Tuesday, 28 July 2015

'‘ मिसाइल मैन ’' डॉ. एवुल पाकिर जैनुलाबद्दीन अब्दुल कलाम

नाविक के बेटे से लेकर मिसाइल मैन और राष्ट्रपति तक कलाम साहब का सफर


भारत के ‘मिसाइल मैन’ के रूप में लोकप्रिय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम बेहद साधारण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते थे तथा जमीन और जड़ों से जुड़े रहकर उन्होंने ‘‘जनता के राष्ट्रपति’’ के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई थी।
समाज के सभी वर्गों और विशेषकर युवाओं के बीच प्रेरणा स्रोत बने डॉ कलाम ने राष्ट्राध्यक्ष रहते हुए राष्ट्रपति भवन के दरवाजे आम जन के लिए खोल दिए जहां बच्चे उनके विशेष अतिथि होते थे।
एक सच्चा मुसलमान
एक सच्चे मुसलमान और एक नाविक के बेटे एवुल पाकिर जैनुलाबद्दीन अब्दुल कलाम ने 18 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला और उन्हें एक ऐसी हस्ती के रूप में देखा गया जो कुछ ही महीनों पहले गुजरात के सांप्रदायिक दंगों के घावों को कुछ हद तक भरने में मदद कर सकते थे।
अनोखा हेयर स्टाइल था कलाम का
देश के पहले कुंवारे राष्ट्रपति कलाम का हेयर स्टाइल अपने आप में अनोखा था और एक राष्ट्रपति की आम भारतीय की परिभाषा में फिट नहीं बैठता था लेकिन देश के वह सर्वाधिक सम्मानित व्यक्तियों से एक थे जिन्होंने एक वैज्ञानिक और एक राष्ट्रपति के रूप में अपना अतुल्य योगदान देकर देश सेवा की।
देश की रक्षा क्षेत्र में योगदान
अत्याधुनिक रक्षा तकनीक की भारत की चाह के पीछे एक मजबूत ताकत बनकर उसे साकार करने का श्रेय डॉ कलाम को जाता है और देश के उपग्रह कार्यक्रम, निर्देशित और बैलेस्टिक मिसाइल परियोजना, परमाणु हथियार तथा हल्के लड़ाकू विमान परियोजना में उनके योगदान ने उनके नाम को हर भारतीय की जुबां पर ला दिया।
बन गए भारत के 'मिसाइल मैन'
15 अक्तूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में पैदा हुए कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी से स्नातक करने के बाद भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया और फिर उसके बाद रक्षा शोध एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से जुड़ गए। रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में शोध पर ध्यान केंद्रित करने वाले डॉ कलाम बाद में भारत के मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ गए। बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण वाहन तकनीक में उनके योगदान ने उन्हें ‘‘भारत के मिसाइल मैन’’ का दर्जा प्रदान कर दिया।
डॉ कलाम को मिले भारत रत्न समेत कई पुरस्कार
भारत रत्न समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किए गए कलाम ने 1998 में भारत द्वारा पोखरण में किए गए परमाणु हथियार परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उस समय वाजपेयी सरकार केंद्र की कमान संभाल रही थी।
'मेड इन इंडिया' थे शाकाहारी कलाम
शाकाहारी कलाम के हवाले से एक बार कहा गया था कि उन्होंने भारत में कई तकनीकी पहलुओं को आगे बढ़ाया और उसी प्रकार वह खुद भी ‘‘मेड इन इंडिया’’ थे जिन्होंने कभी विदेशी प्रशिक्षण हासिल नहीं किया।
2002 से 2007 तक रहे देश के राष्ट्रपति
कलाम ने के आर नारायणन से राष्ट्रपति पद की कमान संभाली थी और वह 2002 से 2007 तक देश के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में उनका मुकाबला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की क्रांतिकारी नेता लक्ष्मी सहगल के साथ था और वह इस एकपक्षीय मुकाबले में विजयी रहे। उन्हें राष्ट्रपति पद के चुनाव में सभी राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल हुआ था।
राष्ट्रपति पद पर पहुंचा पहला कुंआरा
राष्ट्रपति पद पर आसीन होने के साथ ही वह राष्ट्रपति भवन के सम्मान को नई ऊंचाइयां प्रदान करने वाले पहले वैज्ञानिक और पहले कुंआरे बन गए।
दया याचिकाओं को लेकर हुई आलोचना
बतौर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में कलाम को 21 दया याचिकाओं में से 20 के संबंध में कोई फैसला नहीं करने को लेकर आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। कलाम ने अपने पांच साल के कार्यकाल में केवल एक दया याचिका पर कार्रवाई की और बलात्कारी धनंजय चटर्जी की याचिका को नामंजूर कर दिया जिसे बाद में फांसी दी गयी थी।
गुरु की दया याचिका पर हुआ विवाद
उन्होंने संसद पर आतंकवादी हमले में दोषी करार दिए जाने के बाद मौत की सजा पाने का इंतजार कर रहे अफजल गुरु की दया याचिका पर फैसला लेने में देरी को लेकर अपने आलोचकों को जवाब दिया और कहा कि उन्हें सरकार की ओर से कोई दस्तावेज नहीं मिला। गुरु को बाद में फांसी दे दी गई थी।
विदेश दौरे पर ही बिहार में लगाया राष्ट्रपति शासन
बिहार में वर्ष 2005 में राष्ट्रपति शासन लगाने के विदेश से लिए गए अपने विवादास्पद फैसले पर भी कलाम को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। हालांकि उन्होंने यह कहते हुए आलोचनाओं को खारिज कर दिया कि उन्हें कोई अफसोस नहीं है।
मंजूर नहीं था ‘रबर स्टैम्प’ संवैधानिक प्रमुख
कलाम ने लाभ के पद संबंधी विधेयक को मंजूरी देने से इनकार करके यह साबित कर दिया था कि वह एक ‘रबर स्टैम्प’ संवैधानिक प्रमुख नहीं हैं। यह उनकी ओर से एक असंभावित कदम था जिसने राजनीतिक गलियारों विशेष रूप से कांग्रेस और उसके वामपंथी सहयोगियों के पैरों तले की जमीन खिसका दी थी।
अगले दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राष्ट्रपति को यह मामला समझाने गए और किसी प्रकार ‘अयोग्यता निवारण : संशोधन : विधेयक 2006’ पर उनकी मंजूरी हासिल की।
अनोखी संवाद कुशलता थी डॉ कलाम के पास
अपनी अनोखी संवाद कुशलता के चलते कलाम अपने भाषणों और व्याख्यानों में छात्रों को हमेशा शामिल कर लेते थे। व्याख्यान के बाद वह अक्सर छात्रों से उन्हें पत्र लिखने को कहते थे और प्राप्त होने वाले संदेशों का हमेशा जवाब देते थे।
मिसाइल कार्यक्रम में उनके योगदान के लिए उन्हें 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया । उन्हें 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण प्रदान किया गया।
राष्ट्रपति पद पर अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद से कलाम शिलांग, अहमदाबाद और इंदौर के भारतीय प्रबंधन संस्थानों तथा देश एवं विदेश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में अतिथि प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने ‘‘विंग्स आफ फायर’’, ‘इंडिया 2020’ तथा ‘इग्नाइट माइंड’ जैसी कई पुस्तकें भी लिखीं जो काफी सराही गईं।

