Friday, 31 March 2017

ગુજરાત વિધાનસભામાં પશુ સંરક્ષણ સુધારા Bill રજૂ થયું

 ગુજરાત વિધાનસભામાં વિપક્ષની ગેરહાજરીમાં આજે પશુ સંરક્ષણ સુધારા બિલ (Bill) રજૂ કરાયું હતું, જેમાં ગૌવંશ હત્યા અને હેરાફેરી કરનારને સજા અને દંડ કરાશે. ગૌવંશ હત્યા માટે આજીવનકેદ તેમજ એકથી પાંચ લાખના દંડની જોગવાઈ કરાઈ છે. આ ઉપરાંત ગૌવંશની હેરફેર કરનારનું વાહન જપ્ત કરાશે.



ગુજરાત વિધાનસભામાં આજે સવારની પ્રથમ બેઠકના પ્રારંભમાં વિપક્ષ કોંગ્રેસના સભ્યોએ શાહ કમિશન અને અમિત શાહના નિવેદન અંગે વિરોધ પ્રદર્શિત કરતા કોંગ્રેસના તમામ સભ્યોને આજની બંને બેઠકમાંથી સસ્પેન્ડ કરવામાં આવ્યા હતા. કોંગ્રેસના સભ્યોની ગેરહાજરીમાં આજે સત્તાધારી ભાજપ દ્વારા વિધાનસભા ગૃહમાં પશુ સંરક્ષણ સુધારા Bill (બિલ) રજૂ કરવામાં આવ્યું હતું.

આ પશુ સંરક્ષણ સુધારા બિલમાં ગૌવંશ હત્યા, હેરફેર કરવા માટે સજા અને દંડની જોગવાઈ કરવામાં આવી છે. આ સુધારા બિલની જોગવાઈ મુજબ હવે જે કોઈ વ્યક્તિ ગૌવંશ હત્યા માટે પકડાશે તો તેને આજીવન કેદની સજા થઇ શકશે. જયારે આ ગુનો બિનજામીનપાત્ર ગુનો ગણાશે.

આ ઉપરાંત ગૌવંશની જે વાહનમાં હેરફેર કરવામાં આવશે તે વાહનને જપ્ત કરવામાં આવશે. એટલું જ નહિ, પશુની હેરફેર કરવા માટેની પરમિટ હશે તો રાત્રીના સમયે પશુની હેરફેર કરી શકાશે નહિ. જો આમ કરતા પકડાશે તો તેની સામે દંડ સહિતની કાર્યવાહી કરવામાં આવશે.

આવું મહત્વનું સુધારા બિલ (Bill) રજૂ કરાયું ત્યારે વિપક્ષ કોંગ્રેસના સભ્યો ગેરહાજરી હતી. કારણ કે આજે સવારની બેઠકના પ્રારંભમાં જ કોંગ્રેસના સભ્યોએ અનોખી રીતે પોતાનો વિરોધ દર્શાવ્યો હતો. જેના કારણે તેમને ગૃહમાંથી સસ્પેન્ડ કરવામાં આવ્યા હતા.

ॐ का उच्चारण

तीन अक्षरों से बना है, अ उ म्।
 का अर्थ है उत्पन्न होना,
 का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,
 का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् ब्रह्मलीन हो जाना।
ॐ सम्पूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है। ॐ का उच्चारण 11 प्रकार के शारीरिक लाभ प्रदान करता है।




उच्चारण की विधि

प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।

उच्चारणके फायदे

1. ॐ और थायरायडः ॐ का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
2. ॐ और घबराहट: अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।
3. ॐ और तनावः यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
4. ॐ और खून का प्रवाहः यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
5. ॐ और पाचनः ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति मजबूत होती है।
6. ॐ लाए स्फूर्तिः इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
7. ॐ और थकान: थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
8. ॐ और नींदः नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।
9.ॐ और फेफड़े: कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।
10. ॐ और रीढ़ की हड्डी: ॐ के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।
11. ॐ दूर करे तनावः ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।
आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ का उच्चारण करेंगे । साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी जरूर पहुंचायेगे जिनकी आपको फिक्र है। अपना ख्याल रखिये, खुश रहें।

राम नाम की महिमा

महादेव जी को एक बार बिना कारण के किसी को प्रणाम करते देखकर पार्वती जी ने पूछा आप किसको प्रणाम करते रहते हैं? शिव जी ने अपनी धर्मपत्नी पार्वती जी से कहा कि देवी! जो व्यक्ति एक बार 'राम' कहता है उसे मैं तीन बार प्रणाम करता हूं। इसके बाद पार्वती जी ने शिव जी से पूछा आप श्मशान में क्यों जाते हैं और ये चिता की भस्म शरीर पर क्यों लगाते हैं।
उसी समय शिवजी पार्वती जी को श्मशान ले गए। वहां एक शव अंतिम संस्कार के लिए लाया गया। लोग 'राम नाम सत्य' कहते हुए शव को ला रहे थे। शिव जी ने कहा की देखो पार्वती इस श्मशान की ओर जब लोग आते हैं तो 'राम' नाम का स्मरण करते हुए आते हैं। इस शव के निमित्त से कई लोगों के मुख से मेरा अतिप्रिय दिव्य 'राम' नाम निकलता है। उसी को सुनने मैं श्मशान में चला आता हूं और इतने लोगों के मुख से 'राम' नाम का जप करवाने में निमित्त बनने वाले इस शव का मैं सम्मान करता हूं, इसे प्रणाम करता हूं और अग्नि में जलने के बाद उसकी भस्म को अपने शरीर पर लगा लेता हूं। 'राम' नाम बुलवाने वाले के प्रति मुझे इतना प्रेम है।

राम नाम की महिमा

एक बार शिवजी कैलाश पर्वत पहुंचे और पार्वती जी से भोजन मांगा। पार्वती जी विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर रहीं थीं। पार्वती जी ने कहा, अभी पाठ पूरा नहीं हुआ, कृपया थोड़ी देर प्रतीक्षा कीजिए। शिव जी ने कहा की इसमें तो समय और श्रम दोनों लगेंगे। संत लोग जिस तरह से सहस्र नाम को छोटा कर लेते हैं और नित्य जपते हैं वैसा उपाय कर लो।
पार्वती जी ने पूछा वो उपाय कैसे करते हैं? मैं भा जानना चाहती हूं। शिव जी ने बताया, केवल एक बार 'राम' कह लो तुम्हे सहस्र नाम, भगवान के एक हज़ार नाम लेने का फल मिल जाएगा। एक 'राम' नाम हज़ार दिव्य नामों के समान है। पार्वती जी ने वैसा ही किया।
प्रयास पूर्वक स्वयं भी 'राम' नाम जपते रहना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करके 'राम' नाम जपवाना चाहिए। इस से अपना और दूसरों का तुरन्त कल्याण हो जाता है। यही सबसे सुलभ और अचूक उपाय है, इसीलिए हमारे यहां प्रणाम 'राम' कहकर किया जाता है।
लाइव हिन्दुस्तान

योगी की कुंडली में चार राजयोग, विकास करेगा यूपी...

भाजपा की प्रचंड जीत की भविष्यवाणी करने वाले ज्योतिर्विद् पं. राजेश तिवारी का आकलन : धर्म, उद्योग व रोजगार के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने में सफल होगी योगी सरकार



योगी आदित्यनाथ का जन्म सिंह लग्न में हुआ है। लग्न का स्वामी सूर्य गुरु की राशि में बैठा है। जन्मकालिक चंद्रमा उच्चस्थ होकर दशम भाव में लोकतंत्र के कारक शनि के साथ बैठा है। इन स्थितियों और युतियों से कुंडली में गजकेशरी, वेशि, कुहू, धर्म योग जैसे राजयोग बन रहे हैं। वर्तमान में गुरु की महादशा में राहु की अंतर्दशा का योग है। बृहस्पति राजयोग का प्रबलतम कारक बन कर चौथे भाव में लग्नेश के साथ है। इस योग ने ही उन्हें प्रदेश का नेतृत्व सौंपा है। दसवें भाव में चंद्रमा और शनि की युति विपरीत राजयोग बना रही है।



ऐसी कुंडली के लोगों को क्रोध जल्द आता है। सम्मान और राजपाट की रक्षा के लिए ऐसे लोग अत्यंत दृढ़ होते हैं। प्रस्तावित शपथग्रहण काल में प्रसिद्धि का कारक दुर्बल है। बृहस्पति दुर्बल तथा मंगल प्रबल होने से जनता के एक खास वर्ग में प्रचंड लोकप्रियता मिलेगी।



