जवाबों से प्रभावित हुए। इस इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि वे शिया संप्रदाय से है या सुन्नी से।
अंसार ने कभी भी अपनी गरीबी को अपने रास्ते का कांटा नहीं बनने दिया। ग्रेजुएशन के फर्स्ट ईयर में उन्हें यूपीएससी की परीक्षा के बारे में पता चला। पढ़ाई के साथ-साथ परीक्षा की तैयारी करने के लिए उन्होंने यूनिक अकेडमी के तुकाराम जाधव से सम्पर्क किया और पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए उनसे अनुरोध किया।

उन्होंने 275 में से 199 अंक प्राप्त किये, जो आईएएस के इंटरव्यू राउंड में बहुत बड़ी बात है।
आईएएस की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए अपने संदेश में, अंसार कहते हैं, “अगर आपको लगता है कि आपकी प्रतिस्पर्धा अन्य उम्मीदवारों के साथ है जो परीक्षा देते हैं, तो आप गलत हैं। आपकी एकमात्र प्रतियोगिता आप से है। तो अपने सभी निराशावादी विचारों से बाहर निकले और सफलता खुद आपको मिल जाएगी। याद रखें, गरीबी और सफलता का कोई संबंध नहीं है। आपको केवल कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की ज़रूरत है। आप कहाँ से आते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ”

Sunday, 22 April 2018

ભારત કૃષિ-પ્રધાન કે ખુર્શી-પ્રધાન ???

જગતના તાતને કમનસીબીની લાત...




મેરે દેશ કી ધરતી સોના ઉગલે ઉગલે હિરે મોતી... દેશભક્તિના ગીતોમાં સોના જેવો પાક ઉતરે એવી ભાવના વ્યકત થાય છે. પણ પાક ઉગાડનારા ખેડૂતોની આ કૃષિપ્રધાન દેશમાં હાલત કેવી કથળેલી છે ?
અન્ન ઉગાડી આખા દેશને જમાડતા અને જીવાડતા જગતના તાત કર્જ  કમનસીબીની લાત ખાઈને મોતને ભેટે છે.

૨૦૧૪થી ૨૦૧૬ સુધીના ત્રણ વર્ષના ગાળામાં  દેશના ૩૬ હજાર ખેડૂતોએ આત્મહત્યા કરી હતી.  કિસાન કલ્યાણ યોજનાઓ પાછળ કરોડો  રૃપિયાની ફાળવણી થાય છે, મહારાષ્ટ્ર અને ઉત્તર પ્રદેશમાં ખેડૂતોને સંપૂર્ણ કર્જમાફી આપવામાં આવી છે અને કૃષિકારોની સહાય માટે કેટલાય પેકેજ જાહેર કરવામાં આવે છે છતાં ખેડૂતોની આત્મહત્યાનો સિલસિલો થંભવાનું નામ  જ નથી લેતો.