Friday, 24 July 2015

देवियांण – भक्त कवि ईसरदासजी

देवियांण – भक्त कवि ईसरदासजी
छन्द- अडल
करता हरता श्रीं ह्नोंकारी
काली कालरयण कौमारी
ससिसेखरा सिथेसर नारी
जग नीमवण जयो जडधारी।1।
धवा धवळगर धव धू धवळा
क्रसना कुबजा कचत्री कमळा
चलाचला चामुंडा चपला
विकटाविकट भू बाला विमला ।2। 90
सुभगा सिवा जया श्री अंबा
परिया परंमार पालंबा
पिसाचणि साकणि प्रतिबंबा
अथ आराधिजे अवलंबा।3।
सं कालिका सारदा समया
त्रिपुरा तारणि तारा त्रनया
ओहं सोहं अखया अभया
आई अजया विजया उमया ।4।
छंद भुजंगी
देवी उम्मया खम्मया ईसनारी
देवी धारणी मुंड त्रिभुवन्नधारी
देवी सब्बदां रूप ओम रूप सीमा
देवी वेद पारक्ख धरणी ब्रहम्मा । 1।
देवी कालिका मां नमो भद्रकाली
देवी दूरगा लाघवं चारिताली
देवी दानवा काल सुरपाल देवी
देवी साधकं चारणं सिद्ध सेवी ।2।
देवी जख्खणी भख्खणी देव जोगी
देवी निर्मला भोज भोगी निरोगी
देवी मात जानेसुरी व्रन्न मेहा
देवी देव चामुंड संख्याति देहा ।3।
देवी भंजणी दैत सेना समेता
देवी नेतना तप्पना जय नेता
देवी कालिका कूबजा कामकामा
देवी रेणुका सम्मला रामरामा ।4।
देव मालळी जोगणी मत्त मेघा
देवी वेधणी सूर असुरां उवेधा
देवी कामही लोचना हामकामा
देवी वासनी मेर माहेस वामा । 5।
देवी भूतड़ा अम्मरी वीस भुजा
देवी त्रीपुरा भैरवी रूप तूजा
देवी राखसं धोम रे रक्त रूती
देवी दुज्र्जटा विक्कटा जम्मदूती । 6।
देवी गौर रूपा अखां नव्व निद्धी
देवी सक्कळा अक्कळा स्रव्व सिद्धी
देवी व्रज्ज विमोहणी वोम वाणी
देवी तोतला गंूगला कत्तियांणी । 7।
देवी चन्द्रघ्ज्ञंटा महम्माय चंडी
देवी वीहळा अन्नळा वाड्डवडडी
देवी जम्मघंटा वदीजंै जडंबा
देवी साकणी डाकणी रूढ सब्बा । 8।
देवी कट्टकां हाकणी वीर कंवरी
देवी मात वागेसरी महागवरी
देवी दंडणी देवबैरी उदंडा
देवी विज्जया जया दैतां विखंडा । 9।
देवी खेचरी भूचरी भद्र खेमा
देवी पद्मणी सोेभणी कलह प्रेमा
देवी जम्मणी मक्ख आहूति ज्वाला
देवी वाहिनी मन्त्र लीला विसाला ।10।
देवी मंगळा वीजळा रूप मघ्धे
देवी अब्बला सब्बला वोम अघ्धे
देवी स्रग्ंग सूं ऊतरी सिव माथे
देवी सगर सुत हेत भगिरथ्थ साथे।11!
देवी हारणी पाप श्री हरि रूपा
देवी पावनी पतितां तीर्थ भूपा
देवी पुन्य रूपं देवी प्रम्म रूपं
देवी क्रम्म रूपं देवी ध्रम्म रूपं ।12।
देवी नीर देख्यां अघ ओघ नासे
देवी आतमानंद हिये हुलासे
देवी देवता स्रब्ब तूं मां निवासे
देवी सेवते सिव सारूप् भासे।13।
देवी नाम भागीरथी नाम गंगा
देवी गंडकी गोगरा रामगंगा
देवी सर्सति जम्मनां सहरी सिद्धा
देवी त्रिवेणी त्रिस्थली ताप रूद्धा ।14।
देवी सिन्धु गोदावरी मही संगा
देवी गोमति घम्मला बाणगंगा
देवी नर्मदा सारजू सदा नीरा
देवी गल्लका तुंगभद्रा गंभीरा।15।
देवी कावेरी तपि करना कपीला
देवी सोण सतलज्ज भीमा सुसीला
देवी गोमगंगा देवी वोमगंगा
देवी गुप्तगंगा सुची रूप अंगा।16।
देवी निझरण नवे सो पदी नाला
देवी तोय ते तवां रूपं तुहाला
देवी मथुरा माईया मोक्षदाता
देवी अवंती अजोध्या अघ्घहाता ।17।
देवी कहां द्वारामती कांचि कासी
देवी सातपुरील परम्मा निवासी
देवी रंग रंगे आप रूपे
देवी घृत नैवेद ले दीप धूपे ।18।
देवी रग्त बंबाळ गळमाळ रूंडा
देवी मढ पाहारणी चंड मंुडा
देवी भाव स्वादे हसंते वकत्रे
देवी पाणपाणां पिये मद्य पत्रंे।19।
देवी सहस्रं लखं कोटीक साथे
देवी मंडणी जुद्ध मैखास माथे
देवी चापडे़ चंड ने मुंड चीना
देवी देवद्रोही दुहू धमी दीना।20!
देवी धूमलोचन्न हूंकार धोंस्यो
देवी जाडबा में रग्तबीज सोस्यो
देवी मोड़ियो माथ निसंभ मोड़े
देवी फोड़ियो संुभ जीं कुंभ फोडे़।21।
देवी संुभ निसंुभ दर्पान छळिया
देवी देव स्रग थापिया दैत दळिया
देवी संघ सूरांतणां काज सीधा
देवी क्रोड़ तेतस उच्छाह कीधा।22।
देवी गाजता दैत ता वंस गमिया
देवी नवे खंड त्रिभुवन तूझ नमिया
देवी वन्न में समाधी सरथ व्रन्नी
देवी पूजते आसपूर्णा प्रसन्नी ।23।
देवी वैस सुरथ्थ रा दीह वळिया
देवी तवन तोरा कियां सोक टळिया
देवी मारकण्डे महापाठ बांध्यो
देवी लगो तव पाय नो पार लाध्यो ।24।
देवी सप्तमी अटमी नो नूजा
देवी चैथ चैदस्स पूनम्म पूजा
देवी सर्सती लक्खमी महाकाळी
देवी कन्न विष्णु ब्रहम्मा कमाळी ।25।
देवी रघ्ग्त नीलमंणी सीत रंगं
देवी रूप अंबार विरूप् अंगं
देवी बाळ युवा व्रधं वेषवाळी
देवी विस्व रखवाळ वीसां भुजाळी ।26।
देवी वैस्णवी महेसी ब्रहम्माणी
देवी इन्द्राणी चन्द्राणी रनांरांणी
देवी नारसिंघी वराही विख्याता
देवी इला आधार आसूर हाता ।27।
देवी कौमारी चामुंडा विजैकारी
देवी कुबेरी भैरवी क्षेमकारी
देवी मृगेंस ब्रख्ख हस्ती मइखे
देवी पंख केकी गरूड़ धिरट पंखे ।28।
देवी रथ्थ रेवंत सारंग राजे
देवी विमाणं पालखी पीठ व्राजे
देवी प्रेत आरूढ पù
देवी सागरं सुमेरू गूढ सù ।29।
देवी वाहनं नाम कै वप्पवाळी
देवी खग्ग सूळधरा खप्पराळी
देवी कोप रे रूप मे काळजेता
देवी कृपा रे रूप् माता जणेता ।30।
देवी जग्त कत्र्ता र भत्र्ता संहरता
देवी चराचर जग्ग सब मे विचरता
देवी चार धामं स्थल अस्ट साठे
देवी पाविये एकसो पीठ आठे