विकास के कारक ग्रह शुक्र व शनि सामान्य बली होने से प्रदेश की स्थिति में सुधार जरूर होगा। धर्म, व्यापार के क्षेत्र में प्रदेश का स्थान ऊंचा होगा। मई 2018 से मार्च 2019 के बीच योगी सरकार विशेषकर उद्योग, धर्म और रोजगार की दिशा में बेहतर काम करेगी।

Thursday, 30 March 2017

मोदीजी एवं अमितभाई शाह का आभार






पर्यावरण बचाएं


पर्यावरण संरक्षण सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है। यदि धरती को सुरक्षित रखना है तो हर व्यक्ति को जागरूक व जिम्मेदार बनना होगा।


 लापरवाही किसी भी स्तर पर हो, उसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। यदि हम लापरवाही से सबक लेकर सतर्क हों तभी किसी हादसे से बच सकते हैं मगर कई लोग एक ही गलती को बार-बार दोहराते हैं। इसी का नतीजा है कि लोगों को दुष्परिणाम ङोलने पड़ते हैं। आज के दौर में पर्यावरण संरक्षण सबसे अहम मुद्दा है मगर उदास पक्ष यह है कि इस तरफ हर व्यक्ति जागरूक नहीं है। प्रदेश में मौसम चक्र में बदलाव इस बात का संकेत है कि यदि हम अब भी नहीं चेते तो परिणाम गंभीर होंगे। हिमाचल में मार्च के शुरू तक कड़ाके की सर्दी ङोलनी पड़ी थी। वहीं, राज्य में गर्मी ने पहले चरण में ही 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 

प्रदेश में इन दिनों पहाड़ तपने लगे हैं। इस बात के कारण तलाशने होंगे कि इस तरह की नौबत क्यों आई है। प्रदेश में हर साल पौधरोपण पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। वन महोत्सवों के अलावा पौधरोपण के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस सबके बावजूद यह देखने की जहमत कोई नहीं उठाता कि जितने पौधे रोपे गए हैं, उसमें से कितने पौधे सुरक्षित बचे हैं। यही कारण है कि प्रदेश में रोपे गए पौधों में से कई पौधे पेड़ नहीं बन पाते हैं। देखरेख के अभाव और उदासीनता की वजह से पौधरोपण का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में कई उद्योगों से निकलने वाला मलबा भी नियमों को तोड़कर नदी नालों में उड़ेला जाता है। कई बार चेताने पर भी उद्योग प्रबंधन मानने को तैयार नहीं है। ऐसा ही हाल लोगों में भी देखने को मिल रहा है जो घर को तो साफ रखते हैं मगर वहां से निकलने वाले कूड़े कर्कट को नदी नालों में डाल देते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। 

असल में पर्यावरण का संरक्षण करना केवल सरकार या प्रशासन की ही जिम्मेदारी नहीं है। यदि धरती को सुरक्षित रखना है तो हर व्यक्ति को जागरूक व जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभानी होगी। सरकारी स्तर पर अपेक्षा रहती है कि जो पौधे रोपे जाएं, उनकी रक्षा की जिम्मेदारी भी ली जाए ताकि वे समय से पहले दम न तोड़ दें। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियानों को गति दी जाए। वहीं, हर व्यक्ति पौधरोपण की जिम्मेदारी ले। शादी, जन्मदिन या किसी अन्य खास मौके पर कम से कम एक पौधा रोपने का हर व्यक्ति प्रण ले। जब हर पक्ष जागरूक होगा तभी हम पर्यावरण को सहेज सकेंगे। 

By Bhupendra Singh

Wednesday, 29 March 2017

उत्तर प्रदेश की समूची आबादी की ओर से एक खुला पत्र योगी आदित्यनाथ के नाम

आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी (मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश शासन)



उत्तर प्रदेश की 20 करोड़ की आबादी अपने नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली देखकर गद्गद् है. हम आशा-भरी नज़रों से देख रहे हैं कि आने वाला कल आपके कार्यों से देश के सबसे बड़े राज्य को नई उंचाइयों तक ले जाएगा. उम्मीद करें भी क्यों न, आखिर जो अभूतपूर्व जनादेश हमने आपको दिया है, वैसा इतिहास में कभी-कभार ही हो पाया है. विकास के लिए अब उत्तर प्रदेश के पक्ष में कोई बाधा भी नहीं है. पहले हम पाते थे कि राज्य और केंद्र में दो अलग-अलग दलों की सरकार विकास में सबसे बड़ी बाधा है. हम समझ नहीं पाते थे कि विकास में बाधक कौन है. हमने तो तीन साल पहले नरेंद्र मोदी जी को सांसद की पदवी देकर केंद्र की गद्दी पर आसीन कराया और अब आप हमारे माननीय हैं. हम मानते हैं कि अब तो कोई बाधा नहीं है.

मुख्यमंत्री जी,

हम आपका ध्यान कुछ ऐसे आंकड़ों पर दिलाना चाहते हैं, जो किसी भी प्रगतिशील राज्य के माथे पर काले धब्बे की तरह हैं. हम आपको बताना चाहते हैं कि प्रदेश में बच्चों की स्थिति सबसे खराब है. देश में नवजात शिशुओं की मौत के मामले में जो सबसे ज्यादा गंभीर 100 जिले हैं, उनमें से 46 उत्तर प्रदेश से आते हैं. नवजात शिशु मृत्यु, यानी ऐसे बच्चों की मौत, जो अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाते. बाल मृत्यु के मामलों में भी उत्तर प्रदेश ही आगे खड़ा हुआ है. और तो और, गौतम बुद्ध की स्थली श्रावस्ती, जिसे देश और दुनिया में जाना जाता है, वह इस मामले में पूरे देश पर टॉप पर खड़ी है. क्या बुद्ध की आत्मा इस स्थिति से दुखी न होगी. क्या कृष्ण की बाललीलाओं की भूमि ब्रज और राम की स्थली अवध, जहां लाखों भक्त हर साल आते हैं, उस प्रदेश में बच्चों के ऐसे आंकड़ों को स्वीकार किया जा सकता है. यह चौंकाने वाले आंकड़े खुद सरकार के हैं. वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में यह जानकारी निकलकर सामने आई हैं.

यह सवाल लंबे समय से उठता रहा है कि बच्चे किसी मुख्यधारा की राजनीति का एजेंडा कभी नहीं बने हैं. बच्चों की स्थिति पर कभी कोई सरकार न बनी, न गिरी. बच्चों को एजेंडे में लाकर वोट हासिल भी नहीं किए जा सकते. अब सवाल यह है कि बच्चे यदि ऐसी किसी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है, तो उनके भयावह आंकड़े कब ठीक होंगे. चुनावी घोषणापत्रों में कुपोषित बच्चों को दूध-घी उपलब्ध करवाने की घोषणा चाहे किसी दल के एजेंडा का हिस्सा हो, सच यह भी है कि बच्चों के स्वास्थ्य मानक तो ठीक हों ही.

देश के स्वास्थ्य मानकों को बताने वाली नेशनल हेल्थ सर्वे की चौथी रिपोर्ट भी आ गई है. इसमें अभी केवल उत्तर प्रदेश भर के आंकड़े सामने नहीं आए हैं. हम इंतज़ार कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के बच्चों के स्वास्थ्य मानक जल्द से जल्द सामने आएं, ताकि योगी सरकार की प्राथमिकता में बच्चे भी शामिल हो सकें.

हम उम्मीद करते हैं कि ये जो सबसे बदनाम 46 जिले हैं, वे आपके पांच साल की सरकार में कम से कम हो पाएंगे. हमने आपको सरकार दे दी, अब आप हमें क्या देते हैं, उसका बेसब्री से इंतजार है.

आपके

उत्तर प्रदेश वासी
राकेश कुमार मालवीय 
नएफआई के पूर्व फेलो हैं, और सामाजिक सरोकार के मसलों पर शोधरत हैं...