।31।
देवी माइ हिंगोळ पच्छम माता
देवी देव देवाधि वरदान दाता
देवी गन्द्रपांवास अर्बद्द् गा्रमे
देवी थाण उडियाण समसाण ठामे ।32।
देवी गढ़े कोटे गरन्नार गोखे
देव सिन्धु वेला सवालाख सोखे
देवी कामरू पीठ अघ्घोर कुंडे
देवी खंखरे दु्रमे कस्मेर खण्डे ।33।
देवी उत्तरा जोगणीपर उजेणी
देवी भाल भरूअच्च भजनेर भेणी
देवी देव जालंधरी सप्त दीपे
देवी कंदरे सख्खरे वाव कूपे। 34।
देवी मेटलीमाळ घूमे गरब्बे
देवी काछ कन्नोज आसाम अंबे
देवी सब्ब खंडे रसा गीरिश्रंगे
देव वंकड़े दुर्गमे ठां विहंगे ।35।
देवी वम्मेर डंगरे रन्न वन्ने
देव थंबड़े लींबड़े थन्न थन्ने
देव झंगरे चाचरे झब्ब झब्बे
देवी अंबरे अंतरीखे अलंबे ।36।
देवी निर्झरे तरवेर नगे नेसे
देव दिसे अवदिसे देसे विदेसे
देवी सागरं बेठड़े आप संगे
देवी देहरे घरे देवी दुरंगे ।37।
देव सांगर सीप मे अमी श्रावे
देवी पीठ तव कोटि पच्चास पावे।
देवी वेलसा रूप् सांमद बाजे
देव बादळा रूप् गैणाग गाजे ।38।
देव मंगगळारूप तूं ज्वाळ माळा
देवी कंठळा रूप् तूं मेघ काळा
देवी अन्नलं रूप आकास भम्मे
देवी मानवां रूप् म्रतलोक रम्मे ।39।
देव पन्नगां रूप पाताळ पेसे
देवी देवता रूप तूं स्रग्ग देसे
देव प्रम्म रे रूप् पिंड पिंड पीणी
देवी सून रे रूप ब्रहाण्ड लीणी ।40।
देवी आताम रूप काया चलावे
देवी काया रे रूप आतम खिलावे
देव रूप वासन्त रे वन्न राजे
देव आग रे रूप तूं वन्न दाझे ।41।
देवी नीर रे रूप तूं आग ठारे
देवी तेज रे रूप तूं नीर हारे
देवी ज्ञान रे रूप तूं जग्त व्यापी
देवी जग्त रे रूप तूं धर्म थापी ।42।
देवी धर्म रे रूप सिव सक्ति जाया
देवी सिव सक्ति रूपे सत्त माया
देवी सत्त रे रूप तूं सेस मांही
देवी सेस रे रूप रे सिर धरा साही।43।
देवी धरा रे रूप खमया कहावे
देवी खम्मया रूप तूं काळ खावे
देवी काळ रे रूप उदंड वाये
देवी वायु जळ रूप कल्पान्त थाये।44।
देवी कल्प रे रूप कल्पान्त दीपे
देवी विष्णु रे रूप कल्पान्त जीपे
देवी नींद रे रूप चख विसन रूढी
देवी विसन रे रूप तंू नाम पूढी।45।
देवी नाभ रे कमळ ब्रळा निपाया
देवी ब्रह्म रे रूप मधुकीट जाया
देवी रूप मधुकीट ब्रह्म डराये
देवी ब्रह्म रे रूप विष्णु जगाये।46।
देवी विष्णु रे रूप जंघा वधारे
देवी मुकंुद रे रूप मधुकीट मारे
देवी सावित्री गायत्री प्रम्म ब्रम्मा
देवी साच तण मेलिया जोग सम्मा।47।
देवी सूनी रे दूध तें खीर रांधी
देवी मरकंड रूप तें भ्रांत बांधी
देवी मन्त्र मूलं देवी बीज बाला
देवी वापणी स्रब्ब लीला विसाला।48।
देवी आद अन्नाद ओंकार वाणी
देवी हेक हंकार ह्नींकार जाणी
देवी आप ही आप आपंा उपाया
देवी जोगनिद्रा भवं तीन जाया ।49।
देवी मन्नछा माइया जग्ग माता
देवी ब्रम्म गोविंद संभु विधाता
देवी सिद्धि रे रूप नव नाथ साथे
देवी रिद्धि रे रूप धनराज हाथे।50।
देवी वेद रे रूप तंू ब्रम्म वाणी
देवी जोग रे रूप मछन्द्र जाणी
देवी दान रे रूप बळराव दीधी
देवी सत्त रे रूप हरचन्द सीधी।51।
देवी रढ्ढ रे रूप दसकंध रूठी
देवी सील रे रूप सौमित्र तूठी
देवी सारदा रूप पींगल प्रसन्नी
देवी मांण रे रूप दुजोंण मन्नी। 52।
देवी गदा रे रूप भुज भीम साई
देवी साच रे रूप् जुहिठल्ल ध्याई
देवी कुन्ती रे रूप तें कर्ण कीधा
देवी सासत्रां रूप सैदेव सीधा।53।
देवी बांण रे रूप अर्जुण बन्नी
देवी द्रौपदी रूप पांचां पतन्नी
देवी पांच ही पांडवां परे तूठी
देवी पांडवी कौरवां परे रूठी।54।
देवी पांडवां कौरवां रूप बांधा
देवी कौरवां भीम रे रूप खाधा
देवी अर्जुणं रूप जैद्रथ्थ मार्यो
देवी जैद्रथ्थ रूप सौभद्र टार्यो ।55।
देवी रेणुका रूप तें राम जाया
देवी राम रे रूप खत्री खपाया
देवी खत्रियां रूप दुजराम जीता
देवी रूप दुजराम रे रग्त पीता।56।
देवी रग्त रे रूप तूं जग्त जाता
देवी जोगणी रूप तूं जग्त माता
देवी मात रे रूप तूं अमी श्रावे
देवी बाळ रे रूप तूं खीर धावं।57।
देवी जस्सुदा रूप कान्ह दुलारे
देवी कान्हा रे रूप तूं कंस मारे
देवी चामुंडा रूप खेतल हुलावे
देवी खेतला रूप नारी खिलावे । 58।
देवी नारि रे रूप पुरसां धुतारी
देवी पुरसां रूप नारी पियारी
देवी रोहणी रूप तंू सोम भावंे
देवी सोम रे रूप तूं सुधा श्रावे ।59।
देवी रूकमणी रूप तूं कान्ह सोहे
देवी कान्ह रे रूप तूं गोपि मोहे
देवी सीत रे रूप तंू राम साथे
देवी राम रे रूप तूं भग्त हाथे।60।
देवी सावित्री रूप ब्रùा सोहाणी
देवी ब्रù रे रूप तूं निगम वाणी
देवी गोरजा रूप तंू रूद्र राता
देवी रूद्र रे रूप तंू जोग धाता । 61।
देवी जोग रे रूप गोरख्ख जागे
देवी गोरखं रूप माया न लागे
देवी माइया रूप तें विष्णु बांधा
देवी विष्णु रे रूप तंे दैत खाधा। 62।
देवी दैत रे रूप तंें देव ग्रहिया
देवी देव रे रूप कै दनुज दहिया
देवी मच्छ रे रूप तूं संख मारी
देवी संखवा रूपा तूं वेद हारी। 63।
देवी वेद सुद वार रूपे कराया
देवी चारणं वेद तें वार पाया
देवी लक्खमी रूप तें भेद दीधा
देवी राम रे रूप तंे रतन लीधा। 64।
देवी दसरथं रूप श्रवणं विडारी
देवी श्रवणं रूप पितु मात