पुलिस को सुधरना ही होगा :योगी

  ग्रेटर नोएडा व संतकबीरनगर की घटनाओं की गहरी छानबीन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश 


 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून के राज को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए कहा कि पुलिस अपनी कार्य पद्धति और पण्राली में परिवर्तन लाए, जिससे आम जनता को यह महसूस हो कि उसे राहत मिली है। वह सुरक्षित है और नई सरकार के आते ही एक नया वातावरण बना है। उन्होंने कहा कि पुलिस आम जनता से सीधा संवाद स्थापित करे और छोटी से छोटी घटनाओं का संज्ञान लेते हुए, उसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर कार्रवाई करे, जिससे ऐसी घटनाएं किसी बड़े खतरे का कारण न बन सकें। इस सन्दर्भ में उन्होंने ग्रेटर नोएडा और संतकबीरनगर में हुई घटनाओं की र्चचा की। उन्होंने इन घटनाओं की गहरी छानबीन कर रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के निर्देश दिए।मुख्यमंत्री मंगलवार को यहां शास्त्री भवन में राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पुलिस से जुड़े सभी विभाग कार्य योजना बनाकर शीघ्र ही प्रस्तुत करें और अच्छी पुलिसिंग की दिशा में कार्य करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि वे भविष्य में कानून व्यवस्था और पुलिस की कार्य पण्राली के सन्दर्भ में जमीनी हकीकत जानने के लिए फील्ड विजिट करेंगे।
लखनऊ (एसएनबी)।

योगी का गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर

लखनऊ। शास्त्री भवन में प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के संबंध में समीक्षा बैठक करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।



शिक्षा में आ रहे बदलावों को समायोजित कर पाठ्यक्रमों में सुधार करने के दिए निर्देश लघु व सीमान्त किसानों को मिल सकता है लाभ वित्त मंत्री वरिष्ठ अफसरों के साथ लगातार कर रहे बैठकेंबैंकों को ऋण माफी की धनराशि का भुगतान करेगी राज्य सरकारऋण माफी के वित्त भार को वहन करने के लिए केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के ट्रांसफर-टू-स्टेट मद से सहयोग लेने के प्रयास में है राज्य सरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा में आ रहे बदलावों को समायोजित कर शिक्षा पाठ्यक्रमों में सुधार करने तथा हर स्तर पर शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के छात्रों को अच्छी और गुणवत्तापरक शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए, जिससे विद्यार्थी भविष्य में प्रदेश व देश के विकास में अपना योगदान दे सकें। नई सरकार प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा पर पूरा ध्यान केन्द्रित कर रही है। मुख्यमंत्री मंगलवार को यहां शास्त्री भवन में प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा पण्राली में सुधार की आवश्यकता जताते हुए कहा कि इस स्तर पर अंग्रेजी व संस्कृत भाषाओं के पठन-पाठन पर विशेष जोर दिया जाए। बच्चों को स्कूल यूनीफार्म समय पर मिले और उसकी गुणवत्ता अच्छी हो। उन्होंने कहा कि मध्याह्न भोजन योजना में भी सुधार की आवश्यकता है। मिड-डे-मील की गुणवत्ता एवं अनुश्रवण की व्यवस्था प्रत्येक स्तर पर सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित हो। श्री योगी ने कहा कि शैक्षिक सत्र नियमित हों, परीक्षा परिणाम समय से आए और शैक्षणिक संस्थाओं में नकल को सख्ती से रोका जाए। समय की मांग और आवश्यकता को देखते हुए पाठ्यक्रमों में सुधार हो, जिससे प्रदेश में पढ़ने वाले विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं व स्पर्धाओं के लिए सक्षम हो सकें। उच्च शिक्षा की र्चचा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे प्रयास किए जाएं कि पाठ्यक्रम की समानता हो। उन्होंने कहा कि शिक्षा में मानकों व गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा से सम्बन्धित विभाग बताए गए निर्देशों के क्रम में अपनी कार्य योजना बनाकर प्रस्तुत करें। बैठक में मुख्यमंत्री ने बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि इस विभाग की कार्य पद्धति पारदर्शी हो और इसमें भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान न हो। उन्होंने कहा कि बाल पुष्टाहार वितरण के सम्बन्ध में धांधली के मामले संज्ञान में आए हैं, इन्हें रोका जाना चाहिए। श्री योगी ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय के सम्बन्ध में एक विभागीय कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने विभाग की कार्य पण्राली को बेहतर बनाने के सम्बन्ध में कार्य योजना बनाकर प्रस्तुत किए जाने के भी निर्देश दिए। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा तथा बेसिक शिक्षा, बाल विकास एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती अनुपमा जैसवाल सहित प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग से सम्बन्धित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
द सहारा न्यूज ब्यूरोलखनऊ

ખાડે ગયેલો ઉત્તર પ્રદેશનો વહીવટ પાટે ચડાવવા સુયોગ્ય નિર્ણય

ઉત્તર પ્રદેશમાં મુખ્યમંત્રી યોગી આદિત્યનાથ દ્વારા માત્ર સાત જ દિવસમાં ૫૦ નિર્ણય કરીને સુ-શાસનની દિશામાં આગળ વધવા મક્કમતાપૂર્વક પ્રયત્ન થયા છે. છેક ૧૯૮૯થી ઉત્તર પ્રદેશનો વહીવટ સાવ ખાડે ગયો છે. ભ્રષ્ટાચાર, ગેરરીતિ અને અકાર્યક્ષમતા ભારોભાર પ્રવર્તી રહ્યા છે. સરકારી કર્મચારીઓની લાપરવાહી તો હદબહાર જોવા મળે છે.સેક્યુલર પાર્ટીઓએ પ્રજા સાથે કરેલી ગદ્દારી તો કોથળા ભરાય 

તેટલા પ્રમાણમાં જોવા મળે છે પરંતુ હવે આ તમામના દિવસો ભરાયા છે. સમાજવાદી પાર્ટીના અખિલેશની બહુ પ્રશંસા થતી હતી પરંતુ પાંચ  વર્ષમાં તેમણે શું કર્યું? ભાગ્યે જ કોઈ એક બાબત તેમના જમાપક્ષે છે. છતાં તેઓ ચૂંટણીમાં ભોંયભેગા થયા ત્યાં સુધી તેમના ગુણગાન ગાવામાં આવતા હતા. એવી આગાહી થતી હતી કે તેમનો કોઈ વિકલ્પ નથી!!

અખિલેશે તો માયાવતી સાથે જોડાણ કરવા દરવાજા ખુલ્લા છે તેમ ચૂંટણીના મતદાનના બે તબક્કા બાકી હતા તે વખતે જાહેરાત કરી હતી!! આવા ઘનચક્કર બ્રાન્ડના રાજકારણીઓ ૨૨ કરોડની જનસંખ્યા ધરાવતા રાજ્યમાં શાસન ચલાવતા હતા. પરંતુ હવે તેમના કાળા કૃત્ય એક પછી એક ખુલ્લા પડવાના છે. છેલ્લાં પાંચ વર્ષમાં ઘર ભરવા સિવાય તેમણે ભાગ્યે જ કોઈ કાર્ય કર્યું છે.



યોગી આદિત્યનાથે સરકારી ઓફિસની અણધારી મુલાકાત 

લઈને નિંભર તંત્રને જાગતું કરવાની શરૂઆત કરી છે. પોલીસ 

સ્ટેશનો પર જઈને અસ્વચ્છતા, ફાઈલ અને કાગળના ઢગલા વચ્ચે 

તદ્દન બેશરમ બની ગયેલા પોલીસકર્મીઓને સીધા કરવાની કામગીરી શરૂ કરી છે. આવી બાબત અરુચિકર અને પસંદ ન પડે તેવી છે છતાં અળખામણા થઈને પણ તેઓ સખત બની રહ્યા છે. આવું કર્યા વગર છૂટકો નથી.



માયાવતી અને મુલાયમની વણલીખી ભાગીદારીએ જે અકાર્યક્ષમતા ત્યાં વર્તાવી છે તે ખૂબ જ અરુચિકર છે. તેમના ખોટા નિર્ણયોએ ઉત્તર પ્રદેશને ભારોભાર નુકસાન કર્યું છે. કયાંય ન ચાલે તેવો વહીવટી સ્ટાફ ઉત્તર પ્રદેશમાં જોવા મળે છે. પરંતુ તેમને યોગ્ય સ્થાન બતાવી આપવા એક આંખમાં પ્રેમ અને બીજી આંખમાં ઝેર હોવું જોઈએ.