तारी
देवी केकयी रूप तें कूड़ कीधा
देवी राम रे रूप वनवास लीधा। 65।
देवी मृग्ग रे रूप तें सीत मोई
देवी राम रे रूप पाराध होई
देवी बाण रे रूप मारीच मारी
देवी मार मारीच लखणं पुकारी।66।
देवी लख्खणं राम पीछे पठाई
देवी रावणं रूप सीता हराई
देवी सक्रारी रूप हनमंत ढाळी
देवी रूप हनमंत लंका प्रजाळी।67।
देवी सांग रे रूप लखणं विभाडे
देवी लक्खणं रूप घननाद पाडे
देवी खगेस रूप तें नाग खाधा
देवी नाग रे रूप हरसेन बाधा ।68।
देवी छकारा रूप तंे राम छळिया
देवी राम रे रूप दसकंध दळिया
देवी कान्ह रे रूप गिरि नक्ख चाडे
देवी नक्ख रे रूप ह्रणकंस फाडे ।69।
देवी नाहरं रूप ह्रणकंस खाया
देवी रूप ह्रणकंस इन्द्रं हराया
देवी इन्द्र रे रूप तूं जग्ग तूठी
देवी जग्ग रे रूप तूं अन्न बूठी।70।
देवी रूप हैग्रीव रे निगम सूस्या
देवी हैग्रीव रूप हैग्रीव धूस्या
देवी राहु रे रूप तें अमी हरिया
देवी विष्णु रे रूप तें चक्र फरिया।71।
देवी संकर रूप त्रीपूर वीधा
देवी त्रीपुरं रूप त्रीपुर लीधा
देवी ग्राह रे रूप तें गज्ज ग्राया
देवी गज्ज गोविन्द रूपे छुडाया । 72।
देवी दधीची रूप तें हाड दीधो
देवी हाड रो तख्ख तें वज्र कीधे
देवी वज्र रे रूप तें व्रत्र नास्यो
देवी व्रत्र रे रूप तें सक्र त्रास्यो।73।
देवी नारदं रूप तें प्रस्न नाख्या
देवी हंस रे रूप तत ज्ञान भाख्या
देवी ज्ञान रे रूप तूं गहन गीता
देवी कृष्ण रे रूप गीता कथीता ।74।
देवी बालमिक व्यास रूपे तूं कृतं
देवी रामायण पुराणे भागवतं
देवी काबा रे रूप तूं पाथ लूटे
देवी पाथ रे रूप भाराथ जूटे । 75।
देवी रूप अंधेर रे सूर गंजे
देवी सूरजं रूप अंधेर भंजे
देवी मैख रे रूप देवां डरावे
देवी देवता रूप तूं मैख खावे ।76।
देवी तीर्थ रे रूप अघ विषम टारे
देवी ईस्वरं रूप अधमं उधारे
देवी पौन रे रूप तूं गरूड़ पाडे
देवी गरूड़ रे रूप चत्रभूज चाडे। 77।
देवी माणसर रूप मुगता निपावे
देवी मरालं रूप मुगता तुं पावे
देवी वामणं रूप बळराव भाड़ंे
देवी रूप बळराव मेरू उपाडे़।78।
देवी मेरगिर रूप सायर वरोळे
देवी सायरं रूप गिरमेर बोळे
देवी कूर्म रे रूप तूं मेर पूठी
देवी वाडवा रूप तूं आग उठी ।79।
देवी आग रे रूप सुर असुर डरिया
देवी सरसती रूप तें तेथ धरिया
देवी घड़ा रे रूप अगसत्त दीधो
देवी अगस्तं रूप सामन्द पीधो। 80।
देवी समुदं्र रूप तंे हेम छळिया
देवी पांडवं हेम रे रूप गळिया
देवी पांडवां रूप तें भ्रांत भांगी
देवी भ्रांत रे रूप तूं राम लागी ।81।
देवी राम रे रूप तंू भगत तूठी
देवी भगत रे रूप वैकुंठ वूठी
देवी रूप बैकुंठ परब्रह्म वासी
देवी रूप परब्रह्म सब मे निवासी।82।
देवी ब्रह्म तूं विष्णु अज रूद्रराणी
देवी वाण तंू खाण तूं भूत प्राणी
देवी मन्नं तंू पवन तंू मोख माया
देवी क्रम्म तूं ध्रम्म तूं जीव काया ।83।
देवी नाद तूं बिन्दु तूं नव्व नि़ि़द्ध
देवी सीव तूं सक्ति तूं स्रब्ब सिद्धी
देवी बापड़ा मानवी कांई बूझे
देवी ताहरा पार तूं हीज सूझे । 84।
देवी तूंज जाणे गती गहन तोरी
देवी तत्त रूपं गती तंूज मोरी
देवी रोग भव हारणी त्राहि मामं
देवी पाहि पाहि देवी पाहि मामं । 85।
छप्पय
रगता सेता रणा, नमो मां क्रसना नीला
सीकोतरी आसुरी, सुरी सुसिला गरवीला
दीरघा लघु वपु द्रढा, सबेही रूप विरूपा
वकला सकला व्रजा, उपावण आप आपुण
घण पवण हुतासण सूं प्रबळ, चामुंडा वन्दू चरण
कवि पार तूझ ईसर कहें, कालीका जाणे कवण ।1।
घम घमंत घुघरी, पाय नेवरी रणंझण
डम डमंत डाकली, ताल ताळी बज्जे तण
पाय सिंघ गळ अड़े, चक्र झळहळे चउदह
मळे क्रोड तेतीस, उदो सुरियंद अणंदह
अदभूत रूप सकती अकळ, प्रंेत दूत पालतियं
गहगहे वार डमरू डहक, महंमाय आवतियं ।2।
चढे़ सिंघ चामुंड, कमळ हंूकारव कध्धो
डरो चरंतो देख, असुर भागियो अवध्धो
आदि सक्ति आपडे, रूक वाहिये रमंता
खाळ रगत खळहळे, ढळे ढींगोळ धरंता
हींगोळराय अठ दस हथी, भ्रखे मैख भुवनेसरी
कवि जोड़ पाण ईसर कहे, उदो उदो आसपुरी।3।

Thursday, 23 July 2015

क्रांतिकारी योद्धा चंद्रशेखर आजाद



चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय
काकोरी ट्रेन डकैती और साण्डर्स की हत्या में शामिल निर्भय क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद, का जन्म 23 जुलाई, 1906 को उन्नाव, उत्तर प्रदेश में हुआ था. चंद्रशेखर आजाद का वास्तविक नाम चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था. चंद्रशेखर आजाद का प्रारंभिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भावरा गांव में व्यतीत हुआ. भील बालकों के साथ रहते-रहते चंद्रशेखर आजाद ने बचपन में ही धनुष बाण चलाना सीख लिया था. चंद्रशेखर आजाद की माता जगरानी देवी उन्हें संस्कृत का विद्वान बनाना चाहती थीं. इसीलिए उन्हें संस्कृत सीखने लिए काशी विद्यापीठ, बनारस भेजा गया. दिसंबर 1921 में जब गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन की शुरूआत की गई उस समय मात्र चौदह वर्ष की उम्र में चंद्रशेखर आजाद ने इस आंदोलन में भाग लिया जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित किया गया. जब चंद्रशेखर से उनका नाम पूछा गया तो उन्होंने अपना नाम आजाद और पिता का नाम स्वतंत्रता बताया. यहीं से चंद्रशेखर सीताराम तिवारी का नाम चंद्रशेखर आजाद पड़ गया था. चंद्रशेखर को पंद्रह दिनों के कड़े कारावास की सजा प्रदान की गई.

क्रांतिकारी जीवन
1922 में गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया गया. इस घटना ने चंद्रशेखर आजाद को बहुत आहत किया. उन्होंने ठान लिया कि किसी भी तरह देश को स्वतंत्रता दिलवानी ही है. एक युवा क्रांतिकारी प्रनवेश चैटर्जी ने उन्हें हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन जैसे क्रांतिकारी दल के संस्थापक राम प्रसाद बिस्मिल से मिलवाया. आजाद इस दल और बिस्मिल के समान स्वतंत्रता और बिना किसी भेद-भाव के सभी को अधिकार जैसे विचारों से बहुत प्रभावित हुए. चंद्रशेखर आजाद के समर्पण और निष्ठा की पहचान करने के बाद बिस्मिल ने चंद्रशेखर आजाद को अपनी संस्था का सक्रिय सदस्य बना दिया. अंग्रेजी सरकार के धन की चोरी और डकैती जैसे कार्यों को अंजाम दे कर चंद्रशेखर आजाद अपने साथियों के साथ संस्था के लिए धन एकत्र करते थे. लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए चंद्रशेखर आजाद ने अपने साथियों के साथ मिलकर सॉण्डर्स की हत्या भी की थी. आजाद का यह मानना था कि संघर्ष की राह में हिंसा होना कोई बड़ी बात नहीं है इसके विपरीत हिंसा बेहद जरूरी है. जलियांवाला बाग जैसे अमानवीय घटनाक्रम जिसमें हजारों निहत्थे और बेगुनाहों पर गोलियां बरसाई गईं, ने चंद्रशेखर आजाद को बहुत आहत किया जिसके बाद उन्होंने हिंसा को ही अपना मार्ग बना लिया.

झांसी में क्रांतिकारी गतिविधियां
चंद्रशेखर आजाद ने एक निर्धारित समय के लिए झांसी को अपना गढ़ बना लिया. झांसी से पंद्रह किलोमीटर दूर ओरछा के जंगलों में वह अपने साथियों के साथ निशानेबाजी किया करते थे. अचूक निशानेबाज होने के कारण चंद्रशेखर आजाद दूसरे क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ पंडित हरिशंकर ब्रह्मचारी के छ्द्म नाम से बच्चों के अध्यापन का कार्य भी करते थे. वह धिमारपुर गांव में अपने इसी छद्म नाम से स्थानीय लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए थे. झांसी में रहते हुए चंद्रशेखर आजाद ने गाड़ी चलानी भी सीख ली थी.

चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह
1925 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की गई. 1925 में काकोरी कांड हुआ जिसके आरोप में अशफाक उल्ला खां, बिस्मिल समेत अन्य मुख्य क्रांतिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई. जिसके बाद चंद्रशेखर ने इस संस्था का पुनर्गठन किया. भगवतीचरण वोहरा के संपर्क में आने के बाद चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु के भी निकट आ गए थे. इसके बाद भगत सिंह के साथ मिलकर चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजी हुकूमत को डराने और भारत से खदेड़ने का हर संभव प्रयास किया.
चंद्रशेखर आजाद का निधन
1931 में फरवरी के अंतिम सप्ताह में जब आजाद गणेश शंकर विद्यार्थी से मिलने सीतापुर जेल गए तो विद्यार्थी ने उन्हें इलाहाबाद जाकर जवाहर लाल नेहरू से मिलने को कहा. चंद्रशेखर आजाद जब नेहरू से मिलने आनंद भवन गए तो उन्होंने चंद्रशेखर की बात सुनने से भी इंकार कर दिया. गुस्से में वहां से निकलकर चंद्रशेखर आजाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ एल्फ्रेड पार्क चले गए. वे सुखदेव के साथ आगामी योजनाओं के विषय में बात ही कर रहे थे कि पुलिस ने उन्हे घेर लिया. लेकिन उन्होंने बिना सोचे अपने जेब से पिस्तौल निकालकर गोलियां दागनी शुरू कर दी. दोनों ओर से गोलीबारी हुई. लेकिन जब चंद्रशेखर के पास मात्र एक ही गोली शेष रह गई तो उन्हें पुलिस का सामना करना मुश्किल लगा. चंद्रशेखर आजाद ने पहले ही यह प्रण किया था कि वह कभी भी जिंदा पुलिस के हाथ नहीं आएंगे. इसी प्रण को निभाते हुए उन्होंने वह बची हुई गोली खुद को मार ली.

पुलिस के अंदर चंद्रशेखर आजाद का भय इतना था कि किसी को भी उनके मृत शरीर के के पास जाने तक की हिम्मत नहीं थी. उनके शरीर पर गोली चला और पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही चंद्रशेखर की मृत्यु की पुष्टि हुई.

बाद में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात जिस पार्क में उनका निधन हुआ था उसका नाम परिवर्तित कर चंद्रशेखर आजाद पार्क और मध्य प्रदेश के जिस गांव में वह रहे थे उसका धिमारपुरा नाम बदलकर आजादपुरा रखा गया.