કાયદો- વ્યવસ્થા એ ઉત્તર પ્રદેશ માટે ટોચની અગ્રતા ધરાવતો મુદ્દો છે. અસામાજિક તત્ત્વોએ રાજકીય પક્ષોના પીઠબળથી ત્યાં સામ્રાજ્ય વિકસાવ્યું છે. પરંતુ તેમની સામે સખત પગલાં ભરવાનો સમય આવી ગયો છે. જરૂર પડ્યે તેમના એન્કાઉન્ટર કરી નાખવાની પણ જરૂર છે. આવી બાબતે કોઈની શેહશરમ રાખવી નહીં કારણ કે ૧૦૦ ટકા પરિણામ માત્ર સખતાઈથી આવશે. સમાજ કંટકોને ખતમ કરવા તે રાજ્યનો  ધર્મ છે.

યોગી આદિત્યનાથ કુટુંબ કબીલાથી તદ્દન અલિપ્ત દિશામાંથી આવે છે. તેમને કોઈ સામાજીક દબાણ હેઠળ કાર્ય કરવાનું નથી આથી તેઓ વધુ પરિણામલક્ષી પુરવાર થવાના છે.



ઉત્તર પ્રદેશમાં નેતૃત્વ જ ભ્રષ્ટ હતું અને સેકયુલારિઝમના મંજીરા વગાડીને ૨૫ વર્ષથી પ્રજાનું શોષણ કરવામાં આવ્યું. હવે ખુદ પ્રજાએ આવા નાપાક તત્ત્વોને ફંગોળીને ફગાવી દીધા છે. આઝમખાન જેવાઓ ક્યાંય શોધ્યા મળતા નથી.

સ્થાનિક કક્ષાએ સાફસૂફી થશે તેવે વખતે નવી નવી રોજગારી માટેની તક ખુલતી જશે. કારણ કે ઉત્તર પ્રદેશમાં ક્યાંય ઉદ્યોગો 

મૂડીરોકાણ માટે તૈયાર નથી કારણ સ્પષ્ટ છે. રાજકીય સ્થિરતા નહોતી અને સુરક્ષાના નામે સાવ શૂન્યતા હતી. હવે મજબૂત અને સ્થિર શાસન વ્યવસ્થાએ બાગડોર સંભાળી છે એટલે ઘણા પ્રશ્ર્નનો ઉકેલ આવી 

જવાનો છે.

મૂડીરોકાણ અને રોજગારી વધારવા ઘણી વહીવટી સાફસૂફી કરવાની જરૂર છે. આશ્ર્ચર્ય એ વાતનું છે કે અખિલેશ સરકારની પાંચ વર્ષની કામગીરીમાં પાંચ સારી બાબત જોવા મળી નથી. છતાં તેમના જ ગુણગાન ગાવામાં આવ્યા. રસ્તાઓ બાંધ્યા- પરંતુ કેટલા? આગ્રા- મથુરા રોડના નિર્માણ સિવાય કશું જ થયું નથી. પરંતુ પ્રચાર હદબહાર થયો હતો.

હાલમાં પ્રધાનમંડળની ટીમમાં કાર્ય કરવા તત્પર લોકો છે. પરિણામ જલદીથી માગે તેવા મતદારો સક્રિય છે. આથી ઝડપ, કાર્યક્ષમતા સાથે આગળ વધવું પડશે. દર મહિને પ્રધાનો અને ધારાસભ્યોએ રિપોર્ટકાર્ડ આપવું પડશે. આવી બાબત ઉત્તર પ્રદેશના પોલિટિકલ કલ્ચરમાં પહેલીવાર સ્થાપિત થઈ રહી છે. તેના પરિણામને પ્રજા અલગઅલગ રીતે મૂલવશે તેટલું નિશ્ર્ચિત છે.

કેન્દ્ર અને રાજ્યમાં એક જ પક્ષની સરકાર હોય તેવે વખતે ઘણા નિર્ણયો સરળ અને કોઈ ઘર્ષણ વગર જ અમલી બનતા હોય છે. ઉત્તર પ્રદેશને આ બાબતે ઘણો લાભ મળે તેવું છે. ખાસ કરીને ઈલેક્ટ્રિસિટીના પ્રોજેક્ટમાં રોકાણ થાય તો રાજ્યમાં જે માત્ર ૧૦ થી ૧૨ કલાક વિદ્યુત પુરવઠો મળે છે તેમાં થોડો વધારો થઈ શકે કારણ કે ઊર્જાના અભાવે ઘણી સમસ્યા છે.

અખિલેશ સરકારની ગેરરીતિઓ ઘણી છે. પરંતુ તેમાં બહુ ઊંડા ઉતરવા કરતાં નવા અને પ્રજાલક્ષી કાર્ય કરવાની જરૂર છે કારણ કે અખિલેશના પક્ષના કામ નહીં કારનામાએ તેમને હરાવ્યા છે. સમાજવાદી પક્ષ ક્યાંય પોતાનું મોઢું બતાવવાને લાયક રહ્યો નથી.

અલબત્ત તેમની વાતો ઘણી વિચિત્ર છે. હજુ સુધી તેમણે કૉંગ્રેસ સાથે ભાગીદારીથી કેટલું નુકસાન થયું તે બાબતે એક શબ્દ ઉચ્ચાર્યો નથી.વહીવટીતંત્ર એવું છે કે એકવાર ધાક બેસાડી દેવામાં આવે તો મહિનાઓ સુધી ત્યાં ગતિશીલતા રહે છે અને જાગતું પડ રહે છે. ધારાસભ્યોને કોઈની ટ્રાન્સફર કે પ્રમોશન માટે ભલામણ નહીં કરવા સૂચના આપવામાં આવી છે. ધારાસભ્યો આવું જ કાર્ય કરે છે પછી પ્રજાના કાર્ય રખડી પડે છે. આથી પહેલેથી જ સખતાઈ કરવામાં આવી છે તે ઉચિત બાબત છે.



ઉત્તર પ્રદેશમાં વહીવટીતંત્ર પર ધાક બેસાડી દીધી છે તે બહુ જરૂરી છે. કારણ કે સરકારીતંત્રમાં ઘણા તો માત્ર સાંજ પાડવા માટે જ હોય છે!! તેઓ ભાગ્યે જ કંઈ કામ કરે છે. બિનજરૂરી બાબતમાં જ પોતાનો 

સમય બરબાદ કરે છે. આથી એક નવા વર્ક કલ્ચરની જે જરૂર છે તેમાં આવી રીતે સખત બન્યા વગર છૂટકો નથી અને પ્રજા તે બાબતને સ્વીકારે છે.

ધારાસભ્યો કે સંસદો કરોડપતિ...

લોકસભાના ૫૪૩ સભ્યોમાંથી કેટલા સભ્યો દરેક સત્રમાં હાજર હોય છે અને કેટલા સક્રિયપણે ભાગ લે છે ?Image result for sansad bhavan sketch