"स्वन्त्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा" लोकमान्य तिलक

स्वाधीनता के प्रेरक  लोकमान्य तिलक


"स्वन्त्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं  इसे लेकर रहूँगा" का उध्घोष करने वाले बल गंगाधर तिलक  का भारतीय स्वाधीनता संग्राम में शीर्ष स्थान रहा है | वे एक महान देशभक्त  और प्रखर राजनेतिक विचारक थे | भारत  की पुण्य भूमि  में जन्मे ऐसे महापुरुष लोकमान्य गंगाधर तिलक का जन्म महारास्ट्र के रत्नागिरी जिलान्तर्गत चिरवल नामक गाँव में १३ जुलाई १८५६ ई. को हुआ था | इनके पिताजी गंगाधर राव अध्यापक के साथ- साथ समाजसेवी भी थे | जब ये मात्र १० वर्ष के थे तो उनकी माता पार्वती बाई का स्वर्गवास  हो गया | माता की मृत्यु के सात वर्ष बाद पिता के सन्यासी होने के कारण तिलक अनाथ और असहाय हो गए, आपने अपनी प्रखर बुद्धी से आगे अध्ययन जरी रखा | कुशाग्र बुद्धी, कठोरे परिश्रम एवं कर्तव्य परायणता आदि गुणों के कारण उनके जीवन में परिस्तिथि वश उत्पन्न आभाव व कष्ट उनकी देश सेवा में कभी अवरोध नहीं बन सके|

तिलक ने तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों, कुप्रथाओ और अन्धविश्वासो का सदैव विरोध किया |१५ वर्ष की आयु में आपका विवाह तथी बाई से हुआ. उस समय उन्होंने दहेज़ न लेकर अपने ससुर से पढने के लिए पुस्तके मांगी थी. तिलक की गणित और संस्कृत में  महारत हासिल थी |बचपन में एक बार उन्होंने पिता को बाण भट्ट की कादम्बरी पढ़ते सुना तो वह दंग रह गए. प्रारंभ में एक  मराठी स्कूल में अध्यापक  का कार्य किया और उच्चच शिक्षा प्राप्त कर शिक्षा विभाग में सहायक उपशिक्षा निरीक्षक बन गए | अध्यापन कार्य करते हुए तिलक ने दो मराठी पत्र " केसरी और मरहट्टा " निकलना प्रारंभ किया | इनके माध्यम से उन्होंने लोगो में राजनेतिक चेतना जगाने का महत्वपूर्ण कार्य किया | सन १८८९ में तिलक कांग्रेस में शामिल हुए. उन्होंने इसके उदारवादी निति का तीव्र विरोध किया. तिलक ने  १८९१ में सरकार के " सहवास वे विरोधक " का इस आधार पर विरोध किया की विदेशी सरकार की जनता पर समाज सुधार थोपने का कोई अधिकार नहीं है | राष्ट्रीय जाग्रति और मनोबल में वृदि करने के उद्द्येश्य से उन्होंने गोवध विरोधी समितियों , अखाड़ो और लाठी क्लबो  की स्थापना की. वे स्वव्य्म अच्छे जिमनास्ट और कुशल तैरक तथा नाविक थे. भारत माँ को आजाद करने के लिए ब्रिटिश सत्ता के जुल्मो के खिलाफ वे हमेशा अपनी आवाज बुलंद करते रहे जिससे उन्हें अनेक बार जेल भी जाना पड़ा और भयंकर यातनाए भी सहनी पड़ी | जब महाराष्ट्र में प्लेग की महामारी और भुखमरी पड़ी तो सरकार की उदासीनता से क्रोधी होकर 22 जून १८९७ को विक्टोरिया राज्यारोहण समारोह के अवसर पर  पुणे के चाफेकर बंधुओ ने अंग्रेज प्लेग ऑफिसर को मार डाला. तिलक को इस अपराध का प्रेरक मानते हुए उन्हें डेढ़ वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी थी क्योंकि तिलक ने चाफेकर बंधुओ की फांसी की सजा का खुलकर विरोध किया था |

इस कारावास से तिलक राष्ट्रीय स्तर के लोकप्रिय नेता बन गए | बाल गंगाधर तिलक की लेखनी इतनी सशक्त थी की ब्रिटिश सता समाचार पत्र "केसरी" में छपे लेखो से परेशान रहती थी. जब ३० अप्रेल १९०८ की रात्रि में खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फर में बम विस्फोट किया | इस विषय पर केसरी के मई व जून के चार अंको में प्रकाशित सम्पादकीय लेखो को राजद्रोहात्मक ठहराकर अंग्रेज जज ने तिलक को छ साल की सजा सुने |इससे स्पष्ट होता है की यह मुक़दमा केसरी में प्रकाशित लेखो के विरुद्ध था १९०५ में बंग भंग आन्दोलन का उन्होंने पूर्ण जोर शोर से विरोध किया. विपिनचंद्र और लाला लाजपत राय  भी उनके साथ हो लिए अब यह दल "बाल पाल लाल" के नाम से विख्यात हो गया |१९०७ में कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में नरम पंथियों और गरम पंथियों में खुला संघर्ष हो गया | इसके बाद तिलक ने कांग्रेस से सम्बन्ध विच्छेद कर लिया किन्तु वे राष्ट्रीय आन्दोलन को सदैव प्रेरणा देते रहे |

अंग्रेज सर्कार के गुप्तचर विभाग के लोग तिलक जी पर बराबर नजर रखते थे | बम विस्फोट और बम निर्माण में लगे क्रांतिवीरो से उनके संपर्क होने का सूत्र मिला | केसरी में छपे सम्पादकीय ने इस आग में घी का कार्य किया फलतः २४ जून १९०८ को तिलक जी को गिओरफ़्तर कर लिया गया. उन्हें ६ वर्ष का कारावास का दंड देकर माडले (म्यामार) जेल  में भेज दिया गया | आपने कारावास के दौरान गीता का भाष्य रहस्य और " आर्कटिक होम ऑफ़ दी वेदाज" जैसी कालजयी कृतियों की रचना की |

उनमे लोगो को संगठित करने की अपूर्व क्षमता थी. गणपति एव शिवाजी उत्सव से उन्होंने संपूर्ण देश को एक सूत्र में पिरो दिया था | एक कट्टर हिन्दू होते हुए भी वे हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे | तभी तो महात्मा गाँधी जी ने उन्हें " लोकमान्य" कहकर विभूषित किया १९१६ में उन्होंने ऐनी बीसेंट द्वारा स्थापित होमेरुल लीग की गतिविधयो में सक्रीय रूप से भाग लिया १९१८ के पश्चात् उनके स्वास्थ्य में गिरावट आने लगी, १ अगस्त १९२० को इस कथन के साथ " यदि स्वराज्य न मिला तो भारत समृद्ध नहीं हो सकता | स्वराज्य हमारे अस्तितव्य के लिए अनिवार्य है उनके प्राण पखेरू उड़ गए | तिलक जी ने कहा था " राष्ट्र  की स्वाधीनता मुझे सर्वाधीक प्रिय है यदि इश्वर मुझे मुक्ति और स्वर्ग का राज्य दे तो भी में उसे छोड़कर इश्वर से स्वाधीनता की ही याचना करूँगा | " लोकमान्य का त्याग, बलिदान सदैव  प्रत्येक राष्ट्रभक्त को प्रेरणा देता रहेगा" |

Saturday, 18 July 2015

મનની ઇચ્છા અનુસાર બધાં જ સુખ કોને મળે છે?