'આવ્યા ત્યારે ઊઘાડપગા હતા કે સાઇકલ પર આવ્યા હતા. પાછા ગયા ત્યારે રોલ્સ રૉય્ઝ કે મર્સિડિ કારમાં હતા... એ કોણ ? આવો સવાલ સરકારી નોકરી માટેની પરીક્ષાના કોઇ પ્રશ્નપત્રમાં પૂછાય તો એક જ જવાબ મળે આપણા લોકપ્રતિનિધિઓઃ ધારાસભ્ય કે સંસદ સભ્ય. તાજેતરમાં માહિતી અધિકાર ધારા હેઠળ પૂછાયેલા સવાલના જવાબમાં ખુદ કેન્દ્ર સરકારે આપેલો જવાબ એવો હતો કે ૮૦ ટકાથી વધુ વર્તમાન અને ભૂતપૂર્વ ધારાસભ્યો કે સંસદો કરોડપતિ છે. માત્ર બે ચાર દાખલા લ્યો. બસપાના માયાવતી, સપાના મુલાયમ સિંઘ યાદવ, બિહારના લાલુ યાદવ, તૃણમૂલ કોંગ્રેસના મમતા બેનરજી- આ લોકો રાજકારણમાં સક્રિય થયાં ત્યારે એમની સંપત્તિ કેટલી હતી અને અત્યારે કેટલી છે ? નોટબંધી જાહેર થઇ ત્યારે કેટલાક વ્હૉટ્સ એપ મેસેજમાં એક વિડિયો મેસેજ ફરતો થયો હતો જેમાં મમતા 'દીદી' એક તિજોરીમાં પ૦૦ની નોટોના થોકડાના થોકડા ઠાંસી રહ્યાં હતાં. માત્ર આ ચાર પાંચ વ્યક્તિની આવક જાવક પરથી બીજાઓની કલ્પના કરી શકાય છે.આ વાત યાદ આવવાનું કારણ સુપ્રીમ કોર્ટમાં રજૂ થયેલી લોકહિતની એક અરજી છે. આ અરજીમાં એવો સવાલ ઊઠાવવામાં આવ્યો છે કે કરોડોપતિ હોય તો પછી ભૂતપૂર્વ સાંસદોને આજીવન પેન્શન શા માટે અપાવું જોઇએ ? સુપ્રીમ કોર્ટે કેન્દ્ર સરકારને નોટિસ મોકલી કે ભૈ, આ વાતનો જવાબ શું આલવાના છો ? આગલા દિવસ સુધી માતેલા સાંઢની જેમ એકમેકની સાથે લડતા અને ગાળાગાળી કરતા તમામ પક્ષો સંપી ગયા અને નાણાં પ્રધાન અરુણ જેટલીએ ખોંખારીને કહી દીધું કે આ સવાલ નક્કી કરવાનું કામ સુપ્રીમ કોર્ટનું નથી, સંસદનું છે. જરા વિચારજે પ્રિય વાચક, લોકસભાના ૫૪૩ સભ્યોમાંથી કેટલા સભ્યો દરેક સત્રમાં હાજર હોય છે અને કેટલા સક્રિયપણે ભાગ લે છે ? રાજ્યસભાની વાત હમણાં જવા દઇએ. ખરેખર લોકપ્રતિનિધિ કહેવાય એવા સાંસદો કેટલા ? મારા તમારા મતવિભાગની તકલીફોના નિવારણ માટે અવાજ ઊઠાવનારા સાંસદો કેટલા ? એર ઇન્ડિયાના ડેપ્યુટી મેનેજર લેવલના અધિકારીને મારનારા રવીન્દ્ર ગાયકવાડ જેવા નામીચા અને બેફામ વર્તન કરનારા સાંસદો કેટલા ?નિયમિત છાપાં વાંચતાં હો તો આ સવાલના જવાબ તમે પોેતે પણ આપી શકો એમ છો. અરુણ જેટલીએ કહ્યું કે આ નક્કી કરવાનું કામ સંસદનું છે ત્યારે એ પોતે, વરિષ્ઠ ધારાશાસ્ત્રી હોવા છતાં ભૂલી ગયા કે મોટા ભાગના સાંસદો સંસદનું સત્ર ચાલુ હોય ત્યારે પણ નિરાંતે ગૃહમાં ઊંઘી ગયેલાં દેખાય છે. બીજું, શ્રી જેટલી એ હકીકત પણ ભૂલી ગયા કે જેને એ સરકારી તિજોરી કહે છે એ હકીકતમાં પ્રજાના પૈસા છે.પ્રજાના પરસેવાના પૈસા આ રીતે અંદર અંદર વહેંચી લેવાનો અધિકાર તમને કોણે આપ્યો ? ફરી ફરીને લોકનાયક જયપ્રકાશ નારાયણ યાદ આવે છે. જેપી કહેતા કે પોતાની ફરજ બજાવવામાં નિષ્ફળ જતા ધારાસભ્ય કે સાંસદને પાછાં બોલાવવાનો અધિકાર મતદારોને હોવો જોઇએ.એ દિવસોમાં ઇંદિરા ગાંધીની સરકાર હતી. જેપીના સૂચનથી ગોકીરો મચી ગયો હતો. જેપીએ તો પોલીસ અને લશ્કરને પણ લોકવિરોધી સરકારી આદેશોનો અનાદર કરવાની હાકલ કરેલી. એના પગલે ઇંદિરાજીએ જેપીને દેશદ્રોહી ગણાવતું વિધાન કરેલું. આજે દેશની ૪૦ ટકા વસતિને એક ટંક પૌષ્ટિક ભોજન કે પીવાનું ચોખ્ખું પાણી મળતું નથી ત્યારે આ કહેવાતા લોકપ્રતિનિધિઓ દોમદામ સાહ્યબીમાં આળોટતા હોવા છતાં આજીવન પેન્શનનો હક્ક જતો કરવા તૈયાર નથી, બોલો !સંસદ કઇ કમાણી કરે છે અને સાંસદો કયો વ્યવસાય કરે છે કે એમને પેન્શન મળવું જોઇએ ? વાસ્તવમાં એક નહીં પણ અનેક એનજીઓએ આ મુદ્દે સુપ્રીમ કોર્ટમાં લોકહિતની ઢગલાબંધ અરજીઓ કરી દેવી જોઇએ. નાગરિકો પોતે અવાજ ન ઊઠાવે તો એકલી સુપ્રીમ કોર્ટ શું કરે ? ભૂલચૂક લેવી દેવી પરંતુ ગાંધીજીનું મનાતું એક વિધાન યાદ આવે છેઃ 'મૂગે મોઢે અન્યાય સહન કરનારા પણ અન્યાય કરનારા જેટલાજ જવાબદાર છે...' નાણાંની વાત આવે ત્યાં તમામ રાજકીય પક્ષો સંપી જાય છે. ત્યારે કોઇને પેાતાના મતવિભાગ કે મતદારો યાદ આવતાં નથી. નાગરિકોએ સંગઠિત થઇને સુપ્રીમ કોર્ટમાં પોણો સો સો અરજી કરી નાખવી જોઇએ કે સાંસદોના રજવાડી પગાર, ફાઇવ સ્ટાર હૉટલ જેવી કેન્ટિનની સગવડ, પ્રવાસ ભથ્થાં, બીજાં અલાવન્સીસ અને પેન્શન કોના હિસાબે ને જોખમે ? અને જો આ બધા લાભ જોઇતાં હોય તો ફરજ બજાવવામાં કે નાગરિકોનાં કામ કરવામાં નિષ્ફળ જાય એવા સાંસદો-ધારાસભ્યોને પાછાં કેમ ન બોલાવી શકાય ?


ભડકે બળતા કાશ્મીરને 'યોગી'ની જરૃર



ગોળીબારમાં ત્રણ યુવકનાં મોત: પથ્થરમારાથી ૬૦ જવાન ઘાયલ
પથ્થરમારો કરતા ટોળા પર સેનાના ગોળીબારમાં યુવકોનાં મોત બાદ ઠેર ઠેર હિંસા
૧૨ કલાક ચાલેલા એન્કાઉન્ટરમાં એક આતંકી ઠાર, સેનાએ આતંકી છૂપાયો હતો તે ઘર ઊડાવી દીધું


કાશ્મીરમાં આશરે છ માસના વિરામ બાદ ફરી હિંસા ભડકી છે. અહીં આતંકીઓ દ્વારા એક બાદ એક હુમલાનું પ્રમાણ વધી રહ્યું છે. આવો જ એક હુમલો આતંકીઓ બુડગામ જિલ્લામાં કરવા માગતા હતા. જોકે સૈન્ય કાર્યવાહીમાં એક આતંકીને ઠાર મારવામાં આવ્યો હતો. દરમિયાન આતંકીઓ વિરૃદ્ધની કાર્યવાહીનો વિરોધ કરવા આ વિસ્તારમાં સ્થાનિકો દ્વારા ભારે વિરોધ પ્રદર્શન પણ થઇ રહ્યા હતા.