व्यापमं घोटाला : सब-कुछ लुटा के होश में आए...

मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के नाक तले व्यापमं घोटाला के व्यापक घटनाक्रम को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि 'सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया? दिन में अगर चिराग जलाए तो क्या किया?
दिल्ली के खोजी पत्रकार अक्षय सिंह की 4 जुलाई शनिवार को झाबुआ में और कुछ ही घंटे बाद रविवार को जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरुण शर्मा की दिल्ली में मौत ने सबको चौंका दिया। फिर 6 जुलाई सोमवार तड़के भिंड निवासी ट्रेनी सब इंस्पेक्टर अनामिका कुशवाहा का तैरता शव मध्यप्रदेश के सागर में मिलने से रहस्य और गहरा गया। बेहतर भविष्य का सपना लिए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के तहत सरकारी नौकरियों और मेडिकल कॉलेजों में दाखिला के लिए घोटाले कर अपात्र धनवानों, राजनेताओं और ऊंची पहुंच के दम पर बिना काबिलियत मुकाम हासिल करने का जरिया रहा व्यापमं घोटाला। 
हाईकोर्ट की निगरानी में नवंबर 2013 में स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया गया। इस घोटाले में शिवराज सरकार के मंत्री से लेकर संतरी तक की संलिप्तता ने 'अंधेर नगरी चौपट राजा' वाली कहावत को भी चरितार्थ कर दिया। कहीं न कहीं और किसी न किसी तरह से इस घोटाले से जुड़े चार दर्जन से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हैं। विपक्षी दलों और व्हिसिल ब्लोअरों पर भरोसा करें तो मौत का यह आंकड़ा 150 से भी अधिक है। करीब 3000 लोग आरोपी बनाए जा चुके हैं जिसमें 2000 की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। कुछ जमानत पर हैं तो कुछ जेल में हैं। करीब 1000 लोग अभी भी फरार बताए जा रहे हैं। इतना कुछ होने के बाद अगर शिवराज सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) से जांच के लिए हामी भरी तो यह कहना लाजिमी है कि सब-कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया। इस मामले में शिवराज सरकार के साथ-साथ विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी और केंद्र में बैठी मोदी सरकार भी उतनी ही दोषी है। 
कहने का मतलब यह कि जिस वक्त यह केस जबलपुर हाईकोर्ट की निगरानी में एसआईटी के हवाले किया गया था उसी समय इसे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई को सौंप दिया जाता तो शायद इतनी मौतों से जरूर बचा जा सकता था। ये तो वही हुआ कि शुरूआती दौर का कैंसर जिसका किसी बड़े अस्पताल में अच्छे डॉक्टर से इलाज हो जाता तो इस बात की संभावना प्रबल थी कि वह मिट भी सकता था, लेकिन स्थानीय अस्पतालों में छानबीन की प्रक्रिया में इतना लंबा वक्त लगा दिया गया कि वह अब पूरे शरीर में फैल गया जिसे दिल्ली के एम्स जैसे अस्पताल में भी जीवन रक्षक प्रणाली पर रखकर ही आगे बढ़ा जा सकता है। 
व्यापमं घोटाले की जांच को सीबीआई को सौंपे जाने से पहले की जांच में दो तरह के दावे सामने आए। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का कहना है कि उन्होंने घोटाले की भनक लगते ही जांच के आदेश दिए, जबकि व्हिसिल ब्लोअर आनंद राय का कहना है कि जनहित याचिका दायर करने के बाद ही जांच एसटीएफ को सौंपी गई और इससे बहुत पहले ही अलग-अलग थानों में करीब 300 मामले पहुंच चुके थे। इस घोटाले पर एक किताब 'व्यापमं गेट' भी सामने आई जो पूर्व निर्दलीय विधायक पारस सकलेचा ने लिखी है। पारस सकलेचा व्यापमं घोटाला के पहले विलन भी माने जाते हैं क्योंकि बतौर विधायक पारस सकलेचा ने सबसे पहले 2009 में मेडिकल कॉलेज में दाखिलों के दौरान होने वाली कथित धांधलियों को मध्यप्रदेश विधानसभा में उठाया था। सकलेचा ने अपनी किताब में इस घोटाले का सिलसिलेवार ब्योरा दिया है और एसटीएफ की जांच पर भी सवाल खड़े किए हैं।
दरअसल, शिवराज सरकार व्यापमं घोटाले पर जिस तरह की गैरजिम्मेदारी और आपराधिक लापरवाही दिखाती रही, उसे ध्यान में रखते हुए अब उसके किसी भी कदम को शक-ओ-शुबहा के बिना देखना असंभव है। यह एक ऐसा घोटाला है जिसमें प्रदेश सरकार से जुड़े तमाम शक्ति केंद्र संदेह के घेरे में हैं। शिवराज कैबिनेट के सहयोगियों पर ही नहीं, मुख्यमंत्री के पीए तक पर गंभीर आरोप हैं। राज्यपाल जैसा संवैधानिक पद भी इन विवादों से अछूता नहीं रहा। यहां तक कि भाजपा सरकार के कर्ताधर्ता जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपनी प्रेरणा का मुख्य स्रोत बताते नहीं थकते, उसका सर्वोच्च नेतृत्व भी इन छींटों से नहीं बच सका है।
ऐसे में सबसे बड़ी जरूरत इस मामले की ऐसी जांच शुरू करवाने की थी जो इन सबकी पहुंच से ऊपर दिखती। इसका एक आसान सा तरीका यह हो सकता था कि जब इस घोटाले की व्यापकता सामने आई, तभी इसे सीबीआई को सुपुर्द कर दी जाती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और एक तरफ जहां मुख्यमंत्री शिवराज खुद घोटाले का भंडाफोड़ करने जैसे खोखले दावे करते रहे, वहीं दूसरी तरफ उनकी अगुवाई वाला प्रशासनिक तंत्र जांच के नाम पर लीपापोती में जुटा रहा। चाहे ढाई हजार से ज्यादा छात्रों को आरोपी बनाने की बात हो या मुख्यमंत्री के करीबी और ताकतवर लोगों को खुला छोड़े रखने की, ऐसे सैकड़ों वजहें हैं जो पूरी जांच प्रक्रिया को संदिग्ध बनाते हैं। सरकार ने ऐसे किसी भी वजहों पर संदेह दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया।

ज़ी स्पेशल

 प्रवीण कुमार

Thursday, 16 July 2015

भारत की दरियादिली की कद्र करे पाकिस्तान

भारत की दरियादिली की कद्र करे पाकिस्तान

पाकिस्तान एक बार फिर अपने वादे से मुकर गया है। उफा में जारी संयुक्त बयान से उसका यू-टर्न लेना इस बात का पुख्ता संकेत है कि भारत के साथ शांतिपूर्ण रिश्ते बनाने की उसकी मंशा नहीं है। करीब एक साल पहले विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द होने के बाद दोनों देशों के बीच जो गतिरोध बना था उसे तोड़ने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपना हाथ आगे बढ़ाया। दोस्ती के इस हाथ को पाकिस्तान ने थामा तो जरूर लेकिन साथ-साथ चलने की जगह उसने वादा खिलाफी कर दी। रूस के शहर उफा में गत 10 जुलाई को भारत और पाकिस्तान की ओर से जारी संयुक्त बयान में इस बात का उल्लेख किया गया कि दोनों देश आतंकवाद के सभी रूपों से मिलकर लड़ेंगे। बयान के मुताबिक दोनों देश मुंबई हमलों (26/11) के दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने के तौर-तरीकों पर बातचीत करेंगे। साथ ही पाकिस्तान इस हमले के मास्टर माइंड एवं लश्करे तैयबा के आतंकी जकीउर रहमान लखवी की आवाज का नमूना उपलब्ध कराएगा। बयान में दोनों देशों के बीच एनएसए स्तर की बातचीत शुरू करने और विश्वास बहाली के उपायों जैसे गिरफ्तार मछुआरों की रिहाई एवं पर्यटन के विस्तार पर भी सहमति बनी।
संयुक्त बयान के जारी होने से ऐसा लगा कि दोनों देशों के बीच जमी रिश्तों की बर्फ पिघलेगी और आने वाले समय में बातचीत के जरिए समस्याओं के समाधान ढूंढने के प्रयास किए जाएंगे। लेकिन साझा बयान के 72 घंटे के बाद पाकिस्तान अपनी बात से मुकर गया। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एवं विदेश मामलों पर पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज ने साफ-साफ कहा कि एजेंडे में जब तक कश्मीर का मुद्दा शामिल नहीं होगा तब तक भारत के साथ कोई वार्ता नहीं होगी। यही नहीं, जकीउर रहमान लखवी की आवाज का नमूना उपलब्ध कराने की बात से भी पाकिस्तान पलट गया। पाकिस्तान का यह कदम क्षेत्र से आतंकवाद खत्म करने के उसके प्रयासों एवं दावों पर सवाल खड़ा करता है। भारत ने हालांकि, अजीज के बयान को ज्यादा तवज्जो न देते हुए साफ कर दिया है कि वह संयुक्त बयान के आधार पर ही आगे बढ़ेगा।
पाकिस्तान के तमाम धोखों, वादाखिलाफी को नजरंदाज कर भारत ने उस पर दरियादिली दिखाई है। उस पर विश्वास जताते हुए भारत ने उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। इसके पहले दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य बनाने के लिए भारत ने जब-जब भी प्रयास किए पाकिस्तान की ओर से ऐसा कुछ किया गया जिससे इन प्रयासों को धक्का लगा और बातचीत की प्रक्रिया पटरी से उतर गई। साल 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बस से लाहौर की यात्रा की लेकिन इसके जवाब में भारत को कारगिल युद्ध मिला। पीएम मोदी ने अपने शपथ-ग्रहण समारोह में अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ को न्योता दिया। ठीक उसी समय पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से आतंकियों ने अफगानिस्तान स्थित भारतीय दूतावास पर हमला किया। आतंकियों की मंशा अपने इस हमले से कटुता के माहौल को बढ़ाने और शरीफ का दौरा विफल करने की थी लेकिन सुरक्षा बलों ने आतंकियों की नापाक हरकत को नाकाम कर दिया। पिछले साल पीएम मोदी और नवाज शरीफ जब संयुक्त राष्ट्र में मौजूद थे तो जम्मू-कश्मीर के अरनिया सेक्टर में पाकिस्तान की ओऱ से गोलीबारी की गई और इसके कुछ दिन बाद कठुआ एवं सांबा में आतंकवादी हमले हुए। यही नहीं, उफा में जिस वक्त पीएम मोदी अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से हाथ मिला रहे थे तो उसी समय पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में सीमा पर भारतीय जवान कृष्ण कुमार दुबे शहीद गए।
जाहिर है कि भारत सरकार जब भी पाकिस्तान की चुनी हुयी सरकार के साथ रिश्ते सामान्य बनाने एवं शांति के लिए प्रयास करती है तो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और सेना की तरफ से कुचक्र रचे जाते हैं ताकि बातचीत की प्रक्रिया आगे न बढ़ सके। पाकिस्तान की चुनी हुई सरकार सेना और अपनी खुफिया एजेंसी के आगे बेबस है। शरीफ साहब ने अपनी 'शराफत' दिखाते हुए साझा बयान तो जारी कर दिया लेकिन अपने देश में होने वाली प्रतिक्रिया का आकलन करने से शायद वह चूक गए। शरीफ अभी उफा में ही थे कि पाकिस्तान में संयुक्त बयान का विरोध होना शुरू हो गया। बिना कश्मीर मुद्दे के भारत के साथ बातचीत की बात पाकिस्तान के गले नहीं उतरी। सरताज अजीज सेना के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने बिना समय गंवाए कश्मीर के बिना बातचीत का खंडन कर दिया।
संयुक्त बयान में पाकिस्तान ने आतंकवाद के सभी रूपों से लड़ने की बात कही है। लेकिन आतंकवाद पर उसका दोहरा रवैया उसके इस दावे पर सवाल खड़े करता है। दुनिया जानती है कि लश्करे तैयबा, जमात-उद दावा, हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन उसी की पैदाइश हैं। हाफिज सईद पाकिस्तान में बेरोक-टोक घूम रहा है। वह आए दिन भारत के खिलाफ जहर उगलता है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने लश्करे तैयबा पर प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन इस आतंकी संगठन का सरगना जमानत पर रिहा है। पाकिस्तान में 26/11 मामले की सुनवाई कछुए की चाल जैसी है। इस हमले के सात साल हो गए लेकिन पाकिस्तान 26/11 के गुनहगारों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए तत्पर नहीं दिखता है। भारत ने जहां इस मामले की सुनवाई पूरी कर आतंकी कसाब को फांसी पर लटका दिया, वहीं पाकिस्तान में इस मामले की सुनवाई निचली अदालत में है।
यह सब बातें आतंकवाद पर पाकिस्तान की गंभीरता पर सवाल खड़े करती हैं। आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान यदि वास्तव में गंभीर है तो उसे 'गुड एंड बैड टेररिज्म' की अवधारणा से बाहर निकलना पड़ेगा। आतंकवाद, कश्मीर और भारत को लेकर उसे अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है। बार-बार के धोखों के बावजूद भारत ने एक बार फिर उस पर भरोसा जताया है पाकिस्तान को इस बात की कद्र करनी चाहिए। उसे भारत सहित दुनिया को भरोसा दिलाना होगा कि आतंकवाद के प्रति उसका दोहरा रवैया नहीं है। भारत सरकार ने साझा बयान के जरिए स्पष्ट कर दिया है कि वह पड़ोसी देश के साथ शांतिपूर्ण और दोस्ताना रिश्ते चाहती है। गेंद अब पाकिस्तान के पाले में है।
 ज़ी स्पेशल आलोक कुमार राव