સૈન્ય પર પથ્થરમારો કરી રહેલા ટોળાને વિખેરવા માટે સૈન્ય દ્વારા ગોળીબાર કરવામાં આવ્યો હતો. જેમાં ત્રણ સ્થાનિક યુવકોના મોત નિપજ્યા હતા. જેને પગલે લોકોમાં સૈન્ય પ્રત્યેનો ગુસ્સો વધ્યો હતો અને ઠેર ઠેર હિંસા ભડકી હતી. આ પથ્થરમારામાં સીઆરપીએફના ૪૩ અને જમ્મુ કાળશ્મીરના ૨૦ જવાન સહિત કુલ ૬૫ જેટલા લોકો ઘાયલ થયા હતા. 
સૈન્યના એક અધિકારીએ જણાવ્યું હતું કે કાશ્મીરના બુડગામમાં સૈન્યએ એક આતંકીને ઠાર માર્યો છે. જોકે આ વિસ્તારમાં અન્ય આતંકીઓ પણ છુપાયેલા હોવાની શક્યતાને પગલે સૈન્ય દ્વારા સર્ચ ઓપરેશન ચાલી રહ્યું છે. દરમિયાન ટોળાના ટોળા આ વિસ્તારમાં રસ્તા પર ઉતરી આવ્યા હતા. જેને વિખેરવા માટે સૈન્યએ ગોળીબાર કરતા આશરે ત્રણ વ્યક્તિના મોત નિપજ્યા હતા.  
બીજી તરફ અલગતાવાદીઓએ બંધનું એલાન જાહેર કર્યું હતું. ત્રણ સ્થાનિકોના બુડગામમાં મોત નિપજતા અલગતાવાદીઓએ હિંસાની આગમાં ઘી હોમવા માટે બંધનું એલાન જાહેર કર્યું છે. સાથે સૈન્ય દ્વારા ત્રણ વ્યક્તિના મોત નિપજતા તપાસની માગણી પણ કરી છે. 
નોંધનીય છે કે આતંકી બુરહાન વાનીના મોત બાદ કાશ્મીરમાં ગત આખુ વર્ષ હિંસાનો માહોલ જોવા મળ્યો હતો. જોકે વચ્ચે આ હિંસા શાંત પડી ગઇ હતી પણ હવે ફરી ધીરે ધીરે હિંસાનું પ્રમાણ વધી રહ્યું છે. છેલ્લા બે વર્ષમાં હિંસાને રોકવા સૈન્ય દ્વારા ચલાવવામાં આવેલા અભિયાનમાં ૧૦૦થી વધુ લોકોના મોત નિપજ્યા છે. જ્યારે અનેક ઘાયલ થયા છે. હવે ફરી હિંસા ભડકતા વધુ ત્રણ યુવકોના મોત થયા છે. જેને પગલે લોકોમાં ફરી રોશ ભભુકી ઉઠયો છે. આગામી દિવસોમાં હિંસાનું પ્રમાણ વધી શકે છે કેમ કે અલગતાવાદીઓએ બંધનું પણ એલાન આપ્યું છે. 

હિંસામાં ચાર વર્ષમાં ત્રણ હજાર જવાનો ઘાયલ

દેશમાં અવાર નવાર હિંસાની ઘટનાઓ સામે આવતી રહી છે. કાશ્મીરમાં હિંસાનું પ્રમાણ વધારે જોવા મળી રહ્યું છે. દરમિયાન સૈન્ય દ્વારા આ હિંસાને રોકવાના પ્રયાસો થતા હોય છે. દેશભરમાં આવી હિંસાને રોકવાની કાર્યવાહી દરમિયાન છેલ્લા ચાર વર્ષમાં સૈન્યના આશરે ત્રણ હજારથી વધુ જવાનો ઘાયલ થયા હતા. આ માહિતી લોકસભામાં કેન્દ્રિય ગૃહ રાજ્ય પ્રધાન હંસરાજ અહીરે આપી હતી. તેઓએ જણાવ્યું હતું કે ૨૦૧૪થી માર્ચ ૨૦૧૭ દરમિયાન અર્ધ સૈન્ય દળના આશરે ૩૪૬૩ જવાનો ઘાયલ થયા છે. ગૃહ મંત્રાલયની રિપોર્ટ અનુસાર દેશભરમાં સૌથી વધુ સીઆરપીએફના ૩૩૩૫ જવાનો ઘાયલ થયા છે. 
સેનાએ પેલેટ ગનનો વિકલ્પ શોધી કાઢ્યો

સુરક્ષા જવાનો ટોળાને વિખેરવા સ્પાઇસી જેલી વાળા ગ્રેનેડ ફેંકશે ગ્રેનેડનો વિસ્ફોટ થતા તેમાંથી સ્પાઇસી જેલી ઉડશે, જેથી આંખોમાં અસહ્ય બળતરા થશે કાશ્મીર અને અન્ય હિંસાગ્રસ્ત વિસ્તારોમાં ટોળાને વિખેરવા માટે અત્યાર સુધી પેલેટ ગનનો ઉપયોગ થતો હતો. જોકે તેને કારણે લોકોને ગંભીર ઇજાઓ થતી હતી. આવી સ્થિતિમાં વધુ એક ઉપાય શોધી કાઢવામાં  આવ્યો છે. હવે સૈન્ય હિંસાખોર ટોળાને વિખેરવા માટે સ્પાઇસી જેલી વાળા ગ્રેનેડનો ઉપયોગ કરશે. જ્યારે આ સ્પાઇસી જેલી વાળા ગ્રેનેડ ટોળા પર ફેંકવામાં આવશે ત્યારે જે વિસ્ફોટ થશે તેમાંથી સ્પાઇસી જેલી નિકળશે.  જેને પગલે હિંસા ફેલાવનારા શખ્સની આંખોમાં બલતરા થશે. જેને પગલે તે સ્થળ પરથી ભાગી જશે. હાલ આ માટે માત્ર ભલામણ કરવામાં આવી છે અને ટુંક સમયમાં સરકાર તેને મંજુરી આપે તેવી શક્યતાઓ છે. થોડા દિવસ પહેલા સુપ્રીમ કોર્ટે પણ કાશ્મીરમાં ઉપયોગમાં લેવાતી પેલેટ ગનની જગ્યાએ બીજો કોઇ વિકલ્પ શોધવા સરકારને કહ્યું હતું. આવી સ્થિતિમાં કેન્દ્રિય ગૃહ સચિવ રાજીવ મેહરીશીની આગેવાનીમાં યોજાયેલી એક બેઠકમાં આ સ્પાઇસી જેલી ગ્રેનેડનો ઉપયોગ કરવાની ભલામણ કરવામાં આવી છે.

Gujarat:28 march17

Tuesday, 28 March 2017

किसानों की कर्ज माफी पर एक्शन में योगी सरकार

योगी सरकार ने किसानों के कर्ज माफ करने पर विचार करने के लिए मंत्रियों औऱ अफसरों के साथ बैठक की है. किसानों के कर्ज माफ करने के लिए योगी सरकार केंद्र सरकार से लोन लेने पर विचार कर रही है. मतलब केंद्र की मदद से यूपी सरकार किसानों का कर्ज माफ करने की तैयारी में जुट गई है. सीएम आदित्यनाथ ने लखनऊ में मंत्रियों के साथ बैठक की.

किसानों की कर्ज़ माफ़ी का मामला इन दिनों सुर्ख़ियों में है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने सरकार बनने पर लघु और सीमांत किसानों का कर्ज़ माफ़ करने का ऐलान किया था. अटकलें थीं कि कर्ज़ माफ़ी का भार केंद्र सरकार उठाएगी लेकिन सरकार ने साफ़ कर दिया है कि इसका भार राज्य सरकार को ही उठाना पड़ेगा.
पिछले साल 18 नवंबर को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में जो लिखित जानकारी दी है उसके मुताबिक़ देश के किसानों पर अलग अलग बैंकों का लगभग 12 लाख 60 हज़ार करोड़ रूपया बक़ाया है.
केंद्र सरकार के मुताबिक 30 सितंबर 2016 तक किसानों पर कुल 12 लाख 60 हज़ार करोड़ रूपये का कर्ज़ है. इनमें 7 लाख 75 हज़ार करोड़ रूपया फ़सली कर्ज़ है जबकि 4 लाख 85 हज़ार करोड़ रूपया अवधि कर्ज़ है.
सबसे ज्यादा कर्ज़ देश के वाणिज्यिक सरकारी बैंकों का बकाया है जो लगभग 9 लाख 57 हज़ार करोड़ रूपया यानि 76 फीसदी है. सहकारी बैंकों का 1 लाख 57 हज़ार करोड़ रूपया बाक़ी है जबकि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का किसानों पर बकाया 1 लाख 45 हज़ार करोड़ रूपया बकाया है.
इनमें फ़सली और अवधि, दोनों तरह के कर्ज़ शामिल हैं. केवल उत्तर प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2016-17 के दिसंबर तक 60,179 करोड़ रूपये किसानों को कर्ज़ के तौर पर बांटे जा चुके हैं
देश में किसानों की संख्या कितनी है और उन किसानों के पास ज़मीन कितनी है ?
2011 की जनगणना के मुताबिक़ देश में क़रीब 11 करोड़ 90 लाख खेती करने वाले लोग हैं. इनमें खेतिहर मज़दूरों का आंकड़ा शामिल नहीं है. ये देश की कुल श्रम बल संख्या 48 करोड़ का लगभग 24.6 फीसदी है.
रोचक बात ये है कि 1951 में खेती करने वाले लोगों का अनुपात 50 फीसदी था. वहीं 2015 की कृषि आधारित गणना के मुताबिक़ इनमें से 67 फीसदी वैसे छोटे किसान हैं जिनके पास 1 हेक्टेयर से कम भूमि है. जबकि केवल 1 फीसदी किसानों के पास 10 हेक्टेयर से ज़्यादा ज़मीन है
ये मुद्दा सियासी तौर पर हमेशा से संवेदनशील रहा है. ऐसे में कर्ज़ देने वाली एजेंसियां चाहे कुछ भी कहें लेकिन सरकारें किसानों को राहत के नाम पर समय समय पर कर्ज़ माफ़ी स्कीमों की घोषणाएं करती रही हैं.
हाल में उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी बीजेपी ने ऐसा ही वादा किया है. हालांकि मोदी सरकार बार-बार ये बात कह रही है कि इन कर्ज़ माफ़ी में केंद्र की कोई भूमिका नहीं होगी और इसका भार भी उन्हीं राज्यों को उठाना पड़ेगा जो ये फ़ैसला करेंगे.
योगी आदित्यनाथ धड़ाधड़ फैसले ले रहे हैं.

आइए, समझें क्या है राष्ट्रीयता : गणेश शंकर विद्यार्थी

पत्रकार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी आज़ादी के संघर्ष में जितने सक्रिय थे, उतनी ही अलख अपने अख़बार ‘प्रताप’ से जगा रहे थे. आज उनकी पुण्यतिथि है. ‘राष्ट्रीयता’ शीर्षक से लिखा विद्यार्थी जी का यह निबंध आजादी के बाद भी उतना ही प्रासंगिक है...


देश में कहीं-कहीं राष्‍ट्रीयता के भाव को समझने में गहरी और भद्दी भूल की जा रही है. आये दिन हम इस भूल के अनेकों प्रमाण पाते हैं. यदि इस भाव के अर्थ भली-भांति समझ लिये गये होते तो इस विषय में बहुत-सी अनर्गल और अस्‍पष्‍ट बातें सुनने में न आतीं. राष्‍ट्रीयता जातीयता नहीं है. राष्‍ट्रीयता धार्मिक सिद्धांतों का दायरा नहीं है. राष्‍ट्रीयता सामाजिक बंधनों का घेरा नहीं है. राष्‍ट्रीयता का जन्‍म देश के स्‍वरूप से होता है. उसकी सीमाएं देश की सीमाएं हैं. प्राकृतिक विशेषता और भिन्‍नता देश को संसार से अलग और स्‍पष्‍ट करती है और उसके निवासियों को एक विशेष बंधन-किसी सादृश्‍य के बंधन-से बांधती है. राष्‍ट्र पराधीनता के पालने में नहीं पलता. स्‍वाधीन देश ही राष्‍टों की भूमि है, क्‍योंकि पुच्‍छ-विहीन पशु हों तो हों, परंतु अपना शासन अपने हाथों में न रखने वाले राष्‍ट्र नहीं होते. राष्‍ट्रीयता का भाव मानव-उन्‍नति की एक सीढ़ी है. उसका उदय नितांत स्‍वाभाविक रीति से हुआ. योरप के देशों में यह सबसे पहले जन्‍मा. मनुष्‍य उसी समय तक मनुष्‍य है, जब तक उसकी दृष्टि के सामने कोई ऐसा ऊंचा आदर्श है, जिसके लिए वह अपने प्राण तक दे सके. 
आइए, समझें क्या है राष्ट्रीयता : गणेश शंकर विद्यार्थी
समय की गति के साथ आदर्शों में परिवर्तन हुए. धर्म के आदर्श के लिए लोगों ने जान दी और तन कटाया. परंतु संसार के भिन्‍न-भिन्‍न धर्मों के संघर्षण, एक-एक देश में अनेक धर्मों के होने तथा धार्मिक भावों की प्रधानता से देश के व्‍यापार, कला-कौशल और सभ्‍यता की उन्नति में रुकावट पड़ने से, अंत में धीरे-धीरे धर्म का पक्षपात कम हो चला और लोगों के सामने देश-प्रेम का स्‍वाभाविक आदर्श सामने आ गया. जो प्राचीन काल में धर्म के नाम पर कटते-मरते थे, आज उनकी संतति देश के नाम पर मरती है. पुराने अच्‍छे थे या ये नये, इस पर बहस करना फिजूल ही है, पर उनमें भी जीवन था और इनमें भी जीवन है. वे भी त्‍याग करना जानते थे और ये भी और ये दोनों उन अभागों से लाख दर्जे अच्‍छे और सौभाग्‍यवान हैं जिनके सामने कोई आदर्श नहीं और जो हर बात में मौत से डरते हैं. ये पिछले आदमी अपने देश के बोझ और अपनी माता की कोख के कलंक हैं. 
देश-प्रेम का भाव इंग्‍लैंड में उस समय उदय हो चुका था, जब स्‍पेन के कैथोलिक राजा फिलिप ने इंग्‍लैंड पर अजेय जहाजी बेड़े आरमेड़ा द्वारा चढ़ाई की थी, क्‍योंकि इंग्‍लैंड के कैथोलिक और प्रोटेस्‍टेंट, दोनों प्रकार के ईसाइयों ने देश के शत्रु का एक-सा स्‍वागत किया. फ्रांस की राज्‍यक्रांति ने राष्‍ट्रीयता को पूरे वैभव से खिला दिया. इस प्रकाशमान रूप को देखकर गिरे हुए देशों को आशा का मधुर संदेश मिला. 19वीं शताब्‍दी राष्‍ट्रीयता की शताब्‍दी थी. वर्तमान जर्मनी का उदय इसी शताब्‍दी में हुआ. पराधीन इटली ने स्‍वेच्‍छाचारी आस्ट्रिया के बंधनों से मुक्ति पाई. यूनान को स्‍वाधीनता मिली और बालकन के अन्‍य राष्‍ट्र भी कब्रों से सिर निकाल कर उठ पड़े. गिरे हुए पूर्व ने भी अपने विभूति दिखाई. बाहर वाले उसे दोनों हाथों से लूट रहे थे. उसे चैतन्‍यता प्राप्‍त हुई. उसने अंगड़ाई ली और चोरों के कान खड़े हो गये. उसने संसार की गति की ओर दृष्टि फेरी. देखा, संसार को एक नया प्रकाश मिल गया है और जाना कि स्‍वार्थपरायणता के इस अंधकार को बिना उस प्रकाश के पार करना असंभव है. उसके मन में हिलोरें उठीं और अब हम उन हिलोरों के रत्‍न देख रहे हैं. 
जापान एक रत्‍न है - ऐसा चमकता हुआ कि राष्‍ट्रीयता उसे कहीं भी पेश कर सकती है. लहर रुकी नहीं. बढ़ी और खूब बढ़ी. अफीमची चीन को उसने जगाया और पराधीन भारत को उसने चेताया. फारस में उसने जागृति फैलाई और एशिया के जंगलों और खोहों तक में राष्‍ट्रीयता की प्रतिध्‍वनि इस समय किसी न किसी रूप में उसने पहुंचाई. यह संसार की लहर है. इसे रोका नहीं जा सकता. वे स्‍वेच्‍छाचारी अपने हाथ तोड़ लेंगे - जो उसे रोकेंगे और उन मुर्दों की खाक का भी पता नहीं लगेगा - जो इसके संदेश को नहीं सुनेंगे. भारत में हम राष्‍ट्रीयता की पुकार सुन चुके हैं. हमें भारत के उच्‍च और उज्‍ज्‍वल भविष्‍य का विश्‍वास है. हमें विश्‍वास है कि हमारी बाढ़ किसी के राके नहीं रुक सकती. रास्‍ते में रोकने वाली चट्टानें आ सकती हैं. बिना चट्टानें पानी की किसी बाढ़ को नहीं रोक सकतीं, परंतु एक बात है, हमें जान-बूझकर मूर्ख नहीं बनना चाहिए. ऊटपटांग रास्‍ते नहीं नापने चाहिए. 
कुछ लोग 'हिंदू राष्‍ट्र' - 'हिंदू राष्‍ट्र' चिल्‍लाते हैं. हमें क्षमा किया जाय, यदि हम कहें-नहीं, हम इस बात पर जोर दें - कि वे एक बड़ी भारी भूल कर रहे हैं और उन्‍होंने अभी तक 'राष्‍ट्र' शब्‍द के अर्थ ही नहीं समझे. हम भविष्‍यवक्‍ता नहीं, पर अवस्‍था हमसे कहती है कि अब संसार में 'हिंदू राष्‍ट्र' नहीं हो सकता, क्‍योंकि राष्‍ट्र का होना उसी समय संभव है, जब देश का शासन देशवालों के हाथ में हो और यदि मान लिया जाय कि आज भारत स्‍वाधीन हो जाये, या इंग्‍लैंड उसे औपनिवेशिक स्‍वराज्‍य दे दे, तो भी हिंदू ही भारतीय राष्‍ट्र के सब कुछ न होंगे और जो ऐसा समझते हैं - हृदय से या केवल लोगों को प्रसन्‍न करने के लिए - वे भूल कर रहे हैं और देश को हानि पहुँचा रहे हैं. वे लोग भी इसी प्रकार की भूलकर रहे हैं जो टर्की या काबुल, मक्‍का या जेद्दा का स्‍वप्‍न देखते हैं, क्‍योंकि वे उनकी जन्‍मभूमि नहीं और इसमें कुछ भी कटुता न समझी जानी चाहिए, यदि हम य‍ह कहें कि उनकी कब्रें इसी देश में बनेंगी और उनके मरिसेये - यदि वे इस योग्‍य होंगे तो - इसी देश में गाये जाएंगे, परंतु हमारा प्रतिपक्षी, नहीं, राष्‍ट्रीयता का विपक्षी मुंह बिचका कर कह सकता है कि राष्‍ट्रीयता स्‍वार्थों की खान है. देख लो इस महायुद्ध को और इंकार करने का साहस करो कि संसार के राष्‍ट्र पक्‍के स्‍वार्थी नहीं है? हम इस विपक्षी का स्‍वागत करते हैं, परंतु संसार की किस वस्‍तु में बुराई और भलाई दोनों बातें नहीं हैं? लोहे से डॉक्‍टर का घाव चीरने वाला चाकू और रेल की पटरियाँ बनती हैं और इसी लोहे से हत्‍यारे का छुरा और लड़ाई की तोपें भी बनती हैं. सूर्य का प्रकाश फूलों को रंग-बिरंगा बनाता है पर वह बेचारा मुर्दा लाश का क्‍या करें, जो उसके लगते ही सड़कर बदबू देने लगती है. हम राष्‍ट्रीयता के अनुयायी हैं, पर वही हमारी सब कुछ नहीं, वह केवल हमारे देश की उन्‍नति का उपाय-भर है.
ज़ी न्यूज़ डेस्क 

દેશના ટોચના ૫૦ મહાનુભાવોના લીસ્ટમાં આદિત્યનાથની એન્ટ્રી :

પ્રથમ નંબરે  નરેન્દ્રભાઇ બીજા નંબરે અમિતભાઇ શાહ અને ત્રીજા નંબરે મોહન ભાગવતજી કેબિનેટ મીનીસ્ટરોથી આગળ નિકળી ગયેલા નવાંગતુકમાં યોગી આદિત્યનાથ સીધા ૮ માં નંબરે લીસ્ટેડ થયા છે સુબ્રમણ્યમ સ્વામી ૨૫માં નંબરે :   



Monday, 27 March 2017

ગોમતી રિવર ફ્રન્ટ ‘યોગી દરબાર'

ઉત્તરપ્રદેશના મુખ્યમંત્રી યોગી આદિત્યનાથ ફૂલ એક્શનમાં નજરે આવી રહ્યાં છે. આજે તેમણે પૂર્વ મુખ્યમંત્રી અખિલેશ યાદવના ડ્રીમ પ્રોજેક્ટ ગોમતી રિવર ફ્રન્ટનું નિરિક્ષણ કર્યું. યોગીએ આ કાર્યક્રમ અચાનક જ બનાવી લીધો હતો અને ત્યારબાદ તેઓ ડેપ્યુટી સીએમ દિનિશ શર્મા, કેબિનેટ મંત્રી રીતા બહુગુણા જોશી, અને સ્વાતિ સિંહ સાથે ગોમતી રિવર ફ્રન્ટ પહોંચી ગયા હતાં. ત્યાં તેમણે સમગ્ર પ્રોજેક્ટની સમિક્ષા કરી અને સંલગ્ન અધિકારીઓ અને લોકોની બરાબર ક્લાસ લગાવી. તેમણે અનેક એવા પ્રશ્નોનો મારો ચલાવ્યો કે અધિકારીઓ પરસેવે રેબઝેબ થઈ ગયા હતાં. યોગીએ અધિકારીઓ પાસે રિવર ફ્રન્ટ પ્રોજેક્ટની પૂરી માહિતી માંગી, અને તેઓને પાઈ પાઈનો હિસાબ આપવા જણાવ્યું. યોગીએ અધિકારીઓ સાથે લગભગ 40 મિનિટ સુધી બેઠક યોજી. તેમણે નવેસરથી બજેટનો એસ્ટિમેટ તૈયાર કરવા જણાવ્યું.



અધિકારીઓને લગાવી બરાબર ફટકાર

સીએમ યોગીએ રિવર ફ્રન્ટની બેઠકમાં પ્રોજેક્ટ સાથે જોડાયેલા અધિકારીઓ અને લોકોને બરાબર ફટકાર લગાવી. યોગીએ પૂછ્યું કે ગોમતીનું પાણી ગંદુ કેમ છે? શું બધા રૂપિયા પથ્થરોમાં લગાવી દીધા? પ્રોજેક્ટમાં આટલો ખર્ચો કેવી રીતે થયો? શું પ્રોજેક્ટ કોસ્ટ વધુ છે તો તેમાં સંશોધન કરો. મે મહિના સુધીમાં ગોમતીનું પાણી ચોખ્ખુ થઈ જવું જોઈએ અને એક વર્ષમાં સમગ્ર પ્રોજેક્ટ પૂરો થવો જોઈએ તેવો તેમણે નિર્દેશ આપ્યો. એવી પણ અટકળ છે કે યોગી પ્રોજેક્ટ સાથે જોડાયેલા અધિકારીઓ પર કાર્યવાહી પણ કરી શકે છે. યોગીએ એમ પણ પૂછ્યું કે રિવરફ્રન્ટ પ્રોજેક્ટમાં 6 કિમી નદીને 3 મીટર ઊંડાણમાં ઊંડી કેમ કરવામાં આવી છે પરંતુ કાગળ પર. આટલી માટી કાઢીને ફેંકી ક્યાં? ગોમતીને કેટલી ઊંડી કરવામાં આવી?
પ્રોજેક્ટનું લોકાર્પણ કર્યું હતું અખિલેશ યાદવે
ગોમતી રિવર ફ્રન્ટ પ્રોજેક્ટનું લોકાર્પણ તત્કાલિન મુખ્યમંત્રી અખિલેશ યાદવે 16 નવેમ્બર 2016ના રોજ કર્યું હતું. પ્રોજેક્ટ હજું અધૂરો છે. અખિલેશે પોતાના આ ડ્રીમ પ્રોજેક્ટ માટે લગભગ 1500 કરોડ રૂપિયાનું ભારેભરખમ બજેટ બનાવ્યું હતું. અત્યાર સુધી આ પ્રોજેક્ટ પર 900 કરોડ રૂપિયા ખર્ચાઈ ચૂક્યા છે. ગોમતી રિવર ફ્રન્ટ પ્રોજેક્ટ હેઠળ ગોમતી નદીના બંને કિનારાનું સૌંદર્યકરણ થયું છે. નદી કિનારે જોગિંગ ટ્રેક, સાઈકલ ટ્રેક, અને બાળકોના પાર્ક બનાવવામાં આવ્યાં છે. બાળકો માટે ડિઝની ડ્રીમ શો, ટોરનેડો ફાઉન્ટેન્સ,વોટર થિયેટર બનાવવામાં આવ્યાં છે. આ ઉપરાંત યોગ કેન્દ્ર, વિવાહ ભવન, અને ઓપન થિયેટરનું પણ નિર્માણ કરવામાં આવ્યું છે. ગોમતીના કિનારે ક્રિકેટ અને ફૂટબોલ સ્ટેડિયમ પણ બનાવવામાં આવ્યાં છે. સ્ટેડિયમનું નામ ટેનિસ ખેલાડી ગૌસ મોહમ્મદના નામ પર છે.